क्या भारत की संसद में ‘Jai Samvidhan’ नहीं बोला  जा सकता?

Jai Samvidhan

Jai Samvidhan : 18वीं लोकसभा का शपथग्रहण कार्यक्रम काफी तरह से निराला रहा।  जहाँ एक तरफ यह नए लोकसभा भवन में होने वाला पहला शपथ ग्रहण समारोह था वहीँ दूसरी और इस बार शपथ ग्रहण समारोह के दौरान नारेबाजी भी देखने को मिली।  नारेबाजी दोनों पक्षों द्वारा की गयी।  यह नारेबाजी न सिर्फ सरकार एवं विपक्ष के बाच कड़वाहटों का संकेत देती है बल्कि यह भी बताती है की इस बार का मोदी सरकार का कार्यकाल काफी धमाकेदार रहेगा।

एक तरफ जहाँ विपक्ष अपने संख्याबल के बढ़ जाने से उत्साहित है और लड़ने के लिए तैयार दिख रहा है वहीँ दूसरी तरफ सरकार भी बैकफुट पर नज़र नहीं आना चाहती। 

सत्ता पक्ष की आक्रामकता

ओम बिरला को दोबारा 18वीं लोकसभा का स्पीकर चुना गया है एवं उनके तेवर अभी तक के सूक्ष्म कार्यकाल में पिछले कार्यकाल से भी ज्यादा आक्रामक नज़र आते हैं।  यदि कुछ और नहीं तो यह आक्रामकता कम से कम संसद के सुचारु रूप से चलने में बाधक साबित हो सकती है।  गौरतलब रहे की ओम बिरला वह लोकसभा अध्यक्ष हैं जिन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में 100 विपक्षी सांसदों को ससपेंड किया था। इस बार उनकी लोकसभा स्पीकर के रूप में नियुक्ति होने पर विपक्षी सांसदों ने उनसे बार बार न्यूट्रल रहने की प्रार्थना की। यह स्पष्ट है की ओम बिरला का नाम विपक्षी सांसदों में स्पीकर के निष्पक्ष होने का विश्वास नहीं जगाता है।

शशि थरूर के साथ टोका टिप्पिणि

ऐसी परिस्थिति में ओम बिरला का शशि थरूर को जय संविधान कहने पर टोकना इस स्थिति को और बिगाड़ता ही है।  हुआ यूँ की और दूसरे विपक्षी सांसदों की तरह शशि थरूर भी शपथ लेने के लिए संविधान की कॉपी साथ ले कर आये।  उन्होंने शपथ ली एवं अंत में Jai Samvidhan का नारा लगाया।

 स्पीकर बिरला ने शशि थरूर को कहा “संविधान की शपथ तो ले ही रहे हैं” इस टोका टिप्पणी पर कांग्रेस के सांसदों ने आपत्ति दर्ज़ की।  दीपेंद्र हुड्डा ने बेंच पर खड़े हो कर स्पीकर बिरला से कहा की “आपको इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए थी सर” इस पर स्पीकर बिरला ने जवाब दिया “किस पर आपत्ति होनी चाहिए किस पर नहीं ज्यादा सलाह मत दिया करो।  चलो बैठो। 

शशि थरूर एक बेहद सॉफ्ट स्पोकन सांसद के रूप में जाने जाते हैं जिनके रिश्ते दोनों तरफ की बेंचों पर बैठे सांसदों के साथ अच्छे हैं।  उनके साथ इस तरह की टोका टिप्पणी कतई भी जस्टिफाई नहीं की जा सकती।  कांग्रेस पार्टी ने एकजुट हो कर इस घटना का विरोध किया।  उन्होंने सोशल मीडिया पर भी आपत्ति जताई।

विपक्ष का गुस्सा 

इस घटनाक्रम के बाद विपक्ष गुस्से में है।  प्रियंका गाँधी वाड्रा ने सवाल किया “क्या भारत की संसद में ‘ Jai Samvidhan ‘ नहीं बोला  जा सकता? साथ ही उन्होंने कहा की सत्ता पक्ष के असंवैधानिक नारो को नहीं रोका गया लेकिन जय संविधान पर आपत्ति जताई गयी।

 ध्यान रहे कि बरेली से बीजेपी सांसद छत्रपाल सिंह मीणा ने जय हिन्दू राष्ट्र का नारा अपनी शपथ लेने के दौरान संसद में लगाया था।  भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य है अतः इस प्रकार के नारे संसद में लगाना असंवैधानिक माना जाता है।

 कुल मिला कर  सरकार एवं विपक्ष के बीच टकराव हर छोटे एवं बड़े मुद्दे पर बढ़ रहा है। जहाँ संसद चालने की ज़िम्मेदारी सरकार की है वहां स्पीकर भी यह सुनिश्चित करता है की संसद में सब सांसदों की आवाज़ें सुनाई दें।  शशि थरूर मामले ने सरकार एवं विपक्ष के बीच कड़वाहट को और बढ़ा दिया है। यह टकराव एक वाइब्रेंट डेमोक्रेसी की तरफ ले कर  जाएगा या पिछली संसद की तरह इसका पटाक्षेप भी विपक्षी सांसदों के निलंबन के साथ होगा ये देखना दिलचस्प  रहेगा। 

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