Emergency: 21 महीने की तानाशाही, जो भारतीय लोकतंत्र पर काला धब्बा बनी

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Emergency: 25 जून, 1975 की वो तारीख जब भारत के इतिहास में एक काला अध्याय लिखा गया। उस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की सिफारिश पर देश में आपातकाल (Emergency) की घोषणा की थी। यह आपातकाल 21 मार्च, 1977 तक यानी 21 महीने तक लागू रहा। स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये अवधि अत्यधिक विवादास्पद रही।

Emergency: रेडियो पर इमरजेंसी की घोषणा

इमरजेंसी की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जून की सुबह ऑल इंडिया रेडियो पर की। उन्होंने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा, “राष्ट्रपति ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। इसमें घबराने की कोई बात नहीं है…” इस घोषणा के बाद देश में असमंजस की स्थिति बन गई, क्योंकि किसी को यह पता नहीं था कि आगे क्या होने वाला है।

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Emergency: राजनीतिक अस्थिरता और विरोध प्रदर्शन

उस समय देश राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा था। गुजरात में छात्रों का नवनिर्माण आंदोलन, बिहार में जयप्रकाश नारायण (JP) का आंदोलन और जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेलवे हड़ताल जैसी घटनाएं सरकार के लिए चुनौतियां बनी हुई थीं। 12 जून, 1975 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी के लोकसभा चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया था, जिससे उनकी स्थिति और कमजोर हो गई थी।

Emergency: विपक्ष का दमन और प्रेस की आजादी पर हमला

आपातकाल की घोषणा के तुरंत बाद विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया जाने लगा। जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी और मोरारजी देसाई समेत कई बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया। प्रेस पर सेंसरशिप लगाई गई, नागरिक स्वतंत्रताओं को सीमित किया गया और आरएसएस समेत 24 संगठनों पर बैन लगा दिया गया।

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Emergency: कांग्रेस सरकार पर विपक्ष का हमला

आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी की सरकार ने सामाजिक और आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिनमें जबरन नसबंदी और स्लम क्लीयरेंस जैसे कठोर उपाय शामिल थे। इतिहासकारों का मानना है कि आपातकाल का उपयोग इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को मजबूत करने और विरोधी आवाजों को दबाने के लिए किया।

Emergency: आपातकाल के बाद का राजनीतिक परिदृश्य

आपातकाल के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो गया। इंदिरा गांधी ने 1977 में चुनाव कराए, लेकिन जनता पार्टी ने कांग्रेस को परास्त कर दिया। रायबरेली से खुद इंदिरा गांधी चुनाव हार गईं और मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने।

Emergency: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कांग्रेस पर हमला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल की 49वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आपातकाल लगाने वालों को संविधान से प्यार का दिखावा करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने सोशल नेटवर्किंग साइट ‘एक्स’ पर लिखा, “आज का दिन उन सभी महान पुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया। आज का दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रताओं को खत्म किया और भारत के संविधान को रौंद दिया।”

आपातकाल की ये घटना भारतीय लोकतंत्र पर एक गहरा आघात थी और इसने देश के राजनीतिक इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ी है। 25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा ने भारतीय लोकतंत्र को एक महत्वपूर्ण सबक दिया, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता

Emergency: मुखयमंत्री योगी ने कांग्रेस पर निशाना साधा

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल पर कहा- “संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काला अध्याय 50 साल पहले इसी तारीख (25 जून) को घटित हुआ था, जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भारत के संविधान का गला घोंट दिया था और लोकतंत्र को पूरी तरह खत्म करने की साजिश रची थी.

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