Mamta Banerjee: भारतीय राजनीती की एक फायरब्रांड नेता!

Mamta Banerjee

Mamta Banerjee: कोलकाता के हरीश चटर्जी स्ट्रीट में बसे टेर्राकोटा टाइल की छत वाले घर में 5 जनवरी 1955 को एक छोटी लड़की का जन्म हुआ, जिसका नाम रखा   गया Mamta Banerjee। उनका परिवार साधारण लोअर  मिडिल  क्लास  परिवार  था, और Mamta Banerjee ने मिल्क बूथ वेंडर की तरह भी काम  किया  अपनी गरीबी  से लड़ने  के लिए।

Mamta Banerjee की पारिवारिक स्थिति:

Mamta Banerjee के पिता का निधन इलाज की कमी के कारण जब ममता १7 साल की थी जब हो गया और उनके परिवार का वित्तीय संकट और भी गहरा गया। लेकिन अड़चने ममता के अंदर की आग को कभी ख़तम नहीं कर सकी।  ग्रेजुएशन डिग्री ली हिस्ट्री में मास्टर’स डिग्री ली इस्लामिक हिस्ट्री मे।

साथ ही उनके पास कलकत्ता यूनिवर्सिटी से एजुकेशन एंड लॉ की डिग्री भी है।  ममता बनर्जी 100 से ज्यादा किताबें लिख चुकी हैं और एक सेल्फ-टॉट  पेंटर भी हैं। अपने वाल्कथॉन और मार्केस के लिए जानी जाती हैं।

साथ ही Tech Savvy हैं और सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहती हैं। एक ही रंग के बॉर्डर वाली वाइट कॉटन साड़ी और स्लिपर उनका सिग्नेचर स्टाइल है। फुल टाइम पॉलिटिक्स में जाने  से पहले स्टेनोग्राफर  और प्राइवेट  टुटर  की तरह  भी काम  किया  है।

राजनीती में Mamta Banerjee का आगाज़:

1970s में, Mamta Banerjee ने कांग्रेस पार्टी के साथ राजनीति में पहला कदम रखा। 1975 में jaiprakash के खिलाफ प्रोटेस्ट करते  हुए उनकी  कार  पर डांस  करती हुई ममता की तरफ प्रेस मीडिया का ध्यान पहली बार गया।  उनकी प्रसिद्धि बढ़ी और महिला कांग्रेस वेस्ट बंगाल की वह जनरल  सेक्रेटरी बनी 1976 में और इस पद पर 1980 तक रहीं।

1984 में, केवल 29 साल की उम्र में, ममता ने अपनी पहली लोकसभा चुनाव लड़ा और कम्युनिस्ट बड़े नेता सोमनाथ चटर्जी को हराया। लेकिन उनकी यात्रा कभी आसान नहीं रही। 1980 और 1990 के दशक में, ममता ने पश्चिम बंगाल में शासक लेफ्ट फ्रंट से तीव्र विरोध का सामना किया। उन्होंने राजनीतिक और व्यक्तिगत लड़ाइयों का सामना किया।

रैलियों में शारीरिक हमलों से लेकर अपनी पार्टी में नजरअंदाज किए जाने तक, उन्होंने सब कुछ झेला।1989 में  एंटी-कांग्रेस लहर में  मालिनी  भट्टाचार्य  से ये सीट हार गयी।  1991 में कलकत्ता साउथ कोंस्टीटूएंसी से वापस संसद में आयी। नरसिम्हा राव के कैबिनेट में मंत्री भी बनी। लेकिन 1993 में उन्होंने उनको नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और उन्हें उनके पद से हटा दिया गया गया।

1992 में एक फिजिकली चैलेंज्ड गर्ल जिसका एक CPI(M) के नेता ने रेप किया था उसको लेकर मुख्यमंत्री ज्योति बासु के पास राइटर्स बिल्डिंग में ले जाना चाहती थी जब उनको गिरफ्तार कर लिया गया और पुलिस ने उनके साथ बदतमीजी की।  तब ममता ने कसम खायी की अब इस बिल्डिंग में चीफ मिनिस्टर बन कर ही लौटेंगी।

1996 में उन्होंने  कांग्रेस  के  ऊपर  वेस्ट  बंगाल में सीपीआई (M) के  स्टूज की तरह  काम  करने  का  आरोप  लगाया।1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 के  आम  चुनावों  में  वह  लगातार अपनी कोलकाता साउथ सीट  से  जीतती रही।

TMC की स्थापना:

1990 के दशक के अंत में, Mamta Banerjee ने कांग्रेस पार्टी की नेतृत्व से तंग आकर 1998 में मुकुल रॉय के साथ अपनी खुद की पार्टी – तृणमूल कांग्रेस (TMC )की स्थापना की।  TMC ममता का एक सपना था, और उनकी नेतृत्व में इसका उदय तेजी से हुआ। वे ‘दीदी’ के रूप में जानी जाने लगीं, जो आम लोगों की भाषा बोलने वाली नेता थीं।

