Waqf Board Amendment Bill के खिलाफ अपने अभियान को तेज़ करते हुए Jamiat Ulema-e-Hind ने टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू और जद (यू) नेता नीतीश कुमार से मुस्लिम समुदाय की भावनाओं का सम्मान करने और इस विधेयक से दूरी बनाने का आग्रह किया है।
Waqf Board Amendment Bill पर Jamiat Ulema-e-Hind का स्टैंड:
इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित ‘संविधान बचाओ सम्मेलन’ में Jamiat Ulema-e-Hind प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने प्रस्तावित विधेयक पर चिंता जताते हुए इसे “खतरनाक” करार दिया और चेतावनी दी कि अगर यह विधेयक पास हुआ तो केंद्र सरकार के “दो सहारे”, जो बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन दे रहे हैं, इसकी ज़िम्मेदारी से बच नहीं पाएंगे।
मदनी ने कहा कि बीजेपी सरकार अब कमजोर हो चुकी है और अब वह नायडू और कुमार जैसे सहयोगियों के समर्थन पर निर्भर है। उन्होंने बताया कि नायडू को इस कार्यक्रम का निमंत्रण भेजा गया था लेकिन वह इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके लेकिन उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता नवाब जान को भेजा है, जो Jamiat Ulema-e-Hind की इस सभा के संदेश को टीडीपी तक पहुंचाएंगे।
मदनी ने वक्फ़ की महत्ता पर जोर देते हुए इसे भारतीय मुसलमानों की धरोहर और आस्था का हिस्सा बताया और चेतावनी दी कि वक्फ़ के साथ जुड़े धार्मिक और भावनात्मक संबंधों की अनदेखी करना सिर्फ बीजेपी ही नहीं बल्कि इस बिल का समर्थन करने वाले सहयोगियों के लिए भी घातक सिद्ध हो सकता है।
Jamiat Ulema-e-Hind सम्मेलन के दौरान पास किये गए प्रस्ताव:
सम्मेलन के दौरान एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें मांग की गई कि वक्फ़ बोर्डों में केवल मुस्लिमों को ही नियुक्त किया जाए और वक्फ़ अधिनियम में किसी भी संशोधन के लिए सिर्फ मुस्लिम नेताओं और संगठनों से ही परामर्श किया जाए। प्रस्ताव में एनडीए के भीतर अपने आपको धर्मनिरपेक्ष कहने वाले दलों से अपील की गई कि वे इस विधेयक का समर्थन न करके अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि बनाए रखें।
मदनी ने घोषणा की कि जमीयत जल्द ही दिसंबर के अंत तक नायडू के क्षेत्र में पांच लाख मुसलमानों का एक विशाल सम्मेलन आयोजित करेगा ताकि वक्फ़ विधेयक पर मुस्लिम समुदाय की चिंताओं को सामने रखा जा सके। उन्होंने दोहराया कि अगर यह विधेयक पास हुआ तो इसके लिए सरकार के साथ-साथ उसके सहयोगी भी जिम्मेदार होंगे।
मदनी ने वक्फ़ की ऐतिहासिक महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि इसे हमारे पूर्वजों ने स्थापित किया था और इसमें धार्मिक आस्था का भाव जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि वक्फ़ संपत्तियों पर मुस्लिम प्रतिनिधित्व के बिना कोई हस्तक्षेप धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने बीजेपी द्वारा धार्मिक समुदायों को बांटने की कोशिशों की आलोचना की और कहा कि आपको उन्हें प्रोटेक्ट करना चाहिए क्योंकि हम बाहर से नहीं आये हैं।
अगर एक हिन्दू गुज्जर है तो एक मुस्लिम भी गुज्जर है। हिन्दू जाट हैं मुस्लिम जाट भी हैं। वे कहते हैं की हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई अलग अलग हैं लेकिन हम कहते हैं की हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी भाई भाई हैं।
चंद्रबाबू नायडू के प्रतिनिधि ने दिया आश्वासन:
वहीं, Jamiat Ulema-e-Hind सम्मेलन में टीडीपी नेता नवाब जान ने आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू मुस्लिम हितों के खिलाफ कोई भी विधेयक लागू नहीं होने देंगे। उन्होंने नायडू के धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहा कि नायडू हमेशा हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों का समान रूप से प्रतिनिधित्व करते हैं। जान ने बताया कि टीडीपी ने इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का समर्थन किया था ताकि इसे रोका जा सके। उन्होंने आगे कहा कि नायडू का मानना है कि धार्मिक संस्थानों में उस समुदाय के ही प्रतिनिधि होने चाहिएं।
प्रस्तावित Waqf Board Amendment Bill, जिसे अगस्त में संसद में पेश किया गया था, को कई राजनीतिक और धार्मिक संगठनों से विरोध का सामना करना पड़ रहा है। मुस्लिम नेता इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों पर गैर-मुस्लिमों के नियंत्रण की कोशिश के रूप में देख रहे हैं, जो वक्फ़ संस्थाओं की स्वायत्तता के खिलाफ है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह विधेयक वक्फ़ की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को कमजोर करने की कोशिश है, जिससे इन संपत्तियों के संरक्षण में बाधा आएगी। एनडीए में बीजेपी के बाद टीडीपी दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी है, और उसके पास 16 सांसद हैं, जिससे इस विधेयक पर उसका रुख काफी अहम है।
संयुक्त संसदीय समिति द्वारा नवंबर के अंत तक अपनी रिपोर्ट पेश करने की संभावना है, और टीडीपी की स्थिति अभी अनिश्चित है। टीडीपी के मुस्लिम नेता नायडू पर इस Waqf Board Amendment Bill का विरोध करने का दबाव बना रहे हैं, उनका मानना है कि यह मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है। टीडीपी ने अपने नेताओं से कहा है कि वह इस मुद्दे पर आगे चर्चा के बाद उचित निर्णय लेगी।
एक टीडीपी प्रतिनिधिमंडल ने पहले ही मुस्लिम नेताओं से मुलाकात की है, जिसमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिनिधि भी शामिल थे, ताकि समुदाय की चिंताओं को बेहतर ढंग से समझा जा सके। अगले कुछ हफ्तों में टीडीपी नेता और बैठकें और जनसभाएं करेंगे, जिसमें 15 दिसंबर को आंध्र प्रदेश में जमीयत द्वारा आयोजित एक प्रमुख सार्वजनिक कार्यक्रम भी शामिल है।
जहां सरकार का दावा है कि यह Waqf Board Amendment Bill वक्फ़ संपत्तियों की रक्षा के लिए है, वहीं विपक्षी सदस्य इसे अल्पसंख्यक अधिकारों पर सीधा हमला मान रहे हैं। जैसे-जैसे संसद का शीतकालीन सत्र नजदीक आ रहा है, सरकार के विधेयक को पास करने की कोशिशों के बीच विवाद बढ़ने की संभावना है।
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