French Politics: फ्रांस की राजनीति में आया भूचाल

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French Politics: राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के अचानक संसदीय चुनावों के फैसले से फ्रांस में बड़ा राजनीतिक बदलाव देखने को मिल रहा है। इस फैसले ने फ्रेंच पोलिटिकल क्लास में भूचाल ला दिया है क्योंकि पार्टीज के पास इस हफ्ते के आखिर तक का ही समय है अपनी कैंडिडेट्स घोषित करने के लिए व अपनी राजनीतिक सहयोगी ढूंढ़ने के लिए। 

फ्रेंच लेफ्ट विंग पार्टीज ने तुरंत ही पॉपुलर फ्रंट के बनने की घोषणा कर  दी हालाँकि उनमे भी अंतरकलह है।

 लेकिन असली उथल पुथल तब होनी शुरू हुई जब कंजरवेटिव रिपब्लिकन (LR) के प्रेजिडेंट एरिक सियोटी ने मरीन ले पेन की फार -राइट नेशनल रैली (RN) के साथ  गठजोड़ की संभावना तलाश करने की कोशिश की। यह घटनाक्रम लंबे समय से चली आ रही अलिखित सहमति को चुनौती दे रहा है कि फार -राइट को सत्ता से बाहर रखा जाए।

गठजोड़ के प्रस्ताव और आंतरिक कलह

रिपब्लिकन के नेता एरिक सियोटी ने सार्वजनिक रूप से नेशनल रैली के साथ गठजोड़ का सुझाव दिया है। TF1 टीवी से बात करते हुए सियोटी ने कहा, “हमारे विचार समान हैं, इसलिए अब यह दिखावा बंद करें कि हम एक-दूसरे का विरोध करते हैं।” इस प्रस्ताव ने LR के भीतर असंतोष पैदा कर दिया है, कई सांसदों ने RN के साथ किसी भी सहयोग का कड़ा विरोध किया है। LR सांसद फिलिप गॉसेलिन ने कहा, “हम में से कई लोगों के लिए, नेशनल रैली के साथ किसी भी तरह का गठजोड़ अकल्पनीय है,” जिससे यह संकेत मिलता है कि असंतुष्ट सदस्य एक नया गुट बना सकते हैं।

French Politics प्रतिक्रियाएं और प्रभाव

इस संभावित गठजोड़ ने रिपब्लिकन के भीतर विभाजन पैदा कर दिया है, जो चार्ल्स डी गॉल और जैक्स शिराक से जुड़ी एक प्रतिष्ठित पार्टी है। इसकी प्रतिक्रिया स्वरुप कुछ लीडर्स ने बोला की ये सियोटि के अपने निजी विचार हैं।  साथ ही उन्होंने सियोटी से इस्तीफे की भी मांग की।

इस पर सियोटी ने पार्टी हेडक्वार्टर्स को बंद कर  दिया ताकि उनको हटाया न जा सके।  रिपब्लिकन पार्टी के कुछ MP  ने यहाँ तक कहा की ज़रूरत पड़ी तो आपातकालीन सर्विसेज को बुला कर  दरवाज़ा तुड़वाया जाएगा।  लेकिन इसकी नौबत नहीं आयी क्योंकि पार्टी की जनरल सेक्रेटरी के पास एक अलग चाभी थी जिसकी मदद से दरवाज़ा खोला गया और रिपब्लिकन पार्टी ने अपनी मीटिंग की।  उस मीटिंग में  उन्होंने तय किया की सियोटी अब पार्टी प्रेजिडेंट नहीं हैं।  हालाँकि सियोटी का कहना है मीटिंग बुलाने में पार्टी नियमो की धज़्ज़ियाँ उड़ाई गयी हैं इसलिए वे ही पार्टी प्रेजिडेंट हैं। 

