Afghan Deportation: 2021 के बाद पहली बार Germany ने 28 अफ़ग़ान नागरिकों को निर्वासित किया

Afghan Deportation

Afghan Deportation: Germany ने 28 अफ़ग़ान नागरिकों को, जिन्हे कोर्ट ने अपराधी करार दिया था, निर्वासित कर दिया है। यह निर्वासन तालिबान के 2021 में अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता में लौटने के बाद पहली बार हुआ है। जर्मन सरकार ने शुक्रवार को इस निर्वासन की पुष्टि की, जो देश की इमीग्रेशन और सुरक्षा नीतियों में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Afghan Deportation की पृष्ठभूमि

Germany ने अगस्त 2021 में तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जे के बाद अफ़ग़ानिस्तान में सभी निर्वासन रोक दिए थे। तब से, यह पहली बार है कि जर्मनी ने अफ़ग़ान नागरिकों को उनके वतन वापस भेजा गया है। जर्मन सरकार के प्रवक्ता, स्टेफ़न हेबेस्त्राइट के अनुसार, निर्वासित लोग सभी अपराधी थे जिन्हें जर्मनी में रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं था।

इन 28 अफ़ग़ान नागरिकों को लेकर एक चार्टर्ड कतर एयरवेज़ की उड़ान गुरुवार को सुबह 6:56 बजे (04:56 GMT) लीपज़िग से रवाना हुई। इन पुरुषों को जर्मनी के विभिन्न हिस्सों से लीपज़िग लाया गया था, जहां से जर्मन फ़ेडरल इंटरनल मंत्रालय ने इस निर्वासन का आयोजन किया।

Germany की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता

जर्मन गृह मंत्री नैन्सी फ़ेसर ने Afghan Deportation को देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम बताया। उन्होंने बयान में कहा, “हमारी सुरक्षा महत्वपूर्ण है, हमारा संवैधानिक राज्य कार्य करता है।” फ़ेसर ने संघीय पुलिस और राज्य के अधिकारियों का इस ऑपरेशन में सहयोग के लिए आभार भी व्यक्त किया।

Afghan Deportation महीनों की गुप्त वार्ताओं के बाद किया गया, जिसमें कतर ने जर्मनी और तालिबान अधिकारियों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई। जर्मनी का तालिबान सरकार के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं है, इसलिए इन निर्वासनों को पूरा करने के लिए वैकल्पिक संचार चैनल और क्षेत्रीय साझेदारों के साथ सहयोग की आवश्यकता पड़ी।

राजनीतिक प्रभाव और संदर्भ

Afghan Deportation जर्मनी में आप्रवासन और शरण नीतियों पर बढ़ती बहस के बीच हुआ है। यह ठीक एक सप्ताह बाद हुआ जब सोलिंगन में एक चाकू हमले में एक सीरियाई शरणार्थी शामिल था। इस हमले में कई लोग हताहत हुए और इस हमले के बाद अप्रवासन नीतियों पर बहस और तेज हो गयी।  विशेष रूप से उन व्यक्तियों के संबंध में आप्रवासन पर चर्चाओं तेज हो गयी जिनका आपराधिक रिकॉर्ड है।

सोलिंगन हमले का आरोपी पिछले साल बुल्गारिया निर्वासित किया जाना था, लेकिन वह निर्वासन प्रक्रिया से बचने में सफल रहा। फिलहाल वह हत्या और संभावित आतंकवादी संगठनों से संबंधों की जांच के तहत हिरासत में है। इस्लामिक स्टेट (ISIL) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है, हालांकि कोई ठोस सबूत नहीं दिया गया है।

यह घटना सैक्सनी और थुरिंगिया के क्षेत्रीय चुनावों से पहले हुई है, जहां फार राइट पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AfD) के अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना है। जर्मन सरकार, जिसमें चांसलर ओलाफ़ शॉल्ज़ शामिल हैं, ने आप्रवासन कानूनों को सख्त करने और अफ़ग़ानिस्तान और सीरिया जैसे देशों से अपराधियों के निर्वासन को आसान बनाने का संकल्प लिया है।

आलोचना और मानवाधिकार संबंधी चिंताएं

इन 28 अफ़ग़ान नागरिकों के निर्वासन ने मानवाधिकार संगठनों से आलोचना झेली है। एमनेस्टी इंटरनेशनल Germany ने इस कदम की निंदा की है, यह तर्क देते हुए कि अफ़ग़ानिस्तान अभी भी एक खतरनाक जगह है जहां निर्वासित व्यक्तियों को यातना या अन्य गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों का सामना करना पड़ सकता है। संगठन ने आरोप लगाया है कि जर्मन सरकार ने चुनाव अभियान के दौरान राजनीतिक दबाव में आकर यह कदम उठाया है।

अफ़ग़ानिस्तान में निर्वासन फिर से शुरू करने का Germany का निर्णय कुछ लोगों द्वारा देश की सुरक्षा और आप्रवासन को लेकर बढ़ती घरेलू चिंताओं के जवाब के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, यह उन चुनौतियों को भी उजागर करता है जो उन व्यक्तियों को ऐसे देशों में निर्वासित करने में शामिल हैं जहां उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती है।

Germany सरकार ने संकेत दिया है कि आने वाले महीनों में और भी Afghan Deportation हो सकते है। हालांकि, राजनयिक जटिलताओं और अफ़ग़ानिस्तान में मौजूदा मानवाधिकार स्थिति को देखते हुए ऐसे ऑपरेशन विवादास्पद और चुनौतीपूर्ण बने रहेंगे।

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