Rahul Gandhi Caste: हम दुनिया में विश्व गुरु बनने की बाट जोह रहे है, और भारत जिससे चलता है उसी संविधान में सामान नागरिक की बात कही गयी है. सरकार योजनांए बनाकर जाति भेदभाव को ख़त्म करना चाहती है. लेकिन आज भी देश में कुछ नेता है जो जाती भेदभाव की बात करते है. 30 जुलाई को संसद में राजयसभा संसाद अनुराग ठाकुर ने बहस बहस में राहुल गांधी को जाति के बारे में बोल दिया जिससे राजतनीक गलियारों में यह मुद्दा गरमा गया.
नेताओं द्वारा जाति के मुद्दे को उठाना एक प्रकार से जाति अन्याय पर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास होता है, और यह भी एक सवाल है कि सबसे प्रभावी तरीके क्या हैं जो जाति की वास्तविकता को उजागर कर सकते हैं। अब हमें यह भी सोचना होगा की आज हम जब 21वी में भी जाति की बात करनी चाहिए ? क्या यह सामान समाज के लिए गलत नहीं ?
Intentions matter to Talk about Caste
> Rahul Gandhi talking about Caste because he want Social Justice in Society
> Anurag Thakur talking about Caste of RaGa bcs he want to show him as Low level
Both are not Same. #RahulGandhi #AnuragThakur #Delhi
pic.twitter.com/JN5v3sPYaU— Veena Jain (@DrJain21) July 30, 2024
Rahul Gandhi Caste: संसद में जाति को लेकर हुए इस विवाद ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि जाति भारतीय समाज की एक जटिल और महत्वपूर्ण समस्या है। प्रियंका गांधी, पवन खेड़ा, और अनुराग ठाकुर के बयानों ने इस मुद्दे पर राजनीति और सामाजिक चिंताओं को सामने लाया है। यह स्पष्ट है कि जाति की समस्या का समाधान एक गहरी और व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, और इसे केवल राजनीतिक बहस के माध्यम से नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक सुधारों के माध्यम से हल किया जा सकता है।
Rahul Gandhi Caste पर प्रियंका गांधी की प्रतिक्रिया
प्रियंका गांधी वाड्रा ने संसद में जाति पर हुई बहस के संबंध में तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि 80 प्रतिशत भारतीय जनता की मांग को लेकर एक जाति जनगणना की आवश्यकता है, और संसद में जाति के बारे में टिप्पणी करने वाले नेताओं को उनके जाति के बारे में बात करनी चाहिए। प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (X) पर एक हिंदी पोस्ट में कहा कि क्या अब संसद में 80 प्रतिशत लोगों का अपमान किया जाएगा? उन्होंने सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर यह सब हुआ है।
सामाजिक-आर्थिक-जातीय जनगणना इस देश के 80% लोगों की मांग है। आज भरी संसद में कहा गया कि जिनकी जाति का पता नहीं, वे गणना की बात करते हैं।
क्या अब देश की संसद में देश की 80% जनता को गालियां दी जाएंगी? नरेंद्र मोदी जी को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या यह उनके कहने पर हुआ है? pic.twitter.com/kQi5Y2Rsph
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 30, 2024
Rahul Gandhi Caste पर कांग्रेस का बयान
Rahul Gandhi Caste: कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने भी इस विवाद पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा का असली चेहरा सामने आ गया है और यह केवल भाजपा का ही मानसिकता हो सकता है कि एक व्यक्ति जो शहीद परिवार से है, उसकी जाति के बारे में बातें की जाएं। पवन खेड़ा ने एक वीडियो बयान में कहा कि राहुल गांधी का परिवार शहीदों का परिवार है और उनकी जाति “शहीदी” है, जिसे भाजपा और संघ परिवार कभी समझ नहीं सकते।
Rahul Gandhi Caste: अनुराग ठाकुर की टिप्पणी
Rahul Gandhi Caste: केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने संसद में कहा था कि जिनकी जाति का पता नहीं है, वे जाति जनगणना की बात करते हैं। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि संसद में एक पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ओबीसी आरक्षण के खिलाफ विरोध किया था। राहुल गांधी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें अपमानित किया गया है और उन्होंने अनुराग ठाकुर द्वारा किए गए अपमान को स्वीकार किया है, लेकिन उनसे किसी भी प्रकार की माफी की अपेक्षा नहीं की है।

Rahul Gandhi Caste: अखिलेश ने यहाँ की यह अधिकार नहीं की जाती पूछे
Rahul Gandhi Caste पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने अनुराग ठाकुर के बयान पर सवाल उठाया और कहा कि ठाकुर को यह अधिकार नहीं है कि वे किसी के जाति के बारे में पूछें। यादव ने इसे अत्यंत आपत्तिजनक और अनावश्यक करार दिया।

जाति की भूमिका और राजनीति में इसका प्रभाव
जाति आज भी भारतीय समाज की एक महत्वपूर्ण और विवादित वास्तविकता है। इसके बावजूद, हमारे समाज, राजनीति और अर्थव्यवस्था में हुए व्यापक परिवर्तनों के बावजूद जाति पहचान अवसरों को संरचित करती है, भेदभाव की अनुमति देती है और हिंसा को मान्यता देती है। जाति समाज में समानता और समावेशिता की बाधाओं को उत्पन्न करती है। भारतीय राजनीति में जाति एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुकी है और इसे राजनीतिक रूप से भी सक्रिय किया जाता है।
संसद में जाति को लेकर हुए इस विवाद ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि जाति भारतीय समाज की एक जटिल और महत्वपूर्ण समस्या है। प्रियंका गांधी, पवन खेड़ा, और अनुराग ठाकुर के बयानों ने इस मुद्दे पर राजनीति और सामाजिक चिंताओं को सामने लाया है। यह स्पष्ट है कि जाति की समस्या का समाधान एक गहरी और व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, और इसे केवल राजनीतिक बहस के माध्यम से नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक सुधारों के माध्यम से हल किया जा सकता है।
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