पार्टी के वाईस प्रेजिडेंट गुलिहऍम कार्यों भी सियोटी के साथ हैं।  पार्टी की इस अंतरकलह के कारन ये साफ़ नहीं हो पाया है की पार्टी रन के साथ गठबंधन करेगी या नहीं।   दूसरी ओर, RN ने सियोटी के प्रस्ताव का स्वागत किया है क्योंकि वह सत्ता को मजबूत करना और संसदीय बहुमत हासिल करना चाहती है। एक राय सर्वेक्षण से पता चलता है कि जबकि RN सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभर सकती है, यह पूर्ण बहुमत से अभी भी पीछे रह सकती है।

वामपंथी दलों का विखंडन और मूडीज की चेतावनी

फ्रांस के बिखरे हुए वामपंथी दल भी एकजुट मोर्चा बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, हालांकि एक औपचारिक समझौता अभी बाकी है। इस बीच, वित्तीय बाजारों ने राजनीतिक अस्थिरता पर प्रतिक्रिया दी है, जिससे यूरो, फ्रांसीसी शेयर और बांड में गिरावट आई है। रेटिंग एजेंसी मूडीज ने मौजूदा राजनीतिक अनिश्चितता से जुड़े वित्तीय जोखिमों के बारे में चेतावनी दी है।

मैक्रों की प्रतिबद्धता और जनभावना

इन घटनाक्रमों के बीच, मैक्रों ने अचानक चुनाव का ऐलान करने के अपने फैसले का बचाव किया है। ले फिगारो से बात करते हुए उन्होंने जोर दिया कि यह कदम “देश के हित में” और राजनीतिक स्पष्टता के लिए आवश्यक था। इस उथल-पुथल के बावजूद, मैक्रों ने चुनाव परिणाम की परवाह किए बिना इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। आंतरिक मंत्री गेराल्ड डारमैनिन ने सियोटी के प्रस्ताव की निंदा करते हुए इसकी तुलना 1938 के म्यूनिख समझौते से की, जो नाजी जर्मनी के साथ फ्रांस और ब्रिटेन द्वारा हस्ताक्षरित था, जिसने कई नागरिकों को गहराई से प्रभावित किया है।

French Politics: बदलता राजनीतिक परिदृश्य

2017 में मैक्रों के सत्ता में आने के बाद से फ्रांस का राजनीतिक परिदृश्य बदल रहा है, पारंपरिक पार्टियां उनके मध्यमार्गी आंदोलन के आगे कमजोर हो रही हैं। यह ताजा कदम यूरोपीय संसद चुनावों में उनकी पुनर्जागरण पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद आया है। इसने सभी राजनीतिक दलों को गठजोड़ बनाने और आगामी चुनावों के लिए उम्मीदवारों को खड़ा करने के लिए मजबूर कर दिया है, जो 30 जून और 7 जुलाई को होने वाले हैं।

French Politics: भविष्य की संभावनाएं

मरीन ले पेन की RN को नेशनल असेंबली में 235 से 265 सीटें जीतने की उम्मीद है, जो उनकी मौजूदा स्थिति से काफी अधिक है, लेकिन फिर भी पूर्ण बहुमत के 289 से कम है। रिपब्लिकन को 40-55 सीटें मिलने की उम्मीद है, जिससे संभव है कि वे मिलकर बहुमत बना सकें, हालांकि यह निश्चित नहीं है।

अंत में, फ्रांस एक राजनीतिक चौराहे पर खड़ा है जहां पार्टियां फिर से संगठित हो रही हैं और ऐतिहासिक गठजोड़ टूट रहे हैं। अचानक चुनावों का परिणाम देश की शासन व्यवस्था और आव्रजन, आर्थिक नीति और सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर इसके दृष्टिकोण के लिए गहरा प्रभाव डालेगा। जैसे ही मैक्रों इन अशांत जलधाराओं को नेविगेट करते हैं, फ्रांस के राजनीतिक परिदृश्य का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

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