Canada Temple Attack: भारत ने की भर्तस्ना, हिन्दू ग्रुप ने निकाली एकजुटता रैली, और पुलिस अधिकारी का हुआ निलंबन

Canada Temple Attack

Canada Temple Attack: कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों के चलते बढ़ते तनाव के बीच ब्रैम्पटन, टोरंटो के पास स्थित हिंदू सभा मंदिर पर हुए हालिया हमले ने भारत-कनाडा के संबंधों में और खटास ला दी है। सोमवार को खालिस्तानी झंडे लेकर आए प्रदर्शनकारियों द्वारा मंदिर में तोड़फोड़ की गई, जिसने भारतीय नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया, कनाडाई हिंदुओं की एकजुटता रैली, और विरोध प्रदर्शन में शामिल एक पुलिस अधिकारी के निलंबन को जन्म दिया है।

Canada Temple Attack घटना की संक्षिप्त जानकारी और प्रारंभिक प्रतिक्रियाएँ

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने Canada Temple Attack को “गंभीर चिंता” का विषय बताया और कहा कि यह घटना भारत और कनाडा के बीच बढ़ते कूटनीतिक तनाव के समय हुई। जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान कहा, “कनाडा में हिंदू मंदिर पर जो हुआ, वह स्पष्ट रूप से गंभीर चिंता का विषय है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी Canada Temple Attack की निंदा की और इसे “जानबूझकर किया गया हमला” बताते हुए कनाडा सरकार से जवाबदेही की मांग की। मोदी ने कहा कि ऐसी हिंसात्मक घटनाएँ भारत के संकल्प को कमजोर नहीं कर सकतीं और कनाडा को न्याय और कानून का पालन सुनिश्चित करना चाहिए।

सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में मंदिर के चारों ओर हिंसा के दृश्य दिखे, जिसमें प्रदर्शनकारी झंडे के डंडों का इस्तेमाल करते और मंदिर के भक्तों के साथ झगड़ा करते नजर आए। पील क्षेत्रीय पुलिस ने क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा बढ़ाई और बाद में पुष्टि की कि तीन व्यक्तियों को हमले के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जिसमें एक पुलिस अधिकारी भी शामिल है।

कूटनीतिक प्रतिक्रियाएँ और परिणाम

भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस हिंसा की निंदा की और कनाडा से पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की, साथ ही इस कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने का आग्रह किया। MEA के प्रवक्ता रंधीर जयसवाल ने कहा, “हम ब्रैम्पटन, ओंटारियो में हिंदू सभा मंदिर पर चरमपंथियों और अलगाववादियों द्वारा की गई हिंसा की निंदा करते हैं। हम कनाडा से अपेक्षा करते हैं कि वह पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।” मंत्रालय ने यह भी बताया कि अन्य देशों में बसे भारतीय समुदायों को भी ऐसी ही घटनाओं का सामना करना पड़ा है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में दो मंदिरों पर हुए हमले शामिल हैं।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी Canada Temple Attack  पर टिप्पणी की और कहा कि सभी कनाडाई नागरिकों को सुरक्षित तरीके से अपनी आस्था का पालन करने का अधिकार है। हालांकि, ट्रूडो की आलोचना हुई कि उन्होंने “खालिस्तानी चरमपंथ” की सीधी निंदा नहीं की और इसे बढ़ावा देने की अनुमति दी।

खालिस्तान समर्थक प्रदर्शन में शामिल पुलिस अधिकारी का निलंबन

इस तनाव को और बढ़ाने वाली Canada Temple Attack घटना में पील क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी हरिंदर सोही का निलंबन भी शामिल है, जिन्हें मंदिर के बाहर खालिस्तान समर्थक प्रदर्शन में भाग लेते हुए देखा गया था। एक वायरल वीडियो में सोही को खालिस्तानी झंडा पकड़े हुए देखा गया, जिसमें प्रदर्शनकारी भारत विरोधी नारे लगा रहे थे। पुलिस विभाग ने उन्हें सामुदायिक सुरक्षा और पुलिस अधिनियम के तहत निलंबित कर दिया और कहा कि वे इस मामले की पूरी तरह से जाँच कर रहे हैं। यह निलंबन कनाडाई अधिकारियों द्वारा जवाबदेही सुनिश्चित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जो कि भारतीय नेताओं और प्रवासी भारतीय समुदाय की मांग है।

कनाडाई हिंदुओं की एकजुटता रैली

Canada Temple Attack के जवाब में, कनाडा में हजारों हिंदुओं ने एकजुटता के प्रदर्शन के रूप में हिंदू सभा मंदिर के बाहर रैली की। इस मार्च का आयोजन नॉर्थ अमेरिका के हिंदू संगठन (CoHNA) द्वारा किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने भारत और कनाडा के झंडे लहराए, “जय श्री राम” के नारे लगाए और खालिस्तान विरोधी नारे लगाए। CoHNA ने अपने बयान में कनाडाई हिंदुओं की एकता पर जोर दिया और कहा, “हजारों कनाडाई हिंदू ब्रैम्पटन में इकट्ठा हुए हैं… हम कनाडा से अनुरोध करते हैं कि वह इस हिंदूफोबिया को अब रोके।”

रैली में शामिल लोगों ने कनाडा में हिंदू समुदाय के प्रति बढ़ती हिंसा और भेदभाव पर अपनी लंबे समय से चली आ रही नाराजगी व्यक्त की। एक प्रतिभागी ने कहा कि पिछले दो दशकों से हिंदू समुदाय के खिलाफ भेदभाव बढ़ रहा है, और उन्होंने कनाडा के नेताओं से आग्रह किया कि वे इसे गंभीरता से लें। “हिंदू कनाडाई हमेशा कनाडा के प्रति वफादार रहे हैं। अब समय आ गया है कि कनाडाई नेता समझें कि जो हिंदू कनाडाईयों के साथ हो रहा है वह गलत है।”

कूटनीतिक संदर्भ और खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि

Canada Temple Attack ने कनाडा में बढ़ती खालिस्तानी गतिविधियों के बीच भारत-कनाडा संबंधों को और भी जटिल बना दिया है। सितंबर 2023 में प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा भारत के एजेंटों पर खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाने के बाद से दोनों देशों के संबंध काफी खराब हो चुके हैं। भारत ने निज्जर को आतंकवादी करार दिया है और उन पर पंजाब में 2007 के एक बम विस्फोट और 2009 में सिख नेता रूलदा सिंह की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया है। भारत लंबे समय से कनाडाई अधिकारियों से खालिस्तानी समूहों पर नियंत्रण करने की अपील कर रहा है, जो “खालिस्तान जनमत संग्रह” का आयोजन कर रहे हैं।

Canada Temple Attack प्रवासी भारतीय समुदायों के सामने आ रही चुनौतियों को उजागर करता है, खासकर उन देशों में जहाँ खालिस्तानी आंदोलन को समर्थन मिल रहा है। Canada Temple Attack मामले में भारत कनाडा पर प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और अधिक कदम उठाने का दबाव बना सकता है। कनाडाई अधिकारियों के लिए यह घटना समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्राथमिकता को दर्शाती है।

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