Maharashtra Assembly Election: कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना में नहीं हुआ सीट विवाद का हल, गठबंधन में दिख रही हैं दरारें!

Maharashtra Assembly Election

Maharashtra Assembly Election जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन के भीतर तनाव बढ़ता जा रहा है। इस गठबंधन में शामिल उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT), कांग्रेस, और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), सीट बंटवारे को लेकर गहरे मतभेदों का सामना कर रहे हैं।

हालांकि MVA गठबंधन का लक्ष्य भाजपा के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बनाना है, लेकिन सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पा रही है, जिससे गठबंधन में दरार पड़ने की आशंका बढ़ रही है। अभी तक 288 सीटों में से 263 सीटों पर सहमति बन गयी हैं लेकिन बची हुई सीटें सभी पार्टियों के गले की हड्डी बन गयी हैं।  हालिया घटनाओं में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना धड़े और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर टकराव स्पष्ट रूप से सामने आया है, खासकर विदर्भ, मुंबई, और नाशिक के क्षेत्रों में।

इन तनावों के बीच, उद्धव ठाकरे ने मातोश्री में पार्टी की एक आपातकालीन बैठक बुलाई है। इस बैठक में पार्टी की आगे की रणनीति पर चर्चा होने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना (UBT) के कई नेता अब दिल्ली में कांग्रेस के उच्च कमान से संपर्क साध रहे हैं, जिससे यह साफ होता है कि शिवसेना धड़े में बढ़ती नाराजगी और गठबंधन के भविष्य को लेकर चिंता है।

MVA गठबंधन के भीतर इस असंतोष का मुख्य कारण सीट बंटवारे को लेकर अनबन है। नाशिक पश्चिम सीट इस विवाद का प्रमुख केंद्र बनी हुई है, जहां शिवसेना (UBT) नेता सुधाकर बादगुजर को उम्मीदवार बनाना चाहती है, जबकि कांग्रेस वहां से अपने उम्मीदवार को उतारने पर अड़ी हुई है। इस सीट को लेकर शिवसेना नेता संजय राउत और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले के बीच हुई बातचीत में विवाद इतना बढ़ गया कि राउत बैठक छोड़कर चले गए।

सीट बंटवारे को लेकर एक बड़ा विवाद विदर्भ क्षेत्र में भी है। शिवसेना (UBT) ने इस क्षेत्र में 12 प्रमुख सीटों पर दावा ठोका है, जिनमें आर्मोरी, चिमुर, और रामटेक जैसे महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। ये सीटें वर्तमान में भाजपा या निर्दलीय उम्मीदवारों के कब्जे में हैं, और शिवसेना का तर्क है कि चूंकि ये सीटें MVA गठबंधन के मौजूदा विधायकों के पास नहीं हैं, इसलिए वे इन पर दावा कर सकते हैं।

हालांकि, कांग्रेस ने कई सीटों को छोड़ने से इनकार कर दिया है, जिससे बातचीत में गतिरोध आ गया है। इसके अलावा, दक्षिण नागपुर जैसी सीटों पर भी विवाद है, जहां कांग्रेस नेता गिरीश पांडव टिकट के लिए जोर दे रहे हैं, जबकि शिवसेना (UBT) भी इस सीट पर दावा कर रही है।इस गतिरोध का एक और कारण 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान किया गया सीट समझौता है।

तब शिवसेना (UBT) ने भाजपा को हराने के लिए रामटेक और अमरावती लोकसभा सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी थीं। अब, विधानसभा चुनावों के दौरान, शिवसेना (UBT) का मानना है कि उसे इन क्षेत्रों में अधिक सीटें मिलनी चाहिए, विशेष रूप से विदर्भ में, जहां वे गडचिरोली, भंडारा, और अर्जुनी मोरगांव जैसी सीटों से चुनाव लड़ना चाहते हैं।

