Haryana Jaat: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती ने हाल ही में संपन्न हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए Haryana Jaat की “जातिवादी” मानसिकता को जिम्मेदार ठहराया है। BSP और इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) के गठबंधन के बावजूद, BSP का वोट शेयर काफी कम रहा, जिससे पार्टी को निराशाजनक परिणाम का सामना करना पड़ा।
मायावती के Haryana Jaat पर किए गए तीखे हमले ने ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश के जाट ने अपनी राजनीतिक सोच बदली है और जातीय पूर्वाग्रहों को पीछे छोड़ा है, जबकि Haryana Jaat अभी भी “जातिवादी” मानसिकता से ग्रस्त हैं। उनका मानना है कि यह पुरानी सोच BSP की राज्य में पैठ न बना पाने का एक बड़ा कारण है।
Haryana Election:
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बड़ी जीत हासिल की, 48 सीटों पर कब्जा जमाते हुए लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल की। कांग्रेस 37 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही, जबकि INLD ने मात्र 2 सीटें जीतीं, और तीन सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के हिस्से में आईं। BSP को मात्र 1.82% वोट शेयर हासिल हुआ, जो INLD के साथ गठबंधन के बावजूद पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ। INLD ने 4.14% वोट हासिल किया, जो भी गठबंधन की उम्मीदों से काफी कम था।
INLD और BSP का गठबंधन BJP और कांग्रेस विरोधी मतों को एकजुट करने के उद्देश्य से बनाया गया था, लेकिन चुनाव परिणामों ने दिखाया कि यह रणनीति मतदाताओं, विशेष रूप से जत समुदाय, के बीच प्रभावी साबित नहीं हुई।
Mayawati Comments on Haryana Election: Haryana Jaat समुदाय पर आरोप:
मायावती ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में हरियाणा के जत समुदाय की “जातिवादी मानसिकता” को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में जाट मतदाताओं ने जातिगत मुद्दों को पीछे छोड़कर BSP के उम्मीदवारों का समर्थन किया है, जिससे कुछ जाट नेता BSP से विधायक और मंत्री बने हैं। हालांकि, Haryana Jaat ने ऐसा नहीं किया और BSP को समर्थन देने में असफल रहे।
“उत्तर प्रदेश के जाट समुदाय के लोगों ने अपनी जातिवादी मानसिकता को काफी हद तक बदला है और वे BSP से विधायक और सरकार में मंत्री बने हैं। हरियाणा के जाट समुदाय के लोगों को भी उनकी राह पर चलना चाहिए और अपनी जातिवादी मानसिकता को बदलना चाहिए,” मायावती ने अपने पोस्ट में कहा।
INLD के साथ गठबंधन की विफलता
BSP और इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) का गठबंधन BJP के वर्चस्व और हरियाणा में कांग्रेस की बढ़त का मुकाबला करने के लिए एक रणनीतिक कदम माना जा रहा था। दोनों पार्टियों को उम्मीद थी कि उनके साझा मतदाता उन्हें प्रमुख सीटों पर जीत दिला सकेंगे। लेकिन परिणाम इसके विपरीत रहे।
मायावती ने इस बात पर जोर दिया कि INLD के साथ गठबंधन में BSP के वोट पूरी तरह से स्थानांतरित हुए, फिर भी Haryana Jaat मतों के चलते कई सीटों पर BSP उम्मीदवार मामूली अंतर से हार गए। उन्होंने जताया कि Haryana Jaat का समर्थन न मिलने के कारण पार्टी को नुकसान हुआ।
बदलाव की अपील
चुनाव परिणामों के बाद, मायावती ने हरियाणा के Haryana Jaat से अपनी जातिवादी सोच को बदलने की अपील की। उन्होंने जोर देकर कहा कि उत्तर प्रदेश के जाट मतदाता जाति से ऊपर उठकर BSP का समर्थन कर रहे हैं और Haryana Jaatको भी ऐसा ही करना चाहिए।
हार के बावजूद, मायावती ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को हौसला देते हुए कहा कि उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, “लोगों को हताश नहीं होना चाहिए और न ही आशा खोनी चाहिए। लेकिन उन्हें अपनी खुद की राह बनाने के लिए तैयार रहना चाहिए। एक नई राह निकलेगी।”
Mayawati Comments on Haryana Election उस समय आई है जब हरियाणा की राजनीति में जातीय समीकरण का विशेष महत्व है, खासकर Haryana Jaat का राज्य के चुनावी नतीजों पर महत्वपूर्ण प्रभाव है। जबकि BJP ने हाल के चुनावों में जाट मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित किया है, कांग्रेस और अन्य दल भी इस महत्वपूर्ण मतदाता समूह को लुभाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। मायावती की यह प्रतिक्रिया उनकी पार्टी की हरियाणा में पैर जमाने की संघर्षपूर्ण यात्रा को उजागर करती है।
BSP के लिए, हरियाणा के चुनाव परिणाम एक झटका साबित हुए हैं, जो दिखाते हैं कि पार्टी को राज्य में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए अपनी रणनीतियों को पुनः आकलन करने की जरूरत है। ये परिणाम हरियाणा की राजनीति में जाति की निरंतर प्रासंगिकता को भी उजागर करते हैं, भले ही मायावती मानती हों कि जातिगत सोच को छोड़कर योग्यता-आधारित नेतृत्व को अपनाया जाना चाहिए।
हरियाणा चुनाव परिणामों ने मायावती को यह कहने पर मजबूर किया कि Haryana Jaat की “जातिवादी” मानसिकता BSP की हार का मुख्य कारण है। उनके यह बयान राजनीतिक बहस को जन्म दे रहे हैं, लेकिन साथ ही यह BSP के सामने आने वाली चुनौतियों को भी उजागर करते हैं, जहां पार्टी राज्य की जातिगत राजनीतिक व्यवस्था में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रही है।
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