NPS पर सरकार का U-Turn, लांच की Unified Pension Scheme

Unified Pension Scheme

भारत की पेंशन नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए, केंद्र सरकार ने एक नई ‘Unified Pension Scheme’ (UPS) की घोषणा की है, जो पहले की उदार Old Pension Scheme (OPS) की तरह है।

Unified Pension Scheme का यह निर्णय, जिसे केंद्रीय कैबिनेट ने 24 अगस्त 2024 को मंजूरी दी, ने 21 साल पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में लाए गए पेंशन सुधार को उलट दिया है। यह सुधार, जिसे National Pension Scheme (NPS) कहा जाता था, का उद्देश्य योगदान आधारित मॉडल द्वारा पेंशन प्रणाली को वित्तीय रूप से टिकाऊ और फायदेमंद बनाना था। हालांकि, वर्षों से कर्मचारी संगठनों की मांग और कई राज्य सरकारों के विरोध के बाद, UPS , जिसमे OPS के कई सारे लाभ वापस रखे गए हैं, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को सुरक्षित सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान कर रहा है।

Unified Pension Scheme तुरंत लगभग 23 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को लाभ पहुंचाएगी, और यदि राज्य सरकारें इस योजना में शामिल होने का निर्णय लेती हैं तो यह संख्या 90 लाख तक बढ़ सकती है। यह योजना अंतिम वेतन के आधार पर सुनिश्चित पेंशन प्रदान करती है, जो NPS द्वारा ख़त्म की गई OPS के काफी करीब है।

पुरानी पेंशन योजना (OPS) बनाम नई पेंशन योजना (NPS)

OPS के तहत, सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता था, जिसमें महंगाई भत्ते (DA) की वृद्धि के आधार पर समायोजित किया जाता था। OPS में पेंशन को पूरी तरह से सरकार द्वारा फण्ड किया जाता था, जिससे OPS वित्तीय रूप से एक ख़राब विकल्प माना गया। क्योंकि सेवानिवृत्त कर्मचारियों की संख्या और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के चलते उनकी उम्र भी बढ़ती जा रही थी।

2004 में, वाजपेयी सरकार ने पेंशन संबंधित खर्चों पर नियंत्रण पाने के लिए NPS को पेश किया। OPS के विपरीत, NPS एक योगदान आधारित योजना थी जिसमें सरकारी कर्मचारी और उनके नियोक्ता नियमित रूप से उनके सेवानिवृत्ति कोष में योगदान करते थे। इन कोषों को निवेश योजनाओं में निवेश किया जाता था । हालांकि NPS ने अधिक लचीलापन प्रदान किया और आर्थिक रूप से भी NPS सरकार के लिए फायदेमंद थी लेकिन इसमें बाजार के खराब प्रदर्शन के समय पेंशन की राशि कम होने का जोखिम भी शामिल था।

सुरक्षा की वापसी: Unified Pension Scheme (UPS) की मुख्य विशेषताएं

Unified Pension Scheme पुरानी प्रणाली की सुरक्षा और प्रेडिक्टेबिलिटी को वापस बहाल करती है। UPS सुनिश्चित करता है कि कम से कम 25 वर्षों की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति से पहले के 12 महीनों के औसत बेसिक पे का 50% जीवन भर की मासिक पेंशन के रूप में दिया जाएगा। जिन कर्मचारियों ने 25 साल से कम की सेवा की है, उनके लिए पेंशन उनकी सेवा के आधार पर होगी लेकिन पेंशन पाने के लिए  न्यूनतम 10 वर्षों की सेवा का प्रावधान रखा गया है।

Unified Pension Scheme फॅमिली पेंशन भी सुनिश्चित करता है जिसका प्रावधान है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके जीवनसाथी को उस कर्मचारी की पेंशन का 60% पारिवारिक पेंशन के रूप में मिलेगा। इसके अतिरिक्त, जिन कर्मचारियों ने कम से कम 10 वर्षों की सेवा की है, उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद ₹10,000 प्रति माह की न्यूनतम पेंशन का भी आश्वासन दिया गया है। महंगाई इंडेक्सेशन, जो OPS की एक प्रमुख विशेषता थी, को दोबारा शामिल किया गया है, जिससे यह आश्वासन है कि पेंशन और पारिवारिक पेंशन महंगाई के साथ बढ़ती रहेंगी।

पेंशन के इन् लाभ के अलावा, सेवानिवृत्ति के समय एकमुश्त भुगतान का प्रावधान भी किया गया है जिसका मूल्य कर्मचारियों को उनके सेवा के हर छह महीने पूरे होने पर उनके मासिक वेतन (वेतन + DA) के 1/10 भाग के बराबर होगा। यह भुगतान कर्मचारी की पेंशन और ग्रेच्युटी लाभों से अलग होगा, जिससे सेवानिवृत्ति के समय उनकी वित्तीय सुरक्षा और भी मजबूत होगी।

योजना में पेंशनभोगियों के लिए Dearness Relief (DR) भी शामिल है, जो अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (AICPI-IW) से जुड़ी है। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है  कि पेंशन मुद्रास्फीति के साथ वैसे ही तालमेल रखती है जैसे कि सेवारत कर्मचारियों का वेतन रखता है।

Unified Pension Scheme के आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव