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हालांकि, कांग्रेस ने इन क्षेत्रों में अपने मजबूत चुनावी हितों का हवाला देते हुए पीछे हटने से इनकार कर दिया है, जिससे तनाव और भी बढ़ गया है।MVA गठबंधन के तीसरे घटक, एनसीपी के साथ भी कुछ सीटों पर विवाद है।

करण्जा और जलगांव जमोद जैसी सीटों पर शरद पवार की पार्टी अपने उम्मीदवारों को उतारना चाहती है, जबकि कांग्रेस इन सीटों पर अपना दावा मजबूत मानती है। इसी तरह, दिग्रास में भी स्थिति जटिल हो गई है, जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माणिकराव ठाकरे के बेटे टिकट के लिए जोर दे रहे हैं, जबकि शिवसेना (UBT) पवन जायसवाल को उम्मीदवार बनाना चाहती है।

मातोश्री में होने वाली बैठक का परिणाम यह तय करेगा कि शिवसेना (UBT) MVA के साथ अपनी बातचीत जारी रखेगी या MVA गठबंधन से बाहर निकलने पर विचार करेगी। अगर सीट बंटवारे के मसले का समाधान जल्द नहीं निकाला गया, तो यह गठबंधन को कमजोर कर सकता है।
इस बीच, कांग्रेस और शिवसेना (UBT) के बीच तनाव को सुलझाने के लिए एनसीपी के नेता शरद पवार को मध्यस्थ की भूमिका सौंपी गई है। पवार ने पिछले हफ्ते शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है।

कांग्रेस ने अपने केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठक को भी रद्द कर दिया है, जो महाराष्ट्र चुनावों के लिए उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने वाली थी। पार्टी ने अपने नेताओं को दिल्ली में बने रहने के निर्देश दिए हैं, जबकि शिवसेना (UBT) के नेता मातोश्री में रणनीति बना रहे हैं। MVA गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे पर गहराते मतभेदों ने आगामी Maharashtra Assembly Election में विपक्ष के लिए संकट खड़ा कर दिया है।

अगर ये विवाद जल्द सुलझाए नहीं गए, तो इसका फायदा सीधे तौर पर भाजपा को हो सकता है।शरद पवार की मध्यस्थता और उद्धव ठाकरे की आपातकालीन बैठक से क्या समाधान निकलेगा, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। दूसरी तरफ बीजेपी महाराष्ट्र में 99 सीटों पर अपने उमीदवार घोषित कर चुकी है।  हालांकि बीजेपी के लिए भी स्थिति आसान नहीं है क्योंकि महाराष्ट्र में महायुति अलायन्स के दूसरे दल भी बीजेपी के साथ कड़े NEGOTIATION कर रहे हैं सीट बंटवारे को ले कर।

यह साफ़ है की इन चुनावों के नजदीक आते ही INDIA गठबंधन के सामने चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। सीट बंटवारे को लेकर जिस तरह से विवाद उभर रहे हैं, वे सभी राज्यों में गठबंधन की संभावनाओं को कमजोर कर सकते हैं।और इन विवादों से अगर किसी को फायदा होगा तो वो बीजेपी है।  लेकिन इंडिया गठबंधन के नेता अपने हितो को साधने में इतने तलीन हैं की उनके पास MVA गठबंधन की सेहत संभालने का समय ही नहीं है।

कांग्रेस की सीटों पर मोलभाव करने की पोजीशन हरियाणा चुनाव हरने के बाद से कमजोर हो गयी है और इस कमजोर कांग्रेस के ऊपर सभी क्षेत्रीय दल हावी होकर अपना अपना दावा ठोकना चाहते हैं।  दूसरी तरफ बीजेपी के पास केंद्र में सरकार होने का बल होने के साथ साथ एक काफी मजबूत केंद्रीय नेतृत्व होने का बल भी है।  इसलिए ही राज्यों में गठबंधन के मामले में बीजेपी बेहतर स्थति मैं नज़र आ रही है।

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