उनके गरीबों के लिए किए गए अथक कार्य, किसानों के लिए उनकी वकालत, और कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ उनकी कट्टरता ने उन्हें बंगाल के लोगो  से सीधे जोड़ा। 11 दिसंबर 1998 के दिन ममता बनर्जी पार्लियामेंट में वीमेन रिजर्वेशन बिल के ऊपर डिस्कशन  के समय SP MP दुर्गा  प्रसाद  सरोज  को कालर  से पकड़  कर वेल  से बहार  खींच  लायी  ताकि  वह वीमेन रिजर्वेशन बिल  का विरोध न कर पाएं ।  इतने  सालो  के बाद भी यह फाइटिंग  स्पिरिट  बिना  रुके जारी  है और अब  वह देश  के लिए दीदी  बन  चुकी  हैं !

1999 में  NDA गवर्नमेंट  के  साथ  आयी  और  रेलवे  मिनिस्टर बनी।  लेकिन  2001 में  तहलका  के ऑपरेशन  वेस्ट  एन्ड   में  NDA कैबिनेट  के  सीनियर  लीडर्स के खिलाफ  भ्रष्टाचार  के  आरोपों  के  बाद  उन्होंने  NDA से  वाकआउट कर  दिया  और  कांग्रेस से  हाथ  मिला  लिया । 2004 में ममता फिर  वापस  NDA में आयी लेकिन 2004 के चुनावों में NDA पावर  से बाहर  हो गया।

2006 में ममता असेंबली  एलेक्शंस  भी हार गयी।  आधे  से ज्यादा  इनके  सिटींग  मेंबर्स  चुनाव हार चुके  थे।  लोकसभा  में ममता बनर्जी ने 2006 में ऐडजोर्नमेंट  मोशन  दिया वेस्ट बंगाल में बांग्लादेशियो  के ऊपर चर्चा  करने के लिए। सोमनाथ  चटर्जी  ने यह ऐडजोर्नमेंट  मोशन  यह कह  कर रिजेक्ट  कर दिया की फॉर्मेट  प्रॉपर  नहीं है ।

Mamta Banerjee ने चरणजीत  सिंह अटवाल  जो की डिप्टी स्पीकर  के ऊपर अपना  रेसिग्नेशन  लेटर फेंक  कर रिजाइन  कर दिया।  इस  से पहले  वे  स्पीकर  पुर्नो  सगमा  के ऊपर शाल  भी फेक  चुकी  हैं।

Mamta Banerjee का Singur आंदोलन:

2005 में Mamta Banerjee ने बुद्धदेब चटर्जी  की वेस्ट बंगाल की सरकार के खिलाफ इंडस्ट्रियल  डेवलपमेंट के नाम  पर जबरदस्ती  लैंड एक्वीज़ीशन और किसानो पर अत्त्याचार  करने के लिए आंदोलन  शुरू  किया।  2006 में टाटा मोटर्स के एक प्रोजेक्ट के खिलाफ ममता ने सिंगुर में आंदोलन  शुरू  किया।  4 दिसंबर को ममता ने अपनी  26 दिन  लम्बी हंगर  स्ट्राइक  शुरू  की।

तत्कालीन  प्रेजिडेंट  अब्दुल  कलाम  को ममता की हेल्थ  की चिंता  हुई और उन्होंने  न  सिर्फ   मनमोहन सिंह जो की प्रधानमन्त्री थे उन्हें ये इशू रेसॉल्व  करने को कहा  बल्कि  ममता से भी अपील  की कि वे  फ़ास्ट वापस ले लें क्योंकि “ज़िन्दगी बहुत कीमती है”।  मनमोहन सिंह ने भी एक लेटर वेस्ट बंगाल के तब के राज्यपाल गोपाल कृष्णा गाँधी को फैक्स किया जो तुरंत Mamta Banerjee को दिया गया।

ममता बनर्जी ने इस लेटर के मिलने के बाद 29 दिसंबर को आधी रात में फ़ास्ट तोड़ दिया।  बाद में 2016 में ममता सही साबित हुई जब सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में टाटा मोटर्स के लिए 997 एकर्स के इस लैंड अकुइसिशन को गलत माना।

Mamta Banerjee का Nandigram आंदोलन:

सिंगुर से निकल कर 2007 में ममता पहुंची नंदीग्राम।  नंदीग्राम पुरबा मेदिनीपुर जिले में पड़ता है और इसके रूरल एरिया में स्पेशल इकनोमिक जोन बनाने के लिए 10,000 एकड़ जमीन का सरकार को अधिग्रहण करना था।  यह जोन इंडोनेशिया का सालेम ग्रुप डेवेलप करने वाला था।

