Israel के एक दूरदर्शी मंत्री के Al-Aqsa Mosque परिसर में प्रार्थना के आह्वान ने एक नया विवाद उत्पन्न कर दिया है। इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इटामार बेन-ग्वीर ने सैकड़ों यहूदी इजरायली नागरिकों को जेरूसलेम के सबसे विवादित पवित्र स्थल पर ले जाकर, जहां पहले से ही यहूदी प्रार्थना पर प्रतिबंध था, वहां प्रार्थना की। इस कदम ने न केवल इजरायल के भीतर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी विवाद खड़ा कर दिया है।
Al-Aqsa Mosque Prayer: इटामार बेन-ग्वीर का विवादित कदम
इटामार बेन-ग्वीर ने Al-Aqsa Mosque परिसर, जिसे यहूदी धार्मिक विश्वास के अनुसार टेम्पल माउंट के नाम से जाना जाता है, का दौरा किया और वहां प्रार्थना की। इस परिसर को इस्लाम के तीसरे सबसे पवित्र स्थल के रूप में माना जाता है, जबकि यहूदी इसे अपने पवित्र स्थलों में सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं। इजरायली पुलिस की सुरक्षा में हजारों यहूदी इजरायली नागरिकों ने वहां धार्मिक गीत गाए और इस्राइली झंडे लहराए, जिससे विवाद और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।
Al-Aqsa Mosque: अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
इटामार बेन-ग्वीर के इस कदम की आलोचना करने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पीछे नहीं हटा। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि बेन-ग्वीर का दौरा “ऐतिहासिक स्थिति की स्पष्ट अवहेलना” को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह उकसाने वाला कदम है और यह स्थिति को और अधिक तनावपूर्ण बना सकता है, जबकि वर्तमान समय में शांति समझौते और मानवता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने भी बेन-ग्वीर की यात्रा की निंदा की और इसे “अस्वीकृत” बताया। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता फरहान हक ने इसे “अनावश्यक और अत्यधिक उकसाने वाला” करार दिया, और कहा कि पवित्र स्थलों पर स्थिति को बदलने की किसी भी कोशिश का विरोध किया जाना चाहिए।
जॉर्डन और अरब राज्यों की चिंता
जॉर्डन, जो कि Al-Aqsa Mosque का ऐतिहासिक संरक्षक है, ने भी इस घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। जॉर्डन के इस्लामी वक्फ ने कहा कि 2,000 से अधिक इजरायली इस परिसर में घुस आए और स्थिति को बनाए रखने के लिए विश्व भर के मुसलमानों से समर्थन की अपील की। जॉर्डन के विदेश मंत्रालय ने इसे “इजरायली सरकार और इसके चरमपंथी सदस्यों की अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और कब्जे वाले क्षेत्र की जिम्मेदारियों की अवहेलना” कहा है।

सऊदी अरब ने भी Al-Aqsa Mosque प्रार्थना की कड़ी निंदा की और कहा कि यह “अंतर्राष्ट्रीय कानून और येरूशलम की ऐतिहासिक स्थिति का उल्लंघन” है। सऊदी मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह इजरायल की लगातार उल्लंघनकारी कार्रवाइयों को रोकने के लिए कदम उठाए।
पार्स और स्थानीय प्रतिक्रिया
Palestine ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है। फिलिस्तीन की विदेश मंत्रालय ने “चरमपंथी सेटलर्स द्वारा Al-Aqsa Mosque पर हुए हमलों” की निंदा की और चेतावनी दी कि ये घटनाएँ संघर्ष क्षेत्र और पूरे क्षेत्र पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। अपने Al-Aqsa Mosque दौरे के दौरान एक वीडियो में बेन-ग्वीर ने गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ युद्ध जीतने की भी बात की, और कहा कि इजरायल को संघर्षविराम और बंधकों की रिहाई के समझौतों में शामिल नहीं होना चाहिए।
वेस्ट बैंक में स्थिति
वेस्ट बैंक में भी स्थिति तनावपूर्ण है। इजरायली सेटलर्स ने यहूदी छुट्टियों के दौरान वेस्ट बैंक के गांवों में कई मार्च किए, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय मुसलमानों और इजरायली सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुईं।
वैश्विक प्रभाव और प्रतिक्रियाएँ
इटामार बेन-ग्वीर का कदम एक नई बहस और विवाद का कारण बन गया है, जिसने न केवल इजरायल और पलेस्टाइन के बीच तनाव को बढ़ाया है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी सक्रिय रूप से प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर किया है। इस स्थिति ने वैश्विक राजनीति और मध्य पूर्व के भविष्य पर भी असर डाला है, और यह देखने की बात होगी कि अगले दिनों में स्थिति कैसे विकसित होती है और अंतर्राष्ट्रीय दबाव इजरायल की नीतियों को कैसे प्रभावित करता है।
यह घटना वैश्विक राजनीति में मध्य पूर्व की जटिलताओं को और अधिक उजागर करती है, और इसका प्रभाव लंबे समय तक महसूस किया जा सकता है। वैश्विक नेताओं और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट है कि इस विवाद का समाधान खोजने के लिए गंभीर और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।
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