Uddhav Thakrey ने 5 बागी नेताओं को पार्टी से निकाला, महाराष्ट्र चुनाव में बढ़ी सियासी गरमा-गरमी

Uddhav Thakrey

Uddhav Thakrey: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख Uddhav Thakrey ने पांच पार्टी नेताओं पर कड़ी कार्रवाई की, जो निर्दलीय उम्मीदवारों के तौर पर मैदान में उतरे थे। इन नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में पार्टी से निकाल दिया गया, जिससे ठाकरे ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में एकता बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता दिखाई।

निकाले गए नेताओं में भिवंडी पूर्व के विधायक रूपेश म्हात्रे के साथ-साथ यवतमाल जिले के अन्य नेता – विश्वनाथ नांदेक, प्रसाद ठाकरे, चंद्रकांत घुगुल और संजय आवारी शामिल हैं। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब MVA, जिसमें शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी शामिल हैं, सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन से मुकाबला करने के लिए अपनी ताकत समेट रहा है। महायुति में भाजपा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की एनसीपी का गठजोड़ शामिल है।

Uddhav Thakrey शिवसेना में बढ़ता असंतोष और निष्कासन

निकाले गए नेताओं पर निर्दलीय चुनाव लड़ने और नेतृत्व की आलोचना करने के आरोप लगे हैं। भिवंडी पूर्व के विधायक रूपेश म्हात्रे ने MVA के समर्थित उम्मीदवार समाजवादी पार्टी के रईश शेख के बावजूद निर्दलीय के रूप में नामांकन दाखिल किया था। हालांकि म्हात्रे ने नामांकन वापस ले लिया, लेकिन उन्होंने मुस्लिम तुष्टिकरण के मुद्दे पर नेतृत्व की आलोचना करके विवाद को जन्म दिया।

यवतमाल जिले के बाकी चार नेताओं – वानी के विश्वनाथ नांदेक और प्रसाद ठाकरे, जरी के चंद्रकांत घुगुल, और मारेगांव के संजय आवारी ने भी पार्टी निर्देशों की अवहेलना की। उनके इन कदमों पर Uddhav Thakrey ने सख्त रुख अपनाया, जिससे शिवसेना ने चुनाव से ठीक पहले अपने अनुशासन की मजबूती का संकेत दिया।

MVA के सामने बागियों का संकट

MVA गठबंधन को अपने ही नेताओं द्वारा किए गए विद्रोह का सामना करना पड़ा, क्योंकि कई नेताओं ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिए थे। कुल मिलाकर गठबंधन के 14 नेताओं ने पार्टी आदेशों का उल्लंघन करते हुए नामांकन दाखिल किए थे। हालांकि, सोमवार को नामांकन वापसी की अंतिम तिथि पर कुछ समस्या सुलझी। कांग्रेस के मख्तार शेख ने पुणे के कस्बा पेठ से अपना नामांकन वापस लिया और पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार रविंद्र धंगेकर का समर्थन किया।

कांग्रेस को एक अन्य झटका लगा जब शाही परिवार की सदस्य मधुरिमा राजे छत्रपति ने कोल्हापुर उत्तर से अपने नामांकन को अंतिम समय पर वापस ले लिया, जिससे कांग्रेस अपने इस परंपरागत गढ़ में प्रतिनिधित्व के बिना रह गई। अन्य कांग्रेस विद्रोहियों में से हेमलता पाटिल (नासिक सेंट्रल), मधु चव्हाण (भायखला) और विश्वनाथ वालवी (नंदुरबार) ने भी अपने नाम वापस ले लिए। हालांकि, शरद पवार गुट के एनसीपी के दो बागी अब भी मैदान में बने हुए हैं।

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने नामांकन छोड़ा, समुदाय को किया लामबंद

वहीं, मराठा आरक्षण के प्रमुख कार्यकर्ता मनोज जरांगे, जो पिछले साल से आरक्षण की मांग को लेकर अनशन और प्रदर्शन कर रहे हैं, ने चुनावी दौड़ से बाहर रहने का फैसला किया। जरांगे के इस निर्णय से मराठा वोटों पर असर पड़ सकता है, क्योंकि उन्होंने ऐलान किया कि समुदाय स्वयं यह तय करेगा कि किसे हराना है और किसे जिताना है। जरांगे ने विधानसभा की परवती और दौंड सीटों से दो उम्मीदवारों का समर्थन करने की बात कही, हालांकि उन्होंने उनके नाम सार्वजनिक नहीं किए।

राजनीतिक समीकरणों के बीच हाई-स्टेक चुनाव

नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर कुल 4,140 उम्मीदवार मैदान में हैं, जो 2019 के चुनावों के मुकाबले 28% की वृद्धि है, जब 3,239 उम्मीदवार चुनाव लड़े थे। इस बार 2,938 उम्मीदवारों ने अपने नामांकन वापस ले लिए।

इस बार के चुनाव में प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों एनसीपी और शिवसेना को गुटबंदी के बीच चुनावी रण में उतरना पड़ रहा है। जहां उद्धव ठाकरे की शिवसेना MVA के साथ है, वहीं एकनाथ शिंदे की शिवसेना भाजपा के साथ महायुति में शामिल है। इसी तरह, एनसीपी भी विभाजित हो गई है, जिसमें अजीत पवार का गुट भाजपा के साथ है, जबकि शरद पवार का गुट एमवीए के साथ खड़ा है।

2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 105 सीटें जीती थीं, शिवसेना ने 56 और कांग्रेस ने 44 सीटें हासिल की थीं। जबकि 2014 में भाजपा को 122, शिवसेना को 63 और कांग्रेस को 42 सीटें मिली थीं। इस बार के चुनाव में यह गुटबंदी राज्य में तीव्र चुनावी मुकाबले का संकेत दे रही है, जहां हर गुट अपने वोट बैंक को मजबूत करने की पूरी कोशिश कर रहा है।

चुनाव की तारीखें और महायुति के खिलाफ एमवीए की एकजुटता

महाराष्ट्र में मतदान 20 नवंबर को होना है, और 288 निर्वाचन क्षेत्रों की मतगणना 23 नवंबर को होगी। MVA और महायुति दोनों गठबंधन अपनी रणनीतियों को मजबूत कर रहे हैं। शिवसेना द्वारा बागी नेताओं पर की गई कार्रवाई एमवीए की एकता को प्रदर्शित करने के प्रयास का हिस्सा है, जो भाजपा-शिंदे-पवार की महायुति के खिलाफ सशक्त मुकाबला करने की योजना बना रही है।

महाराष्ट्र के इस प्रचंड चुनावी माहौल में शिवसेना की अनुशासनात्मक कार्रवाई चुनाव से पहले की गई चुनौतियों और राजनीतिक गठबंधनों की जटिलता को उजागर करती है। आगामी दिनों में यह स्पष्ट होगा कि एमवीए का यह एकजुट प्रयास क्या महायुति गठबंधन की प्रभावी चुनावी चुनौती का सामना करने में सफल होगा या नहीं।

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