Kanwar Yatra nameplate controversy: कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों और भोजनालयों के लिए नेमप्लेट विवाद पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि हमें शिव भक्त कांवड़ियों के भोजन की पसंद का भी सम्मान करना चाहिए. जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवी एन भट्टी की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है.
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Toggleसुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हमारा आदेश साफ है कि अगर कोई अपनी मर्जी से दुकान के बाहर अपना नाम लिखना चाहता है तो हमने उसे रोका नहीं है. हमारा आदेश था कि कि नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.
Kanwar Yatra nameplate controversy: यूपी सरकार का निर्णय
कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नामपट्टिका लगाने का विवाद उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ। यूपी सरकार ने आदेश जारी किया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित दुकानों पर मालिकों के नाम की पट्टिका लगाई जाए। इस आदेश के बाद उत्तराखंड और मध्य प्रदेश ने भी समान आदेश जारी किए।
Kanwar Yatra nameplate controversy: सुनील लहरी का समर्थन
अभिनेता सुनील लहरी, जो ‘रामायण’ में लक्ष्मण के किरदार के लिए प्रसिद्ध हैं, ने इस मुद्दे पर अपने विचार साझा किए। एक इंस्टाग्राम वीडियो में उन्होंने कहा, “नाम हमारी पहचान है। हम अपने घर के बाहर नामपट्टिका लगाते हैं, तो दुकानों पर इसे लगाने में हिचक क्यों होनी चाहिए? कुछ लोग हर चीज को विवादित बनाने की आदत रखते हैं। उन्हें इस पर राजनीति बंद करनी चाहिए।”
Kanwar Yatra nameplate controversy पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों द्वारा जारी किए गए नामपट्टिका लगाने के आदेश पर अंतरिम रोक जारी रखी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यक्ति अपनी दुकान के बाहर नामपट्टिका लगाना चाहे तो वह स्वतंत्र है, लेकिन किसी को इसे अनिवार्य रूप से लागू करने का आदेश नहीं दिया जा सकता।
Kanwar Yatra nameplate controversy पर यूपी सरकार का हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि इस आदेश का उद्देश्य कांवड़ यात्रा के दौरान शांति बनाए रखना और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। सरकार का कहना है कि यह आदेश उपभोक्ताओं को सही जानकारी प्रदान करने और धार्मिक संवेदनाओं का सम्मान करने के लिए जारी किया गया था।

Kanwar Yatra nameplate controversy: विपक्ष और भाजपा का दृष्टिकोण
विपक्ष ने इस आदेश को “सम्प्रदायिक और विभाजनकारी” बताते हुए आरोप लगाया है कि यह आदेश मुस्लिम और अनुसूचित जातियों को लक्षित करने वाला है। वहीं, भाजपा ने इसे कानून व्यवस्था और धार्मिक भावनाओं के सम्मान के लिए आवश्यक कदम बताया है।
Kanwar Yatra nameplate controversy: आगे की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को इस आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई को निर्धारित की है। इस दौरान, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है।
संपूर्ण मामला अब सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश और संबंधित राज्यों की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा।
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