Anuraag Thakur Ji, Rahul Gandhi की Caste में क्या रखा है?

Anuraag Thakur Ji, Rahul Gandhi

आज संसद में एक बड़ा विचित्र डिस्कशन चला, Rahul Gandhi की Caste का। यह ज़िक्र Anurag Thakur द्वारा छेड़ा गया और फिर बात काफी बढ़ गयी। हालाँकि अनुराग ठाकुर ने Rahul Gandhi का नाम सीधे सीधे तो नहीं लिया लेकिन देखने वाले समझ गए की तीर किस और चलाया गया hai?

यूँ तो लैटिन भाषा ने इंग्लिश को बहुत सारे शब्द दिए हैं लेकिन एक सबसे खूबसूरत शब्द जो दिया है वो है ad hominem। इस शब्द की व्याख्या ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी में कुछ इस प्रकार की गयी है: (of an argument or reaction) directed against a person rather than the position they are maintaining। इस व्याख्या का हिंदी अनुवाद है कि यह शब्द किसी प्रतिक्रिया या किसी तर्क के लिए प्रयोग होता है और यह वह तर्क है जो मुद्दे के बारे में बात न कर के मुद्दा उठाने वाले कि बात करता है। वो भी अपमानजनक शब्दों में। आज संसद में हमे इसी ad hominem का उदहारण देखने को मिला।

Rahul Gandhi caste: विवरण:

हुआ यूँ कि आज संसद में अनुराग ठाकुर बजट पर जवाब देने के लिए खड़े हुए और राहुल गाँधी की जाति पर कटाक्ष कर बैठे। जी हाँ वही जाति जिसके लिए संघ अक्सर आपको कहता है कि ये हिन्दू धर्म की सबसे बड़ी कुरीतियों में से एक है और उनका दावा है कि वो जाति प्रथा के खिलाफ लड़ रहे हैं। वहीँ अखिलेश यादव के भाषण ख़त्म होते ही भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर उठे और बोले कि विपक्ष के नेता को भी भाषण देना सिखा दीजिये आपने बहुत अच्छा भाषण दिया है।

राहुल गाँधी के ऊपर इस तरह के निजी आक्रमण कोई नयी बात नहीं हैं। भाजपा ने मीडिया और सोशल मीडिया की मदद से राहुल गाँधी की छवि के ऊपर हमेशा से ही आक्रमण किया है। लेकिन 2024 से पहले ये आक्रमण संसद से बहार होते थे और 2024 में ये आक्रमण संसद के अंदर आ गए हैं बिलकुल सड़कछाप अंदाज़ में।

बीजेपी का Anurag Thakur को समर्थन:

आज Anurag Thakur के भाषण देने के बाद बांसुरी स्वराज भी नज़र नहीं आयी अपनी असंसदीय शब्दों की फेरहिस्त ले कर। प्रधानमंत्री भी अनुराग ठाकुर का भाषण ट्वीट करते नज़र आये। तो इस तरह सारी भाजपा पार्टी Anurag Thakur की सरहाना में उनकी साथ खड़ी है। लेकिन ऐसा क्यों है? वह भाजपा जो संसदीय परम्पराओ की दुहाई देने से पीछे नहीं हटती वह भाजपा न सिर्फ असंसदीय बल्कि असभ्य बयानबाजी संसद में करने लगी?

कहीं यह घबराहट तो नहीं ?

क्या इसका कारण है की Rahul Gandhi अपने विचारो से और अपने एक्शन्स से भारतीय जनता पार्टी को नर्वस करते हैं और 2024 के बाद से उस घबराहट का आलम यह है की राहुल गाँधी के भाषण के हिस्से के हिस्से संसद के रिकॉर्ड से हटा दिए जाते हैं और उनके हाथो में तसवीरें देखते ही संसद के कैमरों की नज़रें फेर दी जाती हैं? और अब यह घबराहट यहाँ तक पहुँच गयी है की राहुल गाँधी द्वारा संसद में उठाये गए मुद्दों के जवाब में ad hominem यानी Rahul Gandhi की बेइज़्ज़ती का सहारा लिया जा रहा है?

बदले हुए हालत:

2024 के चुनावों के बाद भारत का राजनितिक परिदृश्य काफी बदल गया है। 2024 से पहले जो लोग डरे हुए नज़र आते थे अचानक से दहाड़ने लगे हैं और जिनको आदत थी संसद से सांसदों को निलंबित कर बाहर फेंकवा कर बिना चर्चा किये बिल्स पारित कराने की, आजकल वो संसद में चर्चाओं के जवाब देते हुए नज़र आते हैं। संख्या बल की ये ही मजबूरी है जो भाजपा को इतना आक्रामक बना रही है की वे ऐसी बातें बोलने से भी नहीं हिचकिचा रहे जो वाक़ई में किसी सभ्य प्रजातंत्र की संसद में आपको सुनने को नहीं मिलेगी।

चर्चा के स्तर में गिरावट:

इस बारे में कोई दो राय नहीं की संसद की चर्चाओं का स्तर बेहद गिर गया है। यह बात संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा जिसमे पहले एक विद्वतापूर्ण बहस का माहौल हुआ करता था, के लिए भी सच है। सत्ता पक्ष और विपक्ष की तो बात ही छोड़िये, चेयर पर बैठे सभापति या उपसभापति भी पार्टी लाइन्स में इतने बंटे हुए नज़र आते हैं की न्यूट्रैलिटी के लिए कहीं कोई जगह ही नहीं बचती। संसद की मर्यादा अब सिर्फ किताबो की बात रह गयी है और खुद प्रधानमन्त्री के शब्दों का प्रयोग करते हुए “इसका कोई पश्चताप तक नहीं। इसका कोई दर्द नहीं।”

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