Delhi Mayor Election: AAP के महेश कुमार खीची दिल्ली के नए महापौर चुने गए, राजनीतिक ड्रामे के बीच

Delhi Mayor Election

Delhi Mayor Election: दिल्ली के महापौर चुनाव में एक करीबी मुकाबले में आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार महेश कुमार खीची ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार किशन लाल को मामूली अंतर से हराकर जीत हासिल की। Delhi Mayor Election लंबे समय से लंबित था, और गुरुवार को मतदान प्रक्रिया संपन्न हुई, जिससे AAP को बीजेपी के साथ जारी राजनीतिक संघर्ष में एक महत्वपूर्ण जीत मिली।

Delhi Mayor Election परिणाम: AAP की संकीर्ण जीत

कुल 265 वोट डाले गए, जिनमें से दो वोट अमान्य घोषित किए गए। बाकी वैध वोटों में से, खीची को 133 वोट मिले, जबकि बीजेपी के किशन लाल को 130 वोट मिले। तीन वोटों के मामूली अंतर से खीची ने Delhi Mayor Election जीता। यह परिणाम दिल्ली के स्थानीय राजनीति में AAP और बीजेपी के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है, क्योंकि महापौर का पद दोनों दलों के लिए महत्वपूर्ण है।

ख़ीची, जो देव नगर (करोल बाग) के AAP के पार्षद हैं, पार्टी द्वारा महापौर पद के लिए उम्मीदवार के रूप में चुने गए थे। इस जीत से AAP को 2022 में बीजेपी को दिल्ली नगर निगम (MCD) से बाहर करने के बाद महापौर पद पर अपनी पकड़ बनाए रखने में मदद मिली है।

क्यों इतनी छोटी है महापौर की अवधि?

Delhi Mayor Election का एक दिलचस्प पहलू यह है कि खीची की महापौर के रूप में कार्यकाल बहुत छोटा रहेगा। दिल्ली नगर निगम (MCD) के नियमों के अनुसार, महापौर चुनाव हर साल अप्रैल में आयोजित किए जाते हैं, और पद पर बैठने वाले उम्मीदवारों की तैनाती एक निर्धारित श्रेणी में होती है। इस प्रणाली के तहत, पहले वर्ष में महिला उम्मीदवार, दूसरे वर्ष में सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार, तीसरे वर्ष में आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार और अंतिम दो वर्षों में फिर सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को चुना जाता है।

इस साल यह तीसरी बार था जब Delhi Mayor Election हुआ था, और खीची को दलित उम्मीदवार के रूप में चुना गया। हालांकि, Delhi Mayor Election में देरी के कारण, उनका कार्यकाल अप्रैल 2025 तक रहेगा, जबकि महापौर चुनाव अप्रैल में होना चाहिए था, लेकिन यह स्थगित हो गया था। इसलिए खीची का कार्यकाल सिर्फ एक साल से भी कम रहेगा।

कांग्रेस की भूमिका

Delhi Mayor Election में कांग्रेस की भी दिलचस्प भूमिका रही। जब चुनाव परिणाम घोषित होने वाले थे, कांग्रेस की पार्षद सबीला बेगम ने पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा की और यह जानकारी सोशल मीडिया पर दी। बेगम ने AAP उम्मीदवार खीची के पक्ष में वोट डालने का निर्णय लिया। उन्होंने 2022 में AAP जॉइन किया था और फिर कांग्रेस में वापस लौट आई थीं।

कांग्रेस पार्टी ने इस चुनाव के दौरान विरोधस्वरूप हाउस से वॉकआउट किया, क्योंकि उनका कहना था कि खीची का कार्यकाल केवल अप्रैल तक रहेगा और इसके बाद पद किसी और को मिलेगा।

Delhi Mayor Election का राजनीतिक प्रभाव

महेश कुमार खीची की जीत सिर्फ AAP के लिए महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि दिल्ली की राजनीतिक स्थिति को भी प्रभावित करती है। AAP की यह जीत यह दर्शाती है कि पार्टी ने MCD में अपनी स्थिति को बनाए रखा है, भले ही बीजेपी का प्रभाव अभी भी वहां मजबूत है। यह चुनाव AAP और बीजेपी के बीच की राजनीतिक लड़ाई को और भी तेज करता है, और AAP का यह कदम सत्ता में अपनी स्थिरता को साबित करता है।

बीजेपी के लिए यह परिणाम निराशाजनक है, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि वे MCD में फिर से महापौर पद हासिल करेंगे। हालांकि खीची की मामूली जीत ने यह स्पष्ट कर दिया कि AAP ने दिल्ली में अपनी राजनीति को मजबूती से स्थापित किया है।

Delhi Mayor Election में महेश कुमार खीची की जीत ने AAP को एक और महत्वपूर्ण राजनीतिक जीत दिलाई है, लेकिन उनके कार्यकाल की अवधि छोटी होगी, क्योंकि यह एक निर्धारित रोटेशनल सिस्टम के तहत तय किया गया है। कांग्रेस के विरोध और सबीला बेगम के इस्तीफे ने चुनाव में एक और दिलचस्प मोड़ डाला। इस चुनाव ने यह साबित किया कि AAP ने दिल्ली नगर निगम में अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखी है, और भविष्य में भी बीजेपी को सत्ता वापसी में कठिनाई हो सकती है।

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