Pooja Gaud Case: राजेंद्र भोसले को 2022 में मिला सुकून

Pooja Gaud Case

Pooja Gaud Case: साल 2015 का मई महीना। राजेंद्र भोंसले, असिस्टेंट सुब-इंस्पेक्टर मिसिंग ब्यूरो आज रिटायर हो रहे थे। 1980 में उनकी पहली पोस्टिंग हुई थी और आज 35 साल की नौकरी के बाद वह रिटायर हो रहे थे। उनकी पहली पोस्टिंग पर ही उन्हें सूचना मिली थी की उनकी बहिन की दहेज़ के कारन हत्या हो गयी है। उस समय सिर्फ 23 साल के राजेंद्र ने खुद को असहाय पाया था। लेकिन अपनी 35 साल की नौकरी में उन्होंने किसी क्रिमिनल को नहीं छोड़ा। ये ही उनकी अपनी बहिन के लिए श्रद्धांजलि थी।

Pooja Gaud Case

Pooja Gaud Case: पृष्ठभूमि

लेकिन आज रिटायरमेंट के दिन एक अफ़सोस उनको रह रह कर हो रहा था और वो था लड़की 166 को न ढून्ढ पाने का। 2011 में राजेंद्र को मिसिंग बुरौ का इंचार्ज बनाया गया। 2013 में पूजा हेगड़े गायब हुई। 2013-2015 तक राजेन्द्र भोंसले ने पूजा को हर संभव जगह पर ढूंढा लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला।

पूजा को आखिरी बार उसके भाई रोहित ने देखा था। सात साल की पूजा उस दिन भाई से गुस्से में थी और स्कूल जाने के लिए तेज़ी से नहीं चल रही थी। भाई ने एक बार फिर पूजा को तेज़ चलने के लिए कहा और फिर उस पर कोई असर न पड़ता देख आगे बढ़ गया क्योंकि स्कूल का गेट सिर्फ दस कदम की दूरी पर था। भाई ने जाते हुए पूजा से कहा की वो लंच में उसके साथ दादा दादी के दिए हुए १० रूपये शेयर करेगा।

गेट से रोहित ने मुड़ कर देखा लेकिन पूजा वहां नहीं थी।। रोहित को लगा की वह मजाक कर रही है उसको परेशान करने के लिए। लेकिन रोहित के दिमाग में बेचैनी रही। वह देखने के लिए पूजा की क्लास में गया तो उसे पता चला की पूजा स्कूल आयी ही नहीं। रोहित बदहवास अपने घर पहुंचा और अपनी माँ को इस बारे में बताया।

Pooja Gaud Case: कार्यवाही

उन्होंने आस पास खूब ढूंढा लेकिन पूजा का कुछ पता नहीं चला। आखिरकार DN नगर पुलिस स्टेशन में Pooja Gaud Case दर्ज़ हुआ व इस केस को सुलझाने की ज़िम्मेदारी मिली राजेंद्र भोसले को। भोसले का कहना है की वह हज़ारो घर में गए और उन्होंने हर सूत्र छान मारा लेकिन पूजा गौड़ एक पहेली ही बनी रही। सबसे बड़ा डर राजेंद्र को पूजा के बेचे जाने का था। वह जल्दी जल्दी आगे बढे की कहीं पूजा को देश के बहार न बेच दिया जाए।

लेकिन 2015 आ गया पर पूजा का कुछ पता नहीं चल पाया । Pooja Gaud Case उनके एकदम क्लीन रिकॉर्ड में एकमात्र नाकामयाबी थी। मिसिंग बुरौ इंचार्ज के रूप में उनके सामने 166 केस आये जिसमे से 165 उन्होंने सुलझाए। Pooja Gaud Case एकमात्र अपवाद थी। राजेंद्र Pooja Gaud Case को लेकर इतने परेशान थे की उनके पर्स में उनके रिटायर होने के बाद भी पूजा की फोटो रहती थी। बकौल राजेंद्र उनको यकीन था की वह लड़की जिन्दा है लेकिन वह किन किन हालातो में हो सकती है ये सोच कर राजेंद्र सिहर उठते थे।

बरामदगी

लेकिन 2022 राजेंद्र भोसले के लिए ख़ुशी ले कर आया। उन्हें पता चला की पूजा को बरामद कर लिया गया है। पूजा की बरामदगी भी काफी नाटकीय अंदाज़ मैं हुई। पूजा के पडोसी रफ़ीक़ के घर एक दिन एक फ़ोन आया। कॉल करने वाले ने उन्हें बताया की उनका नाम प्रमिला देवेंद्र है और उसको रफ़ीक़ का नंबर इंटरनेट से पूजा के किडनेपिंग के पोस्टर के नीचे से मिला है और वह पूजा को जानती है। उसने बताया की पूजा उसके साथ एक घर में काम करती है और जिन लोगो के साथ वह रहती है वो उसको मारते पीटते हैं।

रफ़ीक़ ने पुलिस को इत्तिला दी और पुलिस रफ़ीक़ को ले कर प्रमिला के बताये हुए पते पर पहुंची। उन्होंने वहां से पूजा को बरामद किया और उसके किडनैपर्स को गिरफ्तार किया।

पूजा ने बताया की हैरी डिसूजा ने उसका अपहरण किया था। हैरी के यहाँ कोई बच्चा नहीं था इसलिए उन्होंने पूजा का अपहरण कर लिया। लेकिन पूजा के अपहरण के ३ साल बाद उनके यहाँ बच्चे हुए तो उन्होंने पूजा से मार पीट शुरू कर दी।
राजेंद्र भोसले को ये खबर सुन कर राहत मिली और उन्होंने कहा की उनकी पूजा मिल गयी। वो पूजा से मिलने उसके घर भी गए।

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