keshav baliram hedgewar: कौन है केशव बलिराम हेडगेवार ? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS के संस्थापक

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keshav baliram hedgewar: डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का नाम भारतीय इतिहास में प्रमुख रूप से जाना जाता है। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक थे, जिसने भारतीय समाज में राष्ट्रवाद और सेवा का एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उनका जीवन और कार्य प्रेरणादायक हैं, जिन्होंने भारतीय संस्कृति और सभ्यता के पुनरुत्थान के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।

keshav baliram hedgewar: प्रारंभिक जीवन

केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल 1889 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम बलिराम पंत और रेवतीबाई था। प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने कलकत्ता (अब कोलकाता) के नेशनल मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई की। यहीं पर उनके मन में स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने की भावना उत्पन्न हुई।

keshav baliram hedgewar: स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

डॉ. हेडगेवार का मन शुरू से ही देशभक्ति से भरा हुआ था। वे बाल गंगाधर तिलक और बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलनों से प्रेरित थे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वे अनेक आंदोलनों में सक्रिय रहे और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष किया। उनके क्रांतिकारी विचारों और कार्यों के कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।

keshav baliram hedgewar: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना

देशभक्ति और सेवा के विचारों से प्रेरित होकर, डॉ. हेडगेवार ने 1925 में विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना की। उनका उद्देश्य एक ऐसा संगठन बनाना था जो भारतीय समाज में नैतिकता, अनुशासन और देशभक्ति का प्रचार-प्रसार करे। उन्होंने युवाओं को संगठित किया और उन्हें समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण के कार्यों के लिए प्रेरित किया.

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keshav baliram hedgewar: आरएसएस का दृष्टिकोण और कार्य

आरएसएस का मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति और सभ्यता की रक्षा करना और समाज में राष्ट्रवादी विचारों का प्रसार करना था। इस संगठन ने शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य, और आपदा प्रबंधन के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। डॉ. हेडगेवार का मानना था कि एक संगठित समाज ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकता है।

keshav baliram hedgewar; निधन और विरासत

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का निधन 21 जून 1940 को हुआ। उनके निधन के बाद भी, उनके द्वारा स्थापित आरएसएस ने उनके विचारों और उद्देश्यों को आगे बढ़ाया। आज आरएसएस एक प्रमुख सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है, जो भारत के हर कोने में सक्रिय है और समाज सेवा के अनेक कार्यों में संलग्न है।

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हेडगेवार का 21 जून, 1940 को नागपुर में निधन हुआ था। उन्होंने निधन से एक दिन पहले गुरु गोलवलकर को एक चिट्ठी सौंपी थी। यह चिट्ठी को डॉक्टर साहब के निधन के 14 दिन बाद खोली गई और इसने सभी के होश उड़ा दिए, क्योंकि इस चिट्ठी के जरिए हेडगेवार ने अपना उत्तराधिकारी चुना था। आसान भाषा में कहें तो डॉक्टर साहब ने अगले सरसंघचालक के नाम से पर्दा उठाया था।

बंगाल से डॉक्टरी पढ़ने वाले हेडगेवार का उत्तराधिकारी अप्पाजी जोशी को समझा जा रहा था, लेकिन गुरु गोलवलकर का नाम किसी ने नहीं सोचा था। आखिरी चिट्ठी में हेडगेवार ने लिखा था, इससे पहले कि तुम मेरे शरीर को डॉक्‍टरों के हवाले करो, मैं तुमसे कहना चाहता हूं कि अब से संगठन को चलाने की पूरी जिम्‍मेदारी तुम्‍हारी होगी। गुरु गोलवलकर ने यह चिट्ठी 3 जुलाई, 1940 को संघ के तमाम बड़े नेताओं के सामने पढ़ी। अभी फ़िलहाल संघ के मुखिया मोहन भगवत है.

keshav baliram hedgewar: प्रेरणादायक बातें:

  1. संघ का कार्य व्यक्तियों को जोड़ने का है, तोड़ने का नहीं।
  2. अच्छे संस्कारों के बिना देशभक्ति की भावना पैदा नहीं होती।
  3. हिंदू समाज को संगठित और जागृत करना ही राष्ट्र जागृति हैं और यह राष्ट्रहित में है।
  4. भावनाओं में बहकर या आवेश में आकर कई लोग सामाजिक हितों के लिए खड़े हो जाते हैं, लेकिन मुश्किल वक्त में पीछे हट जाते हैं। ऐसे लोगों के साथ समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सकता।
  5. राष्ट्र सेवा सर्वोपरि है।

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