Processed Food और Diabetes: हाल ही में एक सरकारी वित्त पोषित अध्ययन, जो इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ फ़ूड साइंसेज़ एंड न्यूट्रीशन में प्रकाशित हुआ है, में पाया गया है कि अत्यधिक Processed Food, जो “एडवांस्ड ग्लायकेशन एंड प्रोडक्ट्स” (AGEs) में उच्च होते हैं, भारत में Diabetes के प्रसार का प्रमुख कारण हैं। यह अध्ययन भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (MDRF) के शोधकर्ताओं ने किया है जिसमें दिखाया गया कि ये Processed Food देश की मधुमेह महामारी के लिए एक मुख्य कारक हैं। भारत अब तेजी से विश्व में मधुमेह की राजधानी बनता जा रहा है, जो एक गंभीर और बढ़ती हुई सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का प्रतीक है।
यह अध्ययन बताता है कि खानपान में किए गए सही बदलाव मधुमेह के विकास और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। विशेषकर उन भोज्य पदार्थों से बचना चाहिए जो कि AGEs का निर्माण करते हैं। ये AGEs तब बनते हैं जब शर्करा, प्रोटीन या वसा के साथ मिलकर एक प्रक्रिया करती है, विशेषकर जैसे कि फ्राई करना, भूनना और ग्रिल करना। Processed Food भारतीय आहार में काफी आम हो गए हैं, जिसमें केक, चिप्स, कुकीज़, क्रैकर्स, तले हुए खाद्य पदार्थ, मेयोनेज़ और मार्जरीन शामिल हैं।
भारत में Diabetes का बढ़ता बोझ
2021 में, लगभग 10 करोड़ भारतीय Diabetes के साथ जीवन व्यतीत कर रहे थे, और अतिरिक्त 13.6 करोड़ लोग प्री-डायबिटीज स्थिति में थे। मधुमेह एक ऐसा विकार है जिसमें रक्त शर्करा का स्तर अधिक होता है। अगर यह अनुपचारित रह जाए, तो हृदय रोग, गुर्दे की विफलता और नर्व डिस्ट्रक्शन जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। यह मुख्य रूप से एक जीनसंबंधी प्रवृत्ति और जीवनशैली कारकों का परिणाम है। अब अत्यधिक Processed Food को इस रोग के विकास और बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है।
एडवांस्ड ग्लायकेशन एंड प्रोडक्ट्स (AGEs) क्या हैं?
AGEs ऐसे हानिकारक यौगिक होते हैं जो रक्तप्रवाह में बनते हैं जब प्रोटीन या वसा शर्करा अणुओं के साथ मिल जाते हैं, जिसे ग्लायकेशन कहते हैं। यह एक गैर-एंजाइमिक प्रक्रिया है जो उच्च शर्करा वाले पदार्थ और कुछ पाक विधियों द्वारा उत्तेजित होती है, जैसे कि तलना, भूनना, और ग्रिल करना। इन यौगिकों का ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन में महत्वपूर्ण योगदान होता है, जो मधुमेह और अन्य गंभीर बीमारियों के जोखिम को बढ़ाते हैं।
Processed Food के अलावा, AGEs उच्च तापमान पर पकाए गए पशु-आधारित खाद्य पदार्थों में भी पाए जाते हैं, जैसे कि ग्रिल्ड मीट्स। अध्ययन में यह भी पाया गया कि ये सभी खाद्य पदार्थ भारतीय खानपान में आम हैं और इन्हें बनाने की विधियां AGEs के स्तर को बढ़ाती हैं।

Diabetes में Processed Food की भूमिका
हालिया अध्ययन में पाया गया है कि AGE युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन शरीर में सूजन उत्पन्न करता है, जो Diabetes के विकास में एक महत्वपूर्ण कारक है। यह सूजन, मोटापा और इंसुलिन प्रतिरोध जैसे मधुमेह से जुड़े लक्षणों को बढ़ावा देती है। AGEs के उच्च स्तर वाले खाद्य पदार्थ सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव का कारण बनते हैं, जो मोटापा से ग्रस्त लोगों के लिए हानिकारक हैं और मधुमेह के प्रारंभिक लक्षण हैं।
अध्ययन में यह भी बताया गया है कि कम AGE युक्त आहार के सेवन से इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है और सूजन को कम किया जा सकता है। इससे यह संकेत मिलता है कि अत्यधिक प्रसंस्कृत और AGE युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करके टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम किया जा सकता है।
