Body Shaming आज के समय का बेहद ज्वलंत मुद्दा है। किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म को देखें, लोग वहां कमेंट सेक्शन में नाम बदल कर सेलिब्रिटीज के शरीर का मज़ाक उदा रहे होते हैं। फिर यही व्यहवार सोशल मीडिया से निकल कर हमारे ऑफिसेस, कॉलेजेस, स्कूल्ज, और यहाँ तक कि प्ले ग्राउंड्स में भी पहुँच जाता है।
क्या है Body Shaming
Body Shaming किसी के शरीर की बनावट, रंग, या जेंडर को ले कर की गयी आलोचना या उपहास को कहते हैं। यहाँ तक की उम्र को ले कर भी बॉडी शेमिंग की जाती है। ऐश्वर्या राय के उम्र से जुड़े फैट गेन की आलोचना या उसका उपहास या फरदीन खान के मोटापे का उपहास इस तरह की बॉडी शेमिंग के सबसे बड़े उदाहरण हैं।
बॉडी शेमिंग की समस्या सिर्फ किसी आयु या जेंडर विशेष के लोगो तक सिमित हो ऐसा नहीं है। बॉडी शेमिंग हर उम्र के लोगो द्वारा की जा सकती है और इसका सामना दोनों ही जेंडर के लोग करते हैं। जब हम किसी को उसके मोटे होने का ताना देते हैं तो वह बॉडी शेमिंग का सबसे प्रचलित रूप है।
Body Shaming एक बेहद प्रचलित प्रथा है जो कभी मजाक में बेहद कैसुअली या फिर कभी कभी मानसिक शोषण के हथियार के रूप में उपयोग की जाती है। कभी कभी मजाक में कही गयी बॉडी शेमिंग की बातें कब दूसरे इंसान को मानसिक रूप से परेशान करने लगे ये बात मज़ाक करने वाले लोगो को पता नहीं चल पाती।
कुछ लोग बॉडी शेमिंग को हलके में ले कर खुद को परेशान नहीं करते लेकिन कुछ लोग इतने प्रभावित हो जाते हैं की वो आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठा लेते हैं क्योंकि बॉडी शेमिंग आत्मा-प्रतिष्ठा को नुक्सान पहुँचाती है और इसके गंभीर मानसिक परिणाम देखने को मिलते हैं।
12 जुलाई को एक दुखद खबर आयी। 27 वर्षीय शिवानी जो की नॉएडा में प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल बैंक एक्सिस बैंक में रिलेशनशिप मैनेजर की नौकरी करती थी ने गाजियाबाद में आत्महत्या कर ली। आत्महत्या का कारण पांच पेज लम्बे सुसडे नोट से पता चला जिसमे शिवानी ने उसके साथ बैंक में घटित बुलीइंग और बॉडी शेमिंग की घटनाओ का विस्तार से विवरण किया था। उसने छें लोगो का नाम लिख कर उनके लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग की है।
यह घटना कोई पहली ऐसी घटना नहीं है। अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश बोर्ड की 10th क्लास की टोपर प्राची निगम को अपने फेशियल हेयर के कारण बॉडी शेमिंग का इंटरनेट पर पब्लिकली सामना पड़ा।
बॉडी शेमिंग कई प्रकार की होती है। सबसे प्रचलित बॉडी शेमिंग है वजन और रंग को ले कर। किसी के बेहद पतले होने को या मोटे होने को उपहास का विषय बनाया जाता है। भारत में काले या सावले रंग पर लोगो टीका टिपण्णी कर जाते हैं बिना ये सोचे समझे हुए कि जिस इंसान कि बॉडी शेमिंग कि जा रही है उस पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
Body Shaming के मानसिक पहलु
Body Shaming का इंसान के सेल्फ-एस्टीम पर बेहद फर्क पड़ता है। लगातार अपने शरीर कि आलोचना सुनते हुए इंसान की नज़रो में अपनी कदर ख़तम हो जाती है और उसके दिमाग में अपने शरीर की एक नकारात्मक तस्वीर बन जाती है। इस से आत्मविश्वास में भी कमी आती है। क्रिस्टीन नेफ्फ जो कि एक जाने माने मनोचिकित्सक हैं उनके अनुसार,