UPS उस वित्तीय असुरक्षा को दूर करता है जिसे कई सरकारी कर्मचारी NPS के तहत महसूस कर रहे थे। सुनिश्चित पेंशन और महंगाई सुरक्षा के साथ, Unified Pension Scheme सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए एक ऐसा स्थायित्व और सम्मान बहाल करती है, जिसे NPS के तहत खो दिया गया माना जा रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के लिए यह एक राजनितिक जीत है जो कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करता है। साथ ही यह उन विपक्षी शासित राज्यों के दबाव को भी ख़त्म करता है जो पहले ही OPS को पुनः लागू कर चुके हैं।

हालांकि, इसके आर्थिक प्रभाव पर भी चिंता जताई जा रही है। NPS का मुख्य लाभ यह था कि यह वित्तीय रूप से टिकाऊ विकल्प था, क्योंकि पेंशन कि लागत कर्मचारी और सरकार के बीच बंटी हुई थी। OPS जैसी प्रणाली में वापस लौटना, जहाँ सरकार पूरी पेंशन का भार वहन करती है, वित्तीय स्थिरता के बारे में सवाल उठाता है। हालाँकि Unified Pension Scheme में हर तीन वर्षों में नीतिगत समीक्षाओं का प्रावधान है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दायित्व अधूरे न रहें लेकिन सरकारी खजाने पर बढ़ते वित्तीय बोझ को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।

सुनिश्चित पेंशन की वापसी से सरकारी वित्तीय संसाधनों पर दबाव बढ़ सकता है, विशेषकर यदि राज्य सरकारें भी इस योजना को अपनाती हैं। भारत की सार्वजनिक पेंशन देनदारी का पहले से ही भारी बोझ है, और इस बोझ को और बढ़ाने से सरकार की अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे बुनियादी ढाँचा, स्वास्थ्य, और शिक्षा में निवेश करने की क्षमता पर असर पड़ सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर पोस्ट कर के Unified Pension Scheme के पास होने पर ख़ुशी व्यक्त की है।

कर्मचारी कल्याण और वित्तीय जिम्मेदारी के बीच संतुलन

Unified Pension Scheme(UPS) सरकारी कर्मचारियों के कल्याण और वित्तीय जिम्मेदारी के बीच एक नाजुक संतुलन बना रही है। यह केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी जीत है और सरकार की सामाजिक सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता के साथ मेल खाती है, लेकिन इस पेंशन प्रणाली को दीर्घकालिक रूप से वित्तीय रूप से टिकाऊ बनाए रखने के लिए सतर्क निगरानी और नियमित मूल्यांकन की आवश्यकता होगी।

प्रत्येक तीन वर्षों में वादा किए गए एक्चुरियल समीक्षा (बीमांकिक समीक्षाएं) इस संतुलन को प्रबंधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। यदि ये समीक्षाएं संकेत देती हैं कि पेंशन दायित्व अपेक्षा से अधिक तेजी से बढ़ रहे हैं, तो सरकार को कुछ कठोर निर्णय लेने होंगे। संभवतः, इस योजना को समय के साथ आगे बढ़ाने के लिए इसमें  कर्मचारियों द्वारा अधिक योगदान कराया जाए। या इस प्रणाली को व्यावहारिक बनाने के लिए दूसरे आवश्यक अड़जस्टमेंट्स किये जाएँ।

Unified Pension Scheme: राजनीतिक प्रभाव और भविष्य के विचार

राजनीतिक रूप से, Unified Pension Scheme सरकारी कर्मचारियों और गैर-भाजपा राज्य सरकारों के बीच बढ़ते असंतोष के जवाब के रूप में आई है। कई राज्यों ने पहले ही पुरानी पेंशन योजना (OPS) को पुनः लागू कर दिया है, और अन्य राज्यों के कर्मचारी संगठनों ने भी ऐसा ही करने की मांग कर रहे हैं। नई योजना मोदी सरकार को इस पर चल रही चर्चा को नियंत्रित करने की अनुमति देती है जिसमे कर्मचारियों को OPS के तहत मिलने वाले कई लाभ बहाल किये गए हैं और साथ ही NPS द्वारा लाए गए कुछ वित्तीय सुरक्षा उपाय भी इसमें बरकरार हैं।

भविष्य में, UPS की सफलता इसके कार्यान्वयन और सरकार की इसकी लागत को वहन करने की क्षमता पर निर्भर करेगी। राज्य सरकारों के लिए इस योजना में शामिल होने का विकल्प इसकी पहुंच को बढ़ा सकता है, लेकिन साथ ही यह संभावित वित्तीय बोझ को भी बढ़ाएगा। जैसे-जैसे अधिक राज्य Unified Pension Scheme में शामिल होने पर विचार करेंगे, केंद्रीय सरकार पर यह सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ेगा कि यह योजना सस्ती बनी रहे।

अंत में, यूनिफाइड पेंशन योजना एक महत्वपूर्ण नीति बदलाव को चिह्नित करती है, जो सरकारी कर्मचारियों के लिए सुरक्षा की भावना को तो बहाल करती है लेकिन वित्तीय स्थिरता के बारे में भी महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती है। यह फिलहाल तो कर्मचारियों की तत्काल आवश्यकताओं और सरकार की दीर्घकालिक वित्तीय हालात के बीच संतुलन बनाती है, लेकिन इसकी अंतिम सफलता सावधानीपूर्वक प्रबंधन और नियमित समीक्षा पर ही निर्भर करेगी। सुनिश्चित पेंशन के युग की वापसी भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार में एक नए युग का संकेत दे सकती है, लेकिन आने वाले वर्षों में इसे सतर्कता और समय के साथ बदलने की आवश्यकता होगी।

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