भारतीय आहार पर AGEs का प्रभाव
भारतीय आहार विविधता से भरा है, लेकिन तले और बेक किए हुए स्नैक्स की लोकप्रियता और Processed Food पर बढ़ती निर्भरता के कारण AGEs का सेवन बढ़ गया है। तले हुए खाद्य पदार्थ, जैसे समोसे, पकोड़े और चिप्स, भारतीय घरों में बहुत आम हैं। बेक किए गए खाद्य पदार्थ जैसे कुकीज़, केक और क्रैकर्स भी आम तौर पर खाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, तैयार भोजन, मार्जरीन और मेयोनेज़ ने पारंपरिक पाक विधियों को बदल दिया है।
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि भारतीय खाना पकाने में तले, भुने और ग्रिल किए जाने वाले तरीकों का अधिक उपयोग होता है, जो AGE के स्तर को बढ़ाते हैं। इसके विपरीत, उबालने और भाप में पकाने की विधियाँ, जो AGEs का उत्पादन नहीं करती, का उपयोग कम होता है। इस प्रकार के भोजन और अस्वास्थ्यकर पाक विधियों का झुकाव देश में मधुमेह संकट को बढ़ा रहा है।
AGEs से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम
AGE युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन न केवल मधुमेह बल्कि कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। यह ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन में वृद्धि करता है, जो हृदय रोग, गुर्दे विकार और कुछ प्रकार के कैंसर जैसी बीमारियों को जन्म दे सकता है। मधुमेह रोगियों में शरीर पहले से ही रक्त शर्करा को प्रबंधित करने में कठिनाई का सामना करता है। AGE युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन शरीर पर अतिरिक्त दबाव डालता है।

मधुमेह संकट को कम करना: कम-AGE आहार के लाभ
इस बढ़ते मधुमेह संकट का सामना करने के लिए, शोधकर्ताओं ने कम-AGE आहार की ओर रुझान बढ़ाने का सुझाव दिया है। इसमें अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना और फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का सेवन बढ़ाना शामिल है। ये खाद्य पदार्थ आवश्यक पोषक तत्वों और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
शोध में यह भी बताया गया है कि उबालने और भाप में पकाने जैसी कम AGE युक्त पाक विधियाँ मधुमेह प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इन विधियों का पालन करके, लोग AGE का सेवन कम कर सकते हैं और इसके हानिकारक प्रभावों से बच सकते हैं।
नीति प्रभाव और जन जागरूकता
अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि अत्यधिक Processed Food के स्वास्थ्य जोखिम के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। सरकारी एजेंसियों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और शिक्षकों को स्वस्थ खाने की आदतों को बढ़ावा देने और जनता को AGEs के खतरों के बारे में सूचित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। इस समस्या को रोकने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
भारत का मधुमेह संकट कई कारकों का परिणाम है, लेकिन हाल ही में हुए अध्ययन से स्पष्ट होता है कि खानपान की आदतें इस बीमारी के विकास और बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। Processed Food और AGE का सेवन मधुमेह के जोखिम कारकों को बढ़ा सकता है। फल, सब्जियाँ, और साबुत अनाज से भरपूर आहार का पालन करके लोग मधुमेह के जोखिम को कम कर सकते हैं।
इस अध्ययन से यह बात स्पष्ट होती है कि हमारे खानपान का असर हमारे स्वास्थ्य पर सिर्फ कुछ समय के लिए नहीं, बल्कि जीवन भर रहता है। कम-AGE आहार अपनाना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना मधुमेह के संकट को कम करने के सबसे प्रभावी उपायों में से एक हो सकता है।
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