Nepal Landslide एक दुखद घटना में, कम से कम 7 भारतीय नागरिक उन 60 से अधिक लोगों में शामिल हैं, जो दो बसों के भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन के बाद त्रिशूली नदी में बह जाने के बाद लापता हो गए हैं। Nepal Landslide शुक्रवार की तड़के चितवन जिले में नारायणघाट-मुगलिंग सड़क पर हुई, जो राजधानी काठमांडू से लगभग 100 किलोमीटर दूर है।
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Nepal Landslide: घटना का विवरण
Nepal Landslide लगभग 3:30 बजे हुआ, जिससे दो बसें, जिनमें कुल 65 यात्री सवार थे, त्रिशूली नदी में गिर गईं। काठमांडू जाने वाली एंजेल बस में 24 यात्री सवार थे, जबकि गणपति डीलक्स, जो नेपाल की राजधानी से गौरी जा रही थी, में 41 यात्री थे। इनमें से, गणपति डीलक्स बस के तीन यात्री समय रहते वाहन से कूदकर बचने में सफल रहे।
Nepal Landslide: बचाव कार्य
नेपाल के अधिकारियों ने पुलिस और सशस्त्र बलों सहित दर्जनों कर्मियों को शामिल करते हुए व्यापक खोज और बचाव अभियान शुरू किया है। Swollen नदी और भूस्खलन के मलबे के कारण बचाव कार्यों में बाधा आ रही है, जिससे जीवित बचे लोगों को खोजना मुश्किल हो रहा है। चितवन के मुख्य जिला अधिकारी, इंद्रदेव यादव ने पुष्टि की कि बचाव कार्यों को सुविधाजनक बनाने के लिए भूस्खलन के मलबे को साफ किया जा रहा है।
सरकारी प्रतिक्रिया
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल ‘प्रचंड’ ने Nepal Landslide घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया और तुरंत खोज और बचाव कार्यों के लिए निर्देश जारी किए। एक बयान में उन्होंने कहा, “मैं देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ और भूस्खलन के कारण लगभग पांच दर्जन यात्रियों की मौत और संपत्ति की हानि से गहरा दुखी हूं। मैं सरकार की सभी एजेंसियों, सहित गृह प्रशासन को निर्देश देता हूं कि वे यात्रियों को खोजें और प्रभावी रूप से बचाव करें।”
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से भी आवश्यक सावधानी बरतने का आग्रह किया, क्योंकि देश अभी भी गंभीर मौसम की स्थिति का सामना कर रहा है। भारी बारिश के कारण नेपाल में भूस्खलन और बाढ़ हो रही है, जिससे जान-माल का काफी नुकसान हो रहा है।
मानसून की बारिश का व्यापक प्रभाव
मध्य जून में मानसून के मौसम की शुरुआत के बाद से, भूस्खलन और बाढ़ ने नेपाल में 90 से अधिक लोगों की जान ले ली है। लगातार भारी बारिश ने व्यापक विनाश किया है, जिसमें कई क्षेत्रों में गंभीर बाढ़ और भूस्खलन हो रहे हैं। चितवन जिले में नारायणघाट-मुगलिंग सड़क, एक महत्वपूर्ण मार्ग, विशेष रूप से प्रभावित हुआ है, जिसमें भूस्खलन के मलबे के कारण यातायात बाधित हो गया है।
बचाव प्रयास और चुनौतियाँ
बचाव कार्य नेपाल आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण स्कूल, कुरिंतर के पुलिस कर्मियों द्वारा किए जा रहे हैं। उनके प्रयासों के बावजूद, त्रिशूली नदी के बढ़ते जल स्तर और जारी प्रतिकूल मौसम की स्थिति से लापता यात्रियों की खोज में बाधा आ रही है। लगातार बारिश के कारण काठमांडू से भरतपुर, चितवन के लिए सभी उड़ानें रद्द कर दी गई हैं, जिससे बचाव कार्यों में और कठिनाई हो रही है।

हाल की घटनाएँ
एक अलग घटना में, गुरुवार को कास्की जिले में लगातार बारिश के कारण हुए भूस्खलन और बाढ़ में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई। मानसून से संबंधित आपदाओं ने पूरे नेपाल में व्यापक तबाही मचाई है, पिछले चार हफ्तों में बारिश से संबंधित घटनाओं में कम से कम 74 लोग मारे गए हैं और 80 अन्य घायल हुए हैं। इन मौतों के प्राथमिक कारण भूस्खलन, बाढ़ और बिजली गिरना हैं।
Nepal Landslide: आधिकारिक बयान
केंद्रीय पुलिस प्रवक्ता उप महानिरीक्षक दान बहादुर कार्की के अनुसार, 10 जून से अब तक देश भर में बाढ़ और भूस्खलन से 74 लोगों की मौत हो चुकी है, 80 घायल हुए हैं और पांच लापता हैं। घायलों का स्थानीय अस्पतालों में इलाज चल रहा है और बचाव और राहत कार्य जारी हैं। इन मानसून से संबंधित आपदाओं से वित्तीय क्षति का अनुमान 95 मिलियन रुपये से अधिक है।
निष्कर्ष
चितवन जिले में भूस्खलन नेपाल में प्राकृतिक आपदाओं के विनाशकारी प्रभाव की याद दिलाता है, विशेष रूप से मानसून के मौसम में। छह भारतीयों सहित 60 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं, और बचाव कार्य कठिन परिस्थितियों में जारी हैं। नेपाली सरकार, बचाव दलों के साथ मिलकर, यथासंभव अधिक लोगों को खोजने और बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। Nepal Landslide ने क्षेत्र में ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए बेहतर आपदा प्रबंधन और तैयारी की तत्काल आवश्यकता को उजागर किया है।
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