R Ashwin: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली पांच मैचों की टेस्ट सीरीज का पहला मैच 22 नवंबर को Perth के Optus स्टेडियम में शुरू होने जा रहा है। इस मुकाबले में भारत की टीम में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, क्योंकि अनुभवी स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को एकमात्र स्पिनर के रूप में अंतिम XI में खेलने का मौका मिल सकता है। खासकर यह निर्णय तब लिया गया है, जब ऑस्ट्रेलिया की टीम में कम से कम तीन बाएं हाथ के बल्लेबाजों का खेलना लगभग तय है। इस लेख में हम इस चयन के संभावित कारणों और इससे जुड़े पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
R Ashwin का चयन: बाएं हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ उनका प्रभाव
इस टेस्ट सीरीज के लिए भारतीय टीम की रणनीति में एक अहम बदलाव देखने को मिल सकता है। भारतीय टीम, विशेष रूप से कप्तान और कोच के नेतृत्व में, अब “मैच-अप्स” पर अधिक ध्यान दे रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए, आर. अश्विन को इस टेस्ट में एकमात्र स्पिनर के रूप में खेलने के लिए चुना जा सकता है।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पिछले कुछ सालों में अश्विन का रिकॉर्ड अच्छा रहा है, खासकर बाएं हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ। ऑस्ट्रेलिया की टीम में प्रमुख बाएं हाथ के बल्लेबाजों में उस्मान ख्वाजा, ट्रैविस हेड और एलेक्स कैरी शामिल हैं, और अश्विन की गेंदबाजी का बाएं हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ प्रभावशाली रिकॉर्ड रहा है। ऐसे में उन्हें अंतिम एकादश में शामिल करने का निर्णय पूरी तरह से रणनीतिक है।
Optus स्टेडियम की पिच और तेज गेंदबाजों की भूमिका
Perth का Optus स्टेडियम आमतौर पर तेज गेंदबाजों के लिए उपयुक्त पिच माना जाता है, क्योंकि यहां की पिच पर घास की मौजूदगी के कारण गेंदबाजों को स्विंग और गति मिलती है। ऐसे में भारत की टीम में तीन तेज गेंदबाजों और एक तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर के रूप में नितीश कुमार रेड्डी को शामिल करने की संभावना है। इसके अलावा, स्पिनर के रूप में सिर्फ आर. अश्विन को खेलने का निर्णय लिया जा सकता है।
भारत की टीम इस पिच पर तेज गेंदबाजों पर निर्भर रह सकती है, लेकिन R Ashwin की अनुभव और बाएं हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ उनकी सफलता उन्हें एकमात्र स्पिनर के रूप में खेलने का मौका दे सकती है।
भारत का स्पिन विभाग और टीम चयन
भारत की टीम इस सीरीज के लिए तीन स्पिनरों के साथ जा रही है, जिनमें रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर शामिल हैं। हालांकि, पिच की परिस्थितियों को देखते हुए भारत की टीम केवल एक स्पिनर को ही अंतिम XI में शामिल करने का निर्णय ले सकती है, और वह स्पिनर अश्विन हो सकते हैं।
भारत के लिए यह चुनौतीपूर्ण रहा है कि वे दोनों प्रमुख स्पिनरों – R Ashwin और जडेजा – को अक्सर विदेशी दौरों पर एक साथ नहीं खेला पाते। जडेजा का बैटिंग में भी अच्छा प्रदर्शन रहा है, जिससे वह अधिक प्रासंगिक बने। लेकिन, अब नई टीम प्रबंधन और कोच गौतम गंभीर के नेतृत्व में टीम रणनीतिक रूप से गेंदबाजी मैच-अप्स को प्राथमिकता दे रही है, और यही कारण हो सकता है कि अश्विन को चुना गया है।
अश्विन का रिकॉर्ड और चुनौतीपूर्ण विदेशी दौरे
R Ashwin की करियर की सबसे बड़ी विशेषता उनका बाएं हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ प्रभावशाली रिकॉर्ड है, जो उन्हें ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में खेलने के लिए एक आदर्श विकल्प बनाता है। हालांकि, अश्विन का विदेशी दौरे पर प्रदर्शन कभी भी जडेजा के मुकाबले इतना शानदार नहीं रहा है। उन्होंने अब तक ऑस्ट्रेलिया में 10 टेस्ट मैचों में 39 विकेट लिए हैं, लेकिन उनका औसत 42.15 का रहा है, जो उनकी सर्वश्रेष्ठ स्थिति को दर्शाता है।
वहीं, जडेजा के अलावा वाशिंगटन सुंदर भी एक विकल्प हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता उन मैचों में अधिक रही है, जहां विपक्षी टीम के पास बाएं हाथ के बल्लेबाजों का अच्छा आंकड़ा हो। हालांकि, अश्विन का अनुभव और उनके बाएं हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ रिकॉर्ड उन्हें इस पिच पर खेलने का प्रमुख उम्मीदवार बनाता है।
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली आगामी टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया की रणनीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं। आर. अश्विन का एकमात्र स्पिनर के रूप में चयन और उनकी बाएं हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ रिकॉर्ड यह साबित करते हैं कि भारतीय टीम को इस सीरीज में अपने स्पिन विभाग को लेकर एक बड़ा कदम उठाने का भरोसा है। भारतीय टीम को उम्मीद है कि अश्विन इस टेस्ट में महत्वपूर्ण योगदान देंगे, खासकर जब पिच तेज गेंदबाजों के लिए अनुकूल हो।
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