इटली में एक जौर्नालिस्ट जिनका नाम गिउलीए कोर्टेस को Meloni height का मजाक उड़ाने के लिए ५००० यूरो का जुर्माना लगाया गया है। कोर्ट ने कोर्टेस की इस हरकत को Body Shaming करार दिया है।
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Meloni height विवाद: पृष्ठभूमि
इटली में फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन और Body Shaming के बीच बहस उठ खड़ी हुई है। मामला ३ साल पहले से शुरू हुआ जब मेलोनी की पार्टी Brothers of Italy इटली सत्ता में नहीं थी। उस समय उक्त जर्नलिस्ट ने मेलोनी की एक पिक्चर पोस्ट की जिसको मेलोनी ने एडिटेड पिक्चर करार दिया। इस पिक्चर में मेलोनी इटली के तानाशाह मुसोलिनी की पिक्चर के साथ खड़ी नज़र आ रही हैं।
मेलोनी ने फेसबुक पर इस तस्वीर की आलोचना की व अपने lawyers को लीगल रास्ता अपनाने को कहा। इस बात पर कोर्टेस और मेलोनी की डिबेट हुई। इस बहस के दौरान कोर्टेस ने कहा कि जो मीडिया तमाशा तुमने अपने फेसबुक पेज पर लगाया है उस से तुम वही लग रही हो जो तुम हो: एक छोटी औरत। मुझे तुमसे डर नहीं लगता जॉर्जिया मेलोनी। आखिरकार तुम सिर्फ । २ मीटर लम्बी हो। मैं तो तुम्हे देख भी नहीं पाती।
जॉर्जिया मेलोनी ने तीन साल पहले ही कोर्टेस के खिलाफ एक कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इस प्रक्रिया के दौरान कोर्ट ने माना कि यह मेलोनी की मानहानि थी और ये Body Shaming का एक उदहारण है।
फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन या Body Shaming?
लोगो के ग्रुप में बैठ कर ऐसी बात बात बोलना जिस से किसी इंसान की रेपुटेशन को हानि पहुंचे उसको इटली में मानहानि माना जाता है। इस आधार पर मेलोनी ने लीगल प्रक्रिया शुरू की थी।
लेकिन कोर्टेस ने इसको फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन और पत्रकारिता डिस्सेंट के खिलाफ माना है। उन्होंने कहा की इटली की सरकार को फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन और जोउर्नलिस्टिक डिस्सेंट से दिक्कत है। उन्होंने कहा की फैसले के बाद वो कुछ भी लिखने के लिए स्वतंत्र महसूस नहीं करेंगी क्योंकि लॉ सुइट्स भी डराने का ही एक साधन है।
हालांकि मेलोनी के समर्थक और पार्टी कार्यकरता इसको Body Shaming का मामला ही बता रहे हैं लेकिन प्रेस वॉचडॉग्स जैसे जौर्नालिस्ट विथाउट बॉर्डर्स ने इटली में गिरती हुई प्रेस स्वतंत्रता पर सवाल खड़े किये हैं साथ ही प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में इटली की रैंक को नीचे कर दिया है।
इटली में प्रेस फ्रीडम के बारे में राय
इटली की समीक्षा में, संगठन ने कहा कि “अधिकांशतः, इतालवी पत्रकार स्वतंत्रता के माहौल का आनंद लेते हैं,” लेकिन यह भी नोट किया कि वे कभी-कभी “मानहानि का मुकदमा या अन्य प्रकार की कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए आत्म-सेंसरशिप” का सहारा लेते हैं।
संगठन ने “लेगे बवाग्लियो,” या गाग कानून, पर भी चिंता व्यक्त की, जिसका समर्थन प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा किया गया है, जो अदालत और जांच पत्रकारों को प्रकाशित करने की सीमा को सीमित करता है।
मीडिया फ्रीडम रैपिड रिस्पॉन्स, जो पूरे यूरोप में प्रेस स्वतंत्रता के उल्लंघनों की निगरानी करता है, ने भी इटली के मानहानि कानूनों के बारे में चिंता जताई है। इस वर्ष की एक रिपोर्ट में, इसने बताया कि जांच पत्रकार “वर्तमान सरकार के सदस्यों द्वारा अक्सर शुरू किए गए बढ़ती संख्या में परेशान करने वाले मुकदमों” का सामना कर रहे हैं।
अप्रैल में, राज्य प्रसारक राय के पत्रकारों के संघ ने इसे “सरकार का मेगाफोन” बनकर रह जाने का आरोप लगाया। एक महीने बाद, राय के पत्रकारों ने सरकार के “दमघोंटू नियंत्रण” के विरोध में हड़ताल की।
अब ये तय करना आसान नहीं है की कौन सही है और कौन गलत। एक तरफ जहाँ पत्रकारों को एक साधारण नागरिक से ज्यादा स्वतंत्रता मिली होती है वहीँ उसके ज़िम्मेदार उपयोग की आशा भी उनसे की जाती है। किसी की शारीरिक कमियों का मज़ाक उड़ाना कही से भी पत्रकारिता के मूल्यों में नहीं आता एवं इसको Body Shaming ही कहा जाता है।
वहीँ दूसरी तरफ सार्वजनिक जीवन जी रहे लोगो जैसे राजनीतिज्ञों, खिलाड़ियों, एवं अभिनेताओं से उम्मीद की जाती है की वे थोड़े थिक स्किनड बने एवं लोगो पर उनका मुँह खोलते ही कानूनी दावपेंच खेलने से बचे। मेलोनी का ये मुक़दमा एवं उसका फैसला इटली में प्रजातंत्र के लिए कोई अच्छी तस्वीर नहीं पेश कर रहा।
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