जब बॉडी शेमिंग इंटरनलाइज़ हो जाती है तो हम मानने लगते हैं कि हमारी वैल्यू हमारी शकल सूरत से जुडी है। इस भावना को सिर्फ खुद के लिए अपने अंदर उदारता ला कर ही ख़त्म किया जा सकता है।
Body Shaming के कारन डिप्रेशन, एंग्जायटी जैसे इश्यूज भी पैदा हो जाते हैं। खाने के डिसऑर्डर्स जैसे एनोरेक्सिया नर्वोसा या एक बार में काफी सारा खाना बॉडी शेमिंग से जुड़े हैं। ये चीज़ें जब होती हैं जब इंसान सोसाइटी के बनाये हुए सुंदरता के मापदंडो के अनुसार अपने शरीर को परखता है एवं उन जैसा बनना चाहता है।
Body Shaming के भावनात्मक प्रभाव झकझोरने वाले हैं। मानसिक विशेषज्ञों के अनुसार बॉडी शेमिंग से पीड़ित लोग अक्सर अपने शरीर को ले कर शर्म महसूस करते हैं। ये भावनात्मक प्रभाव इस सोच को जनम देते हैं जहाँ एक इंसान समझने लगे की वो तो कमियों से भरा पड़ा है। ज्यादा खाना, बहुत काम खाना, बेहद ज्यादा एक्सरसाइज करना , और यहाँ तक की खुद को नुक्सान पहुंचना जैसे व्यहवार बॉडी शेमिंग के कारन सामने आ सकते हैं।
Body Shaming के पीड़ितों की मदद कैसे करें?
Body Shaming के पीड़ित लोगो को सपोर्ट की आवश्यकता होती है ताकि वे इस तरह के व्यहवार का सामना मजबूती से कर सकें। शिवानी ने अपने सुसडे लेटर में सपोर्ट की कमी को भी उजागर किया है। शिवानी के मुताबिक उसने अपने वरिष्ठ ऑफिसर्स से भी शिकायत की लेकिन सबने उसको चुपचाप बर्दाश्त करने की सलाह दी।
दूसरी तरफ प्राची निगम को ऑनलाइन बॉडी शमिंग में न सिर्फ परिवार के लोगो का बल्कि इंटरनेट पर भी काफी सारे लोगो का समर्थन मिला जिसके कारण न सिर्फ उसका आत्मविश्वास बढ़ा बल्कि उसको बॉडी शेम करने वाले लोग खुद ही शर्मसार हो गए।
यदि किसी व्यक्ति के अंदर बॉडी शमिंग के गंभीर परिणाम जैसे डिप्रेशन या एंग्जायटी दिखाई दें तो प्रोफेशनल हेल्प के लिए मानसिक विशेषज्ञों से बात करें।
Body Shaming पीड़ितों को थोड़े दिन के लिए सोशल मीडिया से दूरी बनाने के लिए प्रोत्साहित करें। अक्सर लोग सोशल मीडिया पर पोस्ट की हुई चीज़ो से प्रभावित होते हैं एवं उस जैसा बनना चाहते हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात है कि बॉडी शेमिंग के व्यक्ति को सेल्फ एक्सेप्टेन्स के लिए प्रेरित करें। उनको समझाए कि हर व्यक्ति खुद में सबसे अलग है और कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं है। इसलिए अपनी खामियों के साथ साथ खूबियों को भी देखें।
बॉडी शेमिंग को हालांकि एक डायरेक्ट अपराध नहीं माना गया है लेकिन विभिन्न प्रावधानों और अधिनियमों के तहत इस तरह के किर्याकलापो को नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन इसके बावजूद इस दिशा में नए एवं कठोर कानून बनाने की आवश्यकता है क्योंकि इंटरनेट के माध्यम से बॉडी शेमिंग की घटनाये लगाता आग की तेज़ी के साथ बढ़ रही हैं। कड़े कानूनों के अलावा समय कि मांग है कि लोगो को बॉडी शेमिंग के हानिकारक प्रभावों से शिक्षित किया जाए ताकि लोग इस तरह के व्यहवार में कमी लाएं।
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