Indo-China LAC Patrolling: भारत-चीन सैन्य वार्ता में डेडलॉक, डेपसांग पर पेट्रोलिंग रूट्स पर असहमति

Indo-China LAC Patrolling

Indo-China LAC Patrolling: भारत और चीन के बीच चल रही सैन्य वार्ताओं में, जो लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग के तरीके पर चर्चा करने के लिए हो रही थीं, अब एक गतिरोध पर पहुंच गई हैं। यह गतिरोध मुख्य रूप से डेपसांग क्षेत्र में पेट्रोलिंग रूट्स और सीमा की दूरी पर आधारित है, जो दोनों देशों के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

Indo-China LAC Patrolling में चीन की आपत्तियां

स्रोतों के अनुसार, चीनी पक्ष ने दो प्रमुख मुद्दे उठाए हैं। पहला, पेट्रोलिंग प्वाइंट्स (PPs) 10 और 11 के रूट्स पर भारत की पेट्रोलिंग के विस्तार को लेकर उसे आपत्ति है। दूसरा, चीन ने PPs 11A, 12 और 13 पर पेट्रोलिंग की दूरी को लेकर भी आपत्ति जताई है। ये सारे इलाके लद्दाख में ऐसे स्थानों पर स्थित हैं, जिन पर भारत और चीन के दावे ओवरलैप करते हैं। भारत 1959 की अपनी दावा रेखा पर आधारित है, जबकि चीन 1962 की अपनी दावा रेखा को मानता है।

इसके अलावा, चीनी पक्ष ने भारतीय सेना द्वारा अप्रैल 2020 से पहले के पेट्रोलिंग रूट्स पर पेट्रोलिंग फिर से शुरू करने के मुद्दे पर भी अपनी अनिच्छा जताई है। दोनों पक्षों के अधिकारियों ने इस विवादित क्षेत्र में पेट्रोलिंग के तरीकों को लेकर समझौते करने के लिए चर्चा की है, लेकिन चीन की आपत्तियों के कारण सहमति बनाना कठिन हो गया है।

Indo-China LAC Patrolling में समन्वय और संचार

LAC पर दोनों देशों के बीच तनाव को टालने के लिए पेट्रोलिंग पार्टियों के अभियानों को पहले से सूचित किया जा रहा है। इस समन्वय का उद्देश्य मुठभेड़ों को रोकना है, क्योंकि सीमा पर वास्तविक स्थिति स्पष्ट नहीं है। भारतीय सेना ने हाल ही में डेपसांग में एक पेट्रोलिंग सफलतापूर्वक की, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि यह पेट्रोलिंग किस मार्ग पर थी।

चीन स्टडी ग्रुप (CSG) की भूमिका

चीन स्टडी ग्रुप (CSG), जो 1975 में स्थापित किया गया था, इस विवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह समूह भारत सरकार को चीन से संबंधित नीति मुद्दों पर सलाह देता है। CSG की सिफारिशों के आधार पर पेट्रोलिंग के “सीमाओं” का निर्धारण किया जाता है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में यह समूह भारत की सैन्य रणनीति के मुख्य निर्माता के रूप में कार्य करता है।

Depsang और आक्साई चिन: एक महत्वपूर्ण क्षेत्र

Depsang का पठार दोनों देशों के लिए सैन्य दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र के पूर्व में आक्साई चिन स्थित है, जिसे चीन 1950 के दशक से अवैध रूप से अपने कब्जे में रखे हुए है। Depsang का नियंत्रण भारत के लिए इस क्षेत्र में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिहाज से आवश्यक है, क्योंकि यह आक्साई चिन के मुख्य मार्गों को नियंत्रित करता है।

पेट्रोलिंग रूट्स को लेकर गतिरोध

10 अक्टूबर को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री द्वारा पेट्रोलिंग रूट्स पर सहमति बनने की घोषणा की गई थी। इसके बावजूद, पेट्रोलिंग की सीमाओं और रूट्स पर चीन की आपत्तियों के कारण इन वार्ताओं में अभी तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है। जनवरी 2020 के बाद, भारत की सेना ने कभी भी डेपसांग के “बॉटलनेक” से पूर्व की दिशा में पेट्रोलिंग नहीं की है।

डेमचोक और अन्य विवादित क्षेत्र

हालांकि, हाल ही में डेमचोक में पेट्रोलिंग सफलतापूर्वक शुरू की गई है, लेकिन अन्य विवादित क्षेत्रों जैसे गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स, पैंगोंग त्सो और गालवान में पेट्रोलिंग की व्यवस्था अभी तक शुरू नहीं की गई है, जहां पहले विसंगति और सैन्य डिसएंगेजमेंट हुआ था।

Depsang जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में पेट्रोलिंग की सीमा और रूट्स पर भारत और चीन के बीच यह गतिरोध दोनों देशों के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। भविष्य में इन विवादों को सुलझाने के लिए और अधिक सैन्य वार्ताओं की आवश्यकता होगी, ताकि सीमा पर तनाव को कम किया जा सके और विवादित क्षेत्रों में शांति बहाल की जा सके।

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