बदले बदले मेरे सरकार नज़र आते हैं
घर की बर्बादी के आसार नज़र आते हैं
कुछ ये ही लाइन्स याद हो आयी जब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमन्त्री Nawaz Shareef के बदले बदले सुर भारत पाकिस्तान रिश्तो पर सुन’ने को मिले। और साथ ही याद आ गयी वो बर्बादी जिसे पाकिस्तान इस समय झेल रहा है जहाँ जरुरत की चीज़ो से लेकर हर चीज़ की कीमतें आसमान छू रही हैं। पाकिस्तान हर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर आर्थिक मदद की गुहार लगा रहा है और यहाँ भारत के डिफेन्स मंत्री राजनाथ सिंह कह रहे हैं की अगर रिश्ते अच्छे होते तो IMF से बड़ी मदद तो भारत ही कर देता।
ऐसा क्या कह दिया है पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमन्त्री Nawaz Shareef ने जो पाकिस्तान के वर्तमान मंत्री शहबाज़ खान के भाई और पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ के पिता हैं।
नवाज़ शरीफ ने इंडिया टुडे ग्लोबल के साथ अपनी एक्सक्लूसिव बातचीत में हर चीज़ की दुहाई दी, पाकिस्तान और भारत की साझी तहज़ीब से ले कर अपने और पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपई के द्वारा शुरू की गयी बातचीत तक। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई की भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर की यात्रा एक शुरुआत है और भारत और पाकिस्तान दोनों देशो के नेता इस से आगे और बात करेंगे। शरीफ ने jaishnakar की पाकिस्तान यात्रा पर कहा की बातें ऐसे ही आगे बढ़ती हैं। हम चाहते थे की प्रधानमन्त्री मोदी आएं लेकिन अच्छा है कि विदेश मंत्री आएं हैं। मैंने पहले भी कहा है की बातचीत के टूटे धागो को उठा कर फिर से शुरू करने की ज़रूरत है।
प्रधानमन्त्री मोदी की 2015 की unplanned पाकिस्तान यात्रा को याद करते हुए शरीफ ने उसकी भी तारीफ़ की। लेकिन उन्होंने कहा कि बातचीत और सम्बन्धो में इतने लम्बे पॉज से वह खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा की हम अपने पडोसी नहीं बदल सकते तो क्यों न हम अच्छे पड़ोसियों की तरह रहे।
दरअसल पाकिस्तान में चल रही आर्थिक दिक्कतों के कारण पाकिस्तान की इलीट और राजनितिक हलकों में अब इस बात पर चर्चा होने लगी है की पाकिस्तान को भारत के साथ सीधे व्यापार से बेहद फायदा होगा और इसकी धड़ाधड़ गिरती इकॉनमी को अगर कोई संभाल सकते है तो वह है भारत के साथ इसके अच्छे रिश्ते। शायद यही कारण है की Nawaz Shareef जिनकी पार्टी इस समय पाकिस्तान में सत्ता में है और उनके भाई प्रधानमन्त्री हैं खुद आगे आये हैं भारत और पाकिस्तान के सम्बन्धो को सुधारने का बीड़ा उठा कर। जब उनसे पूछा गया की क्या उन्हें लगता है कि दोनों देशो को उनके बीच ब्रिज या पुल बनाने वाला चाहिए तो उन्होंने झट से जवाब दिया कि मैं ये ही करने कि कोशिश कर रहा हूँ। उन्होंने कहा कि यहाँ से चीज़ें आगे बढ़नी चाहिए और सार्क जैसी opportunities भी जाया नहीं जानी चाहिए। उन्होंने सलाह दी कि भारत और पाकिस्तान के नेताओ को नवंबर में COP समिट के दौरान मिलना चाहिए।
भारत और पाकिस्तान के बीच एक साझा इतिहास और संस्कृति कि चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मेरे पिता के पासपोर्ट पर अमृतसर पंजाब उनके birthplace के रूप में दर्ज़ था। हमारी कल्चर, ट्रेडिशन, भाषा और खानपान सब एक जैसा है। नेता एक दूसरे को नहीं देख सकते लेकिन लोगो का आपस में समबन्ध अच्छा है।
