Hathras Incident: हाथरस भगदड़ में 123 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और अभी भी कई लोग जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है, लेकिन इस एफआईआर में उस स्वंयभू बाबा का नाम शामिल नहीं है, जिसके उपदेश सुनने के लिए लाखों लोग जुटे थे।
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Hathras Incident पर नेताओं की चुप्पी का कारण
हाथरस हादसे को 3 दिन बीत चुके हैं। अब तक 123 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें 113 महिलाएं, 7 बच्चे और 3 पुरुष शामिल हैं। अभी भी 31 लोग जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। पुलिस एक्शन मोड में है और सीएम योगी सहित तमाम बड़े नेता हाथरस का दौरा कर चुके हैं।
आज राहुल गांधी भी हाथरस पहुंचे हैं, लेकिन इन्होने भी बाबा के ऊपर कोई बयान नहीं दिया। यूपी की मंत्री बेबी रानी मौर्या ने तथाकतिथ “बोले बाबा” उर्फ नारायण साकार हरि का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि कोई बाबा अपने चरणों की रज लेने के लिए नहीं कहता, लोग अपनी भावना से लेते हैं.. पूरे मामले की सरकार उच्च स्तरीय जाँच करा रही है.. जिसकी भूमिका होगी, उस पर कार्रवाई होगी. ये भी बाबा का नाम लेने से बचती हुयी दिखाई दी
Hathras Incident पर विपक्ष भी साधे हुए है चुप्पी
सरकार ही नहीं, विपक्ष भी भोले बाबा के खिलाफ चुप्पी साधे हुए है। लोकसभा चुनाव के दौरान पेपर लीक, संविधान संशोधन और आरक्षण जैसे मुद्दों पर खुलकर बोलने वाला विपक्ष भी हाथरस कांड में भोले बाबा का नाम लेने से बच रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स और स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसा बाबा के राजनीतिक दबदबे और पश्चिमी यूपी के दलितों के बीच उनकी मजबूत पकड़ की वजह से हो रहा है।

Hathras Incident: चुनावों में बाबा का महत्व
पिछले कुछ दशकों में भोले बाबा की लोकप्रियता काफी बढ़ गई है। कोई भी बाबा के खिलाफ नहीं बोलना चाहता। नौकरशाह, बिजनेसमैन और राजनेता सभी बाबा से मिलने जाते हैं। बाबा खुद दलित समुदाय से आते हैं, ऐसे में उनके खिलाफ बोलने से दलित वोट बैंक में सेंध लग सकती है। पश्चिमी यूपी के कई इलाकों में दलित वोट का दबदबा है। वह के लोकल लोगे से मिली जानकारी के मुताबिक चुनावों के दौरान बाबा के दरबार में तमाम पार्टियों के नेताओं की लंबी कतारें लगती हैं। जिन पार्टियों के बाबा का समर्थन होता है, वे प्रतीक के तौर पर पार्टी के झंडे के साथ बाबा का भी झंडा लगाती हैं।
Hathras Incident पर हाथरस हादसे की जांच के लिए कमेटी गठित
हाथरस भगदड़ मामले में अब तक छह लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। मुख्य आरोपी सेवादार पर एक लाख का इनाम घोषित किया गया है। हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस बृजेश कुमार श्रीवास्तव को हाथरस हादसे की न्यायिक जांच के लिए गठित आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। उन्होंने कहा है कि आयोग ने अपने काम की शुरुआत कर दी है और जांच को जल्द खत्म करने की कोशिश करेंगे।
Hathras Incident: बाबा का प्रभाव और राजनीतिक दबदबा
भोले बाबा ने शुरुआत में यूपी के कासगंज जिले के अपने पैतृक गांव में छोटी सभाएं करके अपने आध्यात्मिक करियर की शुरुआत की थी। साल 2000 में, खासतौर से महिलाएं, बाबा की सभाओं में उनके उपदेश और प्रवचन सुनने के लिए कतार में खड़ी होती थीं। पिछले कुछ सालों में, उनका राजनीतिक दबदबा काफी बढ़ गया है, जो न केवल पश्चिम यूपी में बल्कि दूसरे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक भी फैल गया है।
Hathras Incident: बाबा के आश्रम
भोले बाबा यूपी के मैनपुरी के बिछुआ में 21 बीघे में बने आश्रम में रहते हैं। उनके हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड में भी आश्रम हैं। यूपी में, एटा, मैनपुरी, कन्नौज, इटावा और अन्य जिलों में उनके 10 से ज्यादा आश्रम हैं। स्थानीय मीडिया पत्रकारों का कहना है कि बाबा की प्रभावशाली छवि के कारण उनका नाम FIR में नहीं है।
Hathras Incident में भगदड़ का कारण
एफआईआर के अनुसार, दोपहर 2 बजे के आसपास, जैसे ही भोले बाबा अपनी कार में कार्यक्रम स्थल से निकले, भक्तों ने उनके वाहन के रास्ते से धूल इकट्ठा करना शुरू कर दिया। लगभग दो लाख की भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जिससे बैठे और झुक रहे लोग कुचल गए। इससे भीड़ पर दबाव बढ़ गया, जिसके कारण महिलाएं, बच्चे और कुछ पुरुष कुचले गए। कई लोगों को गंभीर चोटें आईं और अराजकता और भगदड़ के कारण कुछ लोगों की जान चली गई।
इस घटना के बाद भी बाबा का नाम चर्चा में नहीं आ रहा है। यह सवाल उठता है कि बाबा की राजनीतिक पकड़ और प्रभाव के चलते ही शायद किसी भी नेता ने उनके खिलाफ खुलकर कुछ नहीं कहा है।
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