MVA Seat Sharing: महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन, जिसमें कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शामिल हैं, ने अंततः MVA Seat Sharing पर समझौता कर लिया है। MVA Seat Sharing समझौता देर रात तक चली लंबी बैठक के बाद हुआ, जो आधी रात के बाद भी जारी रही। इस बैठक में मुंबई, नासिक और विदर्भ जैसे कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सीटों को लेकर महीनों से चल रहे विवाद को सुलझाने में काफी समय लगा।
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार के साथ राज्य कांग्रेस के बड़े अधिकारी भी शामिल थे। बैठक में लगभग 15 सीटों पर विवाद बना हुआ था, जो कि नागपुर दक्षिण, अमरावती और मुंबई के महत्वपूर्ण क्षेत्र जैसे घाटकोपर पश्चिम, बायकुला, वर्सोवा, कुर्ला और बांद्रा पूर्व जैसी सीटें शामिल थीं। उत्तरी महाराष्ट्र में परोला-एरोदुल और नासिक पश्चिम की सीटों पर भी विवाद था। ये सीटें गठबंधन के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही थीं, क्योंकि सभी पार्टियों के पास इन क्षेत्रों में मजबूत जनाधार था।
कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के बीच कई दिनों से चल रही बातचीत में कांग्रेस ने लगभग 125 सीटों की मांग की थी, जबकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) दोनों के लिए 100 सीटें मांगी थीं, जबकि एनसीपी के लिए 88 सीटें रखी गई थीं। कांग्रेस का मुख्य दावा उन निर्वाचन क्षेत्रों पर था जहां उसकी ऐतिहासिक और मजबूत पकड़ है, विशेष रूप से विदर्भ में, जहां पार्टी हमेशा से मजबूत रही है। हालांकि, शिवसेना (यूबीटी) ने भी इस क्षेत्र में पिछले चुनावों में बेहतर प्रदर्शन का हवाला देते हुए कुछ सीटें पाने की उम्मीद जताई थी।
अंततः शरद पवार के हस्तक्षेप से एक बड़ा ब्रेकथ्रू हुआ। पवार ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई, जिसके बाद गठबंधन के भीतर एक बार फिर से चर्चा शुरू हुई और अंत में MVA Seat Sharing पर समझौता हो गया।
अब कांग्रेस 105-110 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जिससे वह MVA Seat Sharing के मामले में एमवीए की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। यह कांग्रेस की महाराष्ट्र में मजबूत स्थिति को दर्शाता है, खासकर हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में जहां कांग्रेस ने गठबंधन के भीतर सबसे बड़ी जीत हासिल की थी, उसने 17 में से 13 सीटें जीती थीं। उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) 90-95 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, और शरद पवार की नेतृत्व वाली एनसीपी 75-80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। यह समझौता एमवीए के उस लक्ष्य को दर्शाता है कि वह भाजपा-नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को चुनौती देने के लिए पूरी तरह से तैयार है, जिसमें एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी शामिल हैं।
MVA Seat Sharing समझौता कई दिनों की लंबी और अक्सर तनावपूर्ण बातचीत के बाद हुआ। कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के बीच कई सीटों को लेकर सार्वजनिक तौर पर मतभेद देखने को मिले थे। शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने पहले कहा था कि 288 में से 210 सीटों पर सहमति बन चुकी है, जबकि कांग्रेस के नेता नाना पटोले ने यह आंकड़ा 96 बताया था।
कांग्रेस की ओर से यह बात जोरदार तरीके से रखी गई थी कि उसे उन क्षेत्रों में चुनाव लड़ने दिया जाए, जहां उसकी पकड़ मजबूत है, खासकर विदर्भ की आठ सीटों पर। पटोले ने स्पष्ट किया कि जिस भी पार्टी का क्षेत्र में मजबूत आधार है, वही वहां से चुनाव लड़ेगी, लेकिन शिवसेना (यूबीटी) ने भी विदर्भ की कुछ सीटों पर अपना दावा पेश किया, यह कहते हुए कि उनका भी यहां अच्छा जनाधार है।
इन तमाम तनावों के बावजूद, बालासाहेब थोराट जैसे नेताओं ने मध्यस्थता की और दोनों पार्टियों के बीच तनाव को कम किया। थोराट, जो अपने शांत स्वभाव के लिए जाने जाते हैं, ने विवादित सीटों की संख्या को घटाकर सिर्फ 12 कर दिया। मंगलवार रात तक सिर्फ कुछ ही सीटों पर विवाद बचा था, विशेष रूप से एनसीपी (शरद पवार) और शिवसेना (यूबीटी) के बीच कुछ सीटों को लेकर सहमति बननी बाकी थी, जिनमें सांगोला, जुन्नर, खेड़ आलंदी, चिंचवड, भोसरी और पारंडा शामिल थीं।
दूसरी ओर, भाजपा-नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने भी अपने सीट-बंटवारे का फॉर्मूला तय कर लिया है। भाजपा 152-155 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना 78-80 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी गुट 52-54 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। महायुति गठबंधन की अंतिम बैठक दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की देखरेख में हुई, जिन्होंने सीट-बंटवारे की पूरी प्रक्रिया का नेतृत्व किया।
चुनाव 20 नवंबर को होने हैं और परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। एमवीए को उम्मीद है कि MVA Seat Sharing फॉर्मूला हाल के लोकसभा चुनावों की तरह सफल होगा, जिसमें उन्होंने महायुति पर बढ़त हासिल करते हुए 30 सीटें जीती थीं, जबकि महायुति 17 सीटों पर सिमट गई थी।
MVA Seat Sharing एमवीए के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह गठबंधन के भीतर एकता का संकेत देता है। कांग्रेस के लिए, सबसे ज्यादा सीटें हासिल करना राज्य में उसकी मजबूत स्थिति को दर्शाता है। उद्धव ठाकरे के लिए, भले ही उनकी पार्टी ने अपेक्षाकृत कम सीटें हासिल की हों, लेकिन यह समझौता गठबंधन में उनकी पार्टी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। शरद पवार की एनसीपी भी, पार्टी में विभाजन के बावजूद, इस समझौते के साथ एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनी हुई है, और पवार ने गठबंधन की एकता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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