UP Bypolls: क्या उत्तरप्रदेश के उपचुनाव नहीं लड़ेगी कांग्रेस?

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UP Bypolls: हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधान सभा चुनावों के बाद अब महाराष्ट्र और झारखण्ड के चुनावों के लिए सभी पार्टिया जोड़ तोड़ में लगी हैं।  साथ ही उत्तर प्रदेश की नौ सीटों पर भी UP Bypolls की तैयारी जोर शोर से है।  दोनों मुख्य पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस अपने अपने सहयोगी दलों के साथ सीट के बंटवारे को या तो फाइनल कर चुकी हैं या फाइनल करने की तैयारी कर रही हैं।  और यहीं पर कांग्रेस और बीजेपी के भाग्यो का अंतर समझा जा सकता है।

हरियाणा चुनावों के परिणामो का दूरगामी असर सीटों के बंटवारे में देखने को मिल रहा है। हरियाणा को गँवा कर कांग्रेस तो जैसे अपनी साख ही गँवा बैठी है और हर स्टेट में उसे एक एक सीट के लिए लड़ाई अपने सहयोगियों के साथ लड़नी पड़ रही है।  दूसरी तरफ बीजेपी के रास्ते अगर बेहद आसान न सही फिर भी कांग्रेस के मुकाबले आसान है।  झारखण्ड में बीजेपी ने जहाँ सीट बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया है वहीं कांग्रेस का JMM और RJD के साथ इंडिया गठबंधन टूटने के कगार पर है। 

UP Bypolls में तो सपा कांग्रेस की एक नहीं सुन रही और 2 सीटें जिन पर लड़ाई इंडिया गठबंधन के लिए सबसे मुश्किल है कांग्रेस को ऑफर कर रही है। सबसे पहले बात करते हैं उत्तर प्रदेश की जहाँ नौ सीटों पर होने वाले UP Bypolls ने सपा और कांग्रेस के गठबंधन की बखिया उधेड़ कर रख दी है।  उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनावों को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, सिचुएशन यहाँ तक आ गयी है कि सपा द्वारा सिर्फ दो सीटों की पेशकश के बाद कांग्रेस पार्टी UP Bypolls में न उतरने का विचार कर रही है। कांग्रेस को लगता है कि दो सीटों पर चुनाव लड़ने से बेहतर है कि वह पूरी तरह से चुनाव से बाहर रहें। सपा ने कांग्रेस को गाज़ियाबाद और खैर सीटों पर लड़ने का प्रस्ताव दिया है, जबकि कांग्रेस ने पांच सीटों की मांग की थी।

यह पेशकश कांग्रेस नेतृत्व को मंजूर नहीं है, और उन्होंने अनौपचारिक रूप से सपा को यह संकेत दिया है कि वे सिर्फ दो सीटों पर चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं। इससे दोनों दलों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, और गठबंधन में पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति और भी तनावपूर्ण हो रही है। अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी ने अब तक सात सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और बाकी बची एक कुंदरकी सीट पर भी जल्द ही उम्मीदवार की घोषणा की जा सकती है।

इस बीच, अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव करहल सीट से अपना नामांकन दाखिल करेंगे। सपा द्वारा पहले ही सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा किए जाने के बाद, कांग्रेस के पास बहुत सीमित विकल्प रह गए हैं। अब सभी की नजरें कांग्रेस नेतृत्व पर हैं, क्योंकि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की अखिलेश यादव से अंतिम बातचीत होनी बाकी है। इस बैठक के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि कांग्रेस UP Bypolls में सपा के साथ समझौते के तहत कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, या फिर वह UP Bypolls से पूरी तरह बाहर हो जाएगी।

कांग्रेस के लिए यह UP Bypolls एक महत्वपूर्ण राजनीतिक अवसर हो सकता था, लेकिन सपा द्वारा केवल दो सीटों की पेशकश ने उनकी चुनावी रणनीति पर गहरा असर डाला दिया है। कांग्रेस-सपा का यह गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर बने इंडिया (INDIA) गठबंधन का हिस्सा है, लेकिन UP Bypolls में सीटों के बंटवारे पर खींचतान ने दोनों दलों के बीच संबंधों में दरार डाल दी है और अगर कांग्रेस वाक़ई में यह उपचुनाव लड़ने में सफल नहीं हो पाती है तो कांग्रेस के उच्च नेतृत्व कि तरफ से यह एक ख़राब संकेत होगा और इस से प्रदेश में पार्टी के कार्यकर्ताओ का मनोबल भी नीचे होगा। 

अब यह देखना होगा कि क्या कांग्रेस नेतृत्व इस स्थिति को संभालकर सपा के साथ किसी समझौते पर पहुंचता है या फिर कांग्रेस UP Bypolls में पूरी तरह से अलग रास्ता अपनाने का फैसला करती है। दूसरी तरफ अगर बात करें बीजेपी की तो उन्होंने शनिवार को 24 BYPOLL SEATS के लिए अपने उमीदवार घोषित किये लेकिन इनमे उत्तर प्रदेश का कोई नाम नहीं था।  लेकिन यहाँ पेंच सहयोगियों के साथ नहीं फंसा बल्कि नौ सीटों के लिए 27 उमीदवारो के नामो में से आखिरी चुनाव शीर्ष नेतृतव को करना है।  खबरें हैं की भाजपा मीरपुर सीट को रालोद के लिए छोड़ सकती है।

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