Sitapur Mass Murder: Sitapur जिले का पल्हापुर गाँव। सुबह के करीब 4 बजे थे। प्रभाकर अपने घर में सो रहे थे। हालांकि उनके उठने का समय हो रहा था। अचानक ही फ़ोन की घंटी घनघना उठी। उन्होंने उठ कर देखा की इतनी भोर में कौन उनको फ़ोन कर रहा है। देखा तो फ़ोन अजीत का था। प्रभाकर पेशे से एक पट्टीदार हैं। अजीत और उसका भाई अनुराग उनके क्लाइंट थे। प्रभाकर ने कॉल रइवे की तो उधर से बदहवास अजीत ने उनको तुरंत घर आने को कहा। वह बड़बड़ा रहा था की घर का नास हो गया है।
प्रभाकर घबरा गए। वह तुरंत घर पहुंचे और वहां जो उन्होंने देखा उनके पैरो तले की जमीन खिसक गयी। उनके सामने पूरे परिवार की लाशें पड़ी थी और अजीत बैठ कर रो रहा था। उन्होंने तुरंत फ़ोन कर पुलिस को इत्तिला दी।
पुलिस जब मौका-इ वारदात पर पहुंची तब तक ग्रामीणों की भीड़ जमा हो चुकी थी। पुलिस ने मृतकों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया और अजीत सिंह के बयान लिए। अजीत सिंह ने बताया की उसके भाई अनुराग सिंह ने शराब पी कर सबकी नृशंस हत्या की है। अनुराग सिंह की शराब की आदत के कारण घर में झगडे होते थे और ये बात आस पास रहने वाले लोगो को भी पता थी। अजीत सिंह ने बताया की विवाद अनुराग को शराब मुक्ति केंद्र ले जाने की बात पर हुआ था।
पुलिस को कहानी पर यकीन आने लगा था लेकिन आदित्य, जो की अनुराग सिंह का साला था, चीख चीख कर कह रहा था की अनुराग अपनी बीवी, बच्चो और माँ को नहीं मार सकता।
जी हाँ, सीतापुर के पल्हापुर हत्याकांड के मृतकों में तीन बच्चे अश्विनी, आदिक अश्वी जिनकी उम्र क्रमश 12, 8, और 10 वर्ष थी शामिल थे। इसके अलावा एक बुजुर्ग महिला सावित्री सिंह जिनकी उम्र 62 वर्ष थी और वे अनुराग और अजीत सिंह की माँ थी शामिल थी। अनुराग और उनकी बीवी दोनों 40 वर्ष के थे। यह परिवार गाँव का एक पढ़ा लिखा एवं संपन्न परिवार था जिनके पास 100 बीघा जमीन और साथ में मछलीपालन के लिए एक तालाब था। प्रियंका सिंह अपने बच्चो को ले कर लखनऊ रहती थी जहाँ उनकी एक कोठी है। इसकी कीमत करोडो में है। अनुराग सिंह जो एग्रीकल्चर में बीएससी थे गाँव में रह कर भाई अजीत सिंह के साथ खेती बाड़ी देखते थे।
प्रियंका की पारिवारिक पृष्ठभूमि काफी मजबूत थी। वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह की धेवती और कामियरगंज के MLA फतेहबहादुर सिंह की भांजी थी।
जब आदित्य सिंह ने देखा की पुलिस उसकी एक नहीं सुन रही है तो उन्होंने अपने रसूख का इस्तेमाल किया। राजनितिक दबाव के कारण UP पुलिस DGP प्रशांत कुमार ने इस मामले को देखा। आदित्य सिंह का साफ़ कहना था की अनुराग सिंह ऐसा नहीं कर सकता। हो न हो ये सब अजीत सिंह का किया धरा है और शायद नौकर भी इसमें शामिल हो। प्रशांत कुमार ने घटना की दोबारा तफ्तीश के लिए आई जी रेंज तरुण गाबा को वापस घटनास्थल पर भेजा।
इस बीच पुलिस के पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गयी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट देख कर पुलिस को यकीन हो गया की अनुराग ने परिवार को नहीं मारा है क्योंकि खुद उसको गोली और पत्थरो से मारा गया है।
