Avni Lakhera: व्हीलचेयर में साहस की मूरत

Avni Lakhera:

Avni Lakhera का नाम आज भारत के खेल प्रेमियों को जुबान पर है।  और हो भी क्यों न? २३ साल की इस खिलाड़ी ने जो कर दिखाया है वह भारत का आज तक कोई भी खिलाड़ी नहीं कर पाया।  दो दो बैक तो बैक ओलंपिक्स में गोल्ड मैडल जीत कर इन्होने भारतीय खेल जगत में नया कीर्तिमान स्थापित किया है।  लेकिन ये सफलता यु ही नहीं मिल गयी।  संघर्ष तो हर महान उपलब्धि के पीछे होता है लेकिन अवनि ने संघर्ष से भी कुछ ज्यादा किया और झेला है।

Avni Lakhera: दुर्घटना जिसने बदल दिया जीवन:

२० फरवरी २०१२, महाशिवरात्रि का दिन जब Avni Lakhera अपने पिता प्रवीण लखेरा के साथ जयपुर से धौलपुर जा रही थी। इनके साथ एक दुर्घटना हुई जिसमे दोनों पिता और बेटी घायल हुए।  पिता तो जल्दी ही स्वस्थ हो गए लेकिन अवनि ३ महीने तक अस्पताल में रहीं क्योंकि उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट थी। 

वापस आयी तो चलने फिरने के काबिल नहीं थी क्योंकि रीढ़ की हड्डी ने उनका कमर से नीचे का हिस्सा paralyse कर दिया था।  ११ साल की अवनि के लिए ये बहुत बड़ा झटका था।  सपने अभी देखना शुरू भी नहीं किये थे । दुनिया की अभी समझ आना शुरू भी नहीं हुई थी लेकिन सपने और दुनिया दोनों ही ख़तम नज़र आने लगे। 

अवनि अपने कमरे में रहने लगी और माँ बाप को लगा की वह गहरे अवसाद में चली जाएंगी।  ऐसे समय में माँ बाप ही हौसला बन कर उनके साथ खड़े हुए और उनको बहार की दुनिया की तरफ फिर से मोड़ने की कोशिशे की जाने लगी। लेकिन फिर एक झटका और लगा जब स्कूल में अवनि का एडमिशन नहीं हो पाया।  दो साल होम शूलिंग हुई इस दौरान माँ ने इंस्पिरेशनल स्टोरीज से अवनि का हौसला टूटने से बचाये रखा। पिता ने उनको बाहर निकलने और दोस्त बनाने के लिए प्रेरित किया।

पिता ने Avni Lakhera को किया प्रोत्साहित:

पिता ही Avni Lakheraको पहली बार शूटिंग रेंज ले कर गए। अवनि ने शूटिंग की तरफ झुकाव महसूस किया लेकिन अपनी चोट के कारण मन में डर था। इस खेल को अपना भविष्य बनाने के बारे में सोचने का हौसला नहीं था।  तब अवनि को उनके पिता ने अभिनव बिंद्रा की बायोग्राफी ऐ शॉट एट हिस्ट्री पढ़ने के लिए दी।  अवनि के मन का डर धीरे धीरे ख़तम हुआ और उन्होंने शूटिंग में अपना भाग्य आजमाने की सोची। 

Avni Lakhera की सफलताओ का सफर:

पिछले कुछ सालो के अचीवमेंट्स Avni Lakhera की mehnat और लग्न की कहानी हैं। KV नेशनल्स में गोल्ड जीता। फिर 2016 में नेशनल चैंपियनशिप में तीन मेडल्स जीते।2017 और 2022  में पारा शूटिंग वर्ल्ड कप में सिल्वर मैडल जीता। Covid-19 आया और नई दिक्कतें Avni Lakhera के सामने आयी।

पैरा ओलंपिक्स २०२० कैंसिल हो गए और लॉक डाउन के कारण अवनि को अपनी प्रैक्टिस में भी दिक्कतें आयी क्योंकि उनके पास इक्विपमेंट्स नहीं थे।  लेकिन फिर से अवनि की हिम्मत और मेहनत रंग लायी और टोक्यो 2022 में गोल्ड जीत कर अवनि पहली महिला खिलाडी बानी पराओलिम्पिक्स में भारत के लिए गोल्ड जीतने वाली।  उन्होंने 10 म एयर राइफल स्टैंडिंग S-1 में गोल्ड जीता । 

इस गोल्ड के लिए Avni Lakhera भारत सरकार की तरफ से पदमश्री भी मिला। टोक्यो परलिम्पिक में गोल्ड जीतने के बाद अवनि के पिता प्रवीण लखेरा ने कहा की उनके पास शब्द नहीं हैं अपनी ख़ुशी बताने के लिए।  टोक्यो ओलंपिक्स में अवनि का एक और मैडल भी थ।  उन्होंने ५० मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग इवेंट में ब्रोंज भी जीता था।

Avni Lakhera का पेरिस ओलंपिक्स में कारनामा:

अब २०२४ समर पैरालिम्पिक्स में अवनि ने फिर से यही कारनामा दोहराया है।  फिर से १० मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग इवेंट में गोल्ड जीत कर दो गोल्ड जीतने वाली भारत की पहली एथलिट बन गयी हैं।
Avni Lakhera अभी राजस्थान यूनिवर्सिटी से लॉ पढ़ रही हैं और एक दिन जज बनने का सपना देखती हैं।  उनके अनुसार शूटिंग ने उन्हें पढाई में भी कंसन्ट्रेट करने में हेल्प की है।  अवनि को जानने के बाद यह कहा जा सकता है की वह जज भी बन कर ही रहेंगी। अपनी हिम्मत और अपनी डेटर्मिनेशन के कारण।  एक ऐसी सोसाइटी जहाँ पर विकलांग लोगो को अलग थलग करने की मानसिकता है  Avni Lakhera सभी स्टीरियो टाइप्स को धाराशाही करती नज़र आती हैं।  Avni Lakhera सिर्फ डिसैबिलिटीज वाले लोगो के लिए ही नहीं बल्कि सारी एबिलिटीज वाले लोगो के लिए भी इंस्पिरेशन बन सकती हैं।   

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