गाँव वाले इसका विरोध कर रहे थे और पुलिस ने उन पर गोली बारी की जिसमे 14 ग्रामीणों की मृत्यु हो गयी और 70 घायल हो गए।  बनर्जी ने प्रधान मंत्री को पात्र लिखा की वो लेफ्ट द्वारा किये जाने वाले इस स्टेट स्पोंसरेड़ विजलेंस को रोके जिसमे करीब 300 महिलाओ के साथ छेड़खानी और rape का आरोप भी लेफ्ट के कैडर पर लगाया गया।

हालांकि सीबीआई की रिपोर्ट ने बुद्धदेब भट्टाचार्जी को किसानो के ऊपर गोली चलाने का आदेश देने के आरोप से बरी कर दिया लेकिन बुद्धदेब ने अपने कार्यकर्ताओ की हिंसा का सपोर्ट यह कह कर किया कि विपक्ष को उसकी भाषा में जवाब दे दिया गया है।

वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री Mamta Banerjee:

विशेषज्ञों का मानना है कि नंदीग्राम ने Mamta Banerjee को पश्चिम बंगाल कि सत्ता दिलाई। यह बात और है कि इसी नंदीग्राम से ममता 2021 में बीजेपी के सुवेंदु अधिकारी से 1,956 वोटो से हार गयी।  इस रिजल्ट को ममता ने चैलेंज किया हुआ है और मामला अभी अदालत में चल रहा है।   2011 में बदलाव की हवा chALI  और ममता ने तृणमूल कांग्रेस को ऐतिहासिक जीत दिलाई और  पश्चिम बंगाल में 34 वर्षों का लेफ्ट फ्रंट शासन ख़त्म किया । उनकी जीत केवल राजनीतिक नहीं थी – यह प्रतीकात्मक थी।

Mamta Banerjee का कार्यकाल:

Mamta Banerjee ने एक अजेय शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी और विजयी हुईं। वे पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं, और उन्होंने अपने गवर्नेंस को तीन “म”  के  शासन  के  रूप  में  बताया।  ये तीन “म” हैं माँ, मानुष और माटी। टाइम मैगज़ीन ने 2012 में उन्हें दुनिया के 100 सबसे असरकारी लोगो में भी सम्मिलित किया।

मुख्यमंत्री बनाने के बाद भी ममता अपने एन्सेस्ट्राल होम में ही रहती रही। कहा जाता है जब अटल बिहारी वाजपई प्रधानमन्त्री के रूप में उनके घर गए तो वे उनका घर देख कर आश्चर्य चकित रह गए थे। उनका  घर  पुराना  होने  के  कारण  अक्सर  वहां  पानी  भर  जाता  है ।

मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने अपने वादों को पूरा करने के लिए काम किया – इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने से लेकर सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने तक। उन्होंने “कन्याश्री” जैसे योजनाएं शुरू कीं, जो लड़कियों की शिक्षा के लिए वित्तीय मदद प्रदान करती थी, और “सब्जू सাথि,” जो छात्रों को साइकिल वितरित करने के माध्यम से सशक्तिकरण का उद्देश्य था। उनकी सरकार के तहत, बंगाल ने स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण प्रगति देखी।

लेकिन ममता पर आरोप भी लगते रहे हैं।  उनका व्यहवार विपक्ष के लिए , वेस्ट बंगाल के चुनावों में हिंसा के लिए , ला एंड आर्डर के मिसयूज के लिए ममता के ऊपर आरोपों कि लम्बी लिस्ट है।  और ये आरोप निराधार तो नहीं हैं। Mamta Banerjee ने जाधव पुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को कार्टून बनाने पर जेल में डलवा दिया।  लेकिन ममता के राजनितिक जीवन कि सबसे बड़ी परीक्षा अभी चल रही है।

RG Kar मेडिकल कॉलेज रपे के मामले में ममता प्रशासन पर गंभीर आरोप हैं।  सबूत मिटाने कि कोशिशों से ले कर एक कोर्रुप्त प्रधानाचार्य संदीप घोष को बचाने तक।  लोग सड़को पर हैं और पहली बार ममता निरुत्तर नज़र आ रही हैं।

अपने पुरे पोलिटिकल जीवन के दौरान Mamta Banerjee सादगी के साथ ही नज़र आयी।  वह एक बेहद प्रतिभाशाली महिला है जो कविता लिखती हैं पेंटिंग बनाती हैं , और लिरिक्स लिखती हैं।  एक पूरी तरह से सेल्फ मेड राजनेता हैं ममता बनर्जी जिन्होंने अपने संघर्ष के बल पर अक्रॉस थे पार्टी लाइन सम्मान कमाया है और अब उनका इतना रुतबा है की जब वो बोलती हैं तो लोग सुनते हैं।

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