अब पुलिस ने अजीत सिंह से सख्ताई से पूछताछ शुरू की। अजीत ने अपनी पिछले ब्यान दोहराया जिसके अनुसार अनुराग और प्रियंका में अनुराग के शराब पीने को ले कर बहस शुरू हुई। बहस शुरू होने के कारण अजीत अपने कमरे में च गया और अपने आप को अंदर बंद कर लिया। फिर अनुराग ने भी उसके कमरे की कुण्डी बहार से बंद कर दी जिसके कारण वह अनुराग को नहीं रोक पाया। लेकिन जब पुलिस ने पूछा की वह बहार कैसे आया और अगर घटना रात को हुई तोह उसने सुबह 4 बजे फ़ोन क्यों किये तोह इनका कोई जवाब अजीत के पास नहीं था। पुलिस की सख्ताई के सामने अजीत सिंह की होश्यारी ज्यादा देर तक नहीं चली। उसने सब उगल दिया। उसने बताया उनके पिता ने किसान क्रेडिट कार्ड पर लोन लिया था जिसके 24 लाख रूपये बकाया थे। विवाद इस बात पर था की इन रुपयों को बैंक को कौन चुकाएगा। इस बात पर दोनों भाइयो के बीच झगडे होते थे। माँ के बीच भाव कराने पर ही मामला शांत हो पाटा था। घटना के दिन अनुराग की पत्नी प्रियंका ने अजीत को बताया की अनुराग अभी 24 लाख रुपयों में से अपना हिस्सा देने पाने में समर्थ नहीं है। इस बात पर अजीत को बेहद गुस्सा आया और उसने अपने भाई एवं भाभी को मौत के घात उतारने का फैसला किया। इसके लिए उसने घर में खिचड़ी बनवायी और उसमे नींद की गोलिया मिला दी।
लेकिन यह योजना कामयाब न हो सकीय क्योंकि उस दिन सबने बाहर से खाना खाया और किसी ने भी खिचड़ी नहीं खायी। अजीत अपने कमरे में आ कर लेट गया लेकिन गुस्से की आग ठंडी नहीं हो रही थी। आखिरकार वो उठा और उसने प्रियंका और बच्चो के कमरे की लाइट काट दी। प्रियंका गर्मी से उठ कर बाहर आयी तो उसने प्रियंका को गोली मार दी। आवाज सुन कर उसकी माँ बहार आयी तो अजीत ने उन पर हथोड़ो से हमला कर दिया। माँ को अधमरा कर के अजीत भाई के कमरे में गया और उसको मौत के घात उतार दिया। ये सब शोर शराब सुन कर बच्चो की आँख खुल गयी और वो दर गए। अजीत ने उन्हें बताने की कोश्शि की कि उनके पिता ने उनकी माँ को मार डाला है व खुद ख़ुदकुशी कर ली है। बच्चो ने ये मानने से इंकार कर दिया। तोह उसने बच्चो को हथोड़ो से पीटा फिर ऊपर से नीचे फेंक दिया। अब अजीत दोबारा अपनी माँ के पास गया। उनकी साँसे चल रही थी और अजीत को लगा कि वह उनको कैसे अपना मुँह दिखायेगा इसलिए उसने अपनी माँ को भी मार डाला।
सुबह जब गाँव वाले आये तोह उन्होंने देखा कि दो बच्चो की सांसें चल रही थी। उन्होंने अजीत से चाबी मांगी ताकि वह बच्चो को अस्पताल ले जा सके। अजीत ने आधे घंटे तक उनको गाडी की चाबी नहीं दी। बच्चो ने अस्पताल जाते हुए दम तोड़ दिया।
अजीत के कबूलनामे के बाद पुलिस ने अजीत को इस नृशंस हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने जांच में पाया की अजीत ने अकेले ही इस हत्याकाण्ड को अंजाम दिया। उसने हत्या से एक दिन पहले अपनी बीवी और बच्चो को महमूदाबाद सिथित उनके मायके भेज दिया था।
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