भारत और पाकिस्तान के रिश्तो में गिरावट के लिए उन्होंने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमन्त्री इमरान खान कि भाषा का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा जैसी भाषा इमरान खान ने प्रयोग कि उसने भारत के साथ सम्बन्ध ख़त्म कर दिए। लीडर्स को इस तरह सोचना भी नहीं चाहिए ऐसी बात बोलने कि बात तो रहने ही दीजिये।
अपने इंटरव्यू में क्रिकेट का भी ज़िकर Nawaz Shareef ने किया। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान को एक दूसरे के घरेलु मैदानों में खेलना चाहि। गौरतलब है कि 2025 में पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी होस्ट कर रहा है और अंदाजा है कि भारत अपने मैच किसी neutral venue पर करवाना चाहेगा। Nawaz Shareef ने यह हिंट भी दिया कि अगर एशिया कप जो भारत में होगा उसमे पाकिस्तान फाइनल्स में पहुँचता है तो वे भारत आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैं भारत जा कर उन्हें खेलते हुए देखूंगा। उन्होंने भारतीय प्रधानमन्त्री मोदी को पाकिस्तान invite करने कि इच्छा भी जताई है।
उन्होंने कहा कि 70 साल हम लड़ते हुए गँवा चुके हैं और अब अगले 70 साल हमें ऐसे waste नहीं करने चाहिए। Nawaz Shareef ने अतीत को दफ़न कर के भविष्य कि तरफ देखने का आह्वाहन किया और कहा कि भारत और पाकिस्तान के नेताओ को टेबल पर बैठ कर गंभीरता से बात करनी चाहिए।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमन्त्री Nawaz Shareef ने एक बार पहले भी भारत और पाकिस्तान के रिश्ते सुधार कर इतिहास पुरुष बनने कि कोशिश की थी लेकिन तब परवेज़ मुशर्रफ ने नवाज़ शरीफ के सपनो पर पानी फेर दिया। आगरा में हुई Nawaz Shareef और अटल बिहारी वाजपई कि समिट के बाद जो कुछ हुआ वो इतिहास के पन्नो में दर्ज़ है। जब पाकिस्तान और भारत के बीच अतीत को दफ़न करने की बात आती है तो easier said than done वाली कहावत चरितार्थ होती है। इस अतीत में भारत ने पाकिस्तान से इतने धोखे खाएं हैं कि भारत के लिए अतीत को दफ़न करना थोड़ा मुश्किल होगा। लेकिन एक hostile पाकिस्तान भारत के लिए एक सर दर्द है इस से भी इंकार नहीं किया जा सकता। इसलिए भारत चाहे कितना ही पाकिस्तान से खुद को अलग करने कि कोशिश करे लेकिन जमीनी हकीकत है कि दोनों एक दूसरे के पडोसी हैं और भारत 3,323 km लम्बी लैंड बॉर्डर और 96 km वाटर बॉर्डर पाकिस्तान के साथ शेयर करता है। इसलिए अंततः पाकिस्तान के साथ बातचीत तो करनी ही होगी। लेकिन इस समय के volatile political atmosphere में जहाँ बातचीत की असफलता की काफी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है क्या भारत के पोलिटिकल लीडर्स इस जोखिम को उठाने का साहस कर सकेंगे? भारत और पाकिस्तान के बीच की अंतर्राष्ट्रीय सीमा दुनिया की सबसे खतरनाक अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं में गिनी जाती है। ऐसे में अगर Nawaz Shareef भारत की पोलिटिकल लीडरशिप के साथ मिल कर कोई चमत्कार करने में सफल होते हैं तो और कुछ नहीं भी तो भी एक नोबेल पीस प्राइज तो पक्का है ही।
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