Ganiban: गुजरात में जहां भाजपा का राजनीतिक आधिपत्य है, वहां एक ऐसा चेहरा उभरा जिसने साड़ी अड़चनों को धता बताते हुए इतिहास में अपना नाम लिख दिया। गेनी बेन ठाकोर, गुजरात की अकेली कांग्रेस सांसद, केवल एक राजनीतिक नेता नहीं हैं; वह प्रतिरोध, दृढ़ता और आधारभूत शशक्तिकरण का प्रतीक हैं।
Ganiban: गेनी बेन ठाकोर, जो ओबीसी समुदाय से सम्बन्ध रखती हैं , की लोकसभा तक की यात्रा लोगो की सेवा करने के उनके अडिग निश्चय का सबूत है। कई अनुभवी नेताओं से इतर गेनी बेन ठाकोर ग्रासरूट कार्यकर्ता की तरह शुरुआत की और वह अपनी कम्युनिटी में अच्छी तरह से रच बसी हैं। राजनीती में उनका आना किसी महत्वकांक्षा के चलते नहीं बल्कि उनकी बे-आवाज़ और वंचित लोगो को ऊपर उठाने की इच्छा के कारण है।
गेनी बेन की चुनावी विजय नहीं, बल्कि उनका आम जनता के साथ जुड़े रहने का तरीका उनको अलग बनाता है । वह दूर की नेता नहीं हैं, जो केवल चुनाव के समय प्रकट होते हैं; वह अपने मतदाताओं की रोजाना की जिंदगी में एक परिचित चेहरा हैं। शादियों में भाग लेने से लेकर गाँव की मिलनसार बैठकों में शामिल होने तक, गेनी बेन की मौजूदगी लोगों के बीच रहती है, जिससे उन्हें “बाणास नी बेन” (बाणासकांठा की बहन) की उपाधि मिली है।
लेकिन गेनी बेन की विजय की राह कठिनाईयों से भरी थी। एक राज्य में जहाँ भाजपा का दबदबा हो गेनी बेन को न सिर्फ फाइनेंसियल मुश्किलों का सामना करना पड़ा बल्कि पार्टी मशीनरी की कमी का भी सामना करना पड़ा। फिर भी, उनकी अभियान को लोगों के समर्थन ने ऊर्जा से भर दिया, जो अटल एकता के साथ उनके पीछे खड़े हुए।
Ganiban: गेनी बेन के अभियान की सबसे बड़ी विशेषता में से एक उनका फंडिंग का इनोवेटिव तरीका था । अपने पार्टी से संसाधनों की कमी का सामना करते हुए, गेनी बेन फंडिंग के लिए लोगों की ओर मुड़ी। उन्होंने लोगो से 111 रुपये जितनी छोटी राशि ले कर अपने चुनाव प्रचार को फण्ड किया। फंडिंग के इस बुनयादी तरीके ने खुद लोगो को उनकी कॅंडिडासी में लोगो को इन्वेस्ट क्र दिया और साथ ही यह लोगो का उनमे विश्वास का भी प्रतीक था।

Ganiban: बाणासकांठा निर्वाचन क्षेत्र में जेनिबेन की विजय बस केवल कांग्रेस के लिए ही नहीं थी; यह राजनीतिक एकाधिकार के बीच ग्रास्सरूट एक्टिविज्म की एक विजय थी। अपने भाजपा प्रतिद्वंद्वी को हराकर, गेनी बेन ने गुजरात की सत्तारूढ़ पार्टी के चारों ओर की इन्विंसबिलिटी की मिथ्या को तोड़ दिया, और उम्मीद और परिवर्तन का एक शक्तिशाली संदेश दिया ।
Ganiban: गेनी बेन ठाकोर की यात्रा कांग्रेस के लिए गुजरात में एक आशा एवं उम्मीद का प्रतीक है। उनकी सफलता ने एक ऐसे राज्य में पार्टी की विजय एवं पुनर्जीवन की फिर उम्मीद जगाई है, जहाँ पर लंबे समय से उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी का राजनीतिक आधिपत्य है । लेकिन राजनीतिक जीत के अलावा, गेनी बेन की कहानी ग्रास्सरूट राजनीति की शक्ति और लोकतांत्रिक की जुझारू स्पिरिट का प्रतीक है। जब गेनी बेन कांग्रेस की गुजरात से अकेली सांसद के सफर पर निकलती हैं वो पीपल पॉवरेद पॉलिटिक्स के बदलाव के सामर्थ्य को प्रतिबिंबित करती हैं।