Delhi Crime News: 18 अक्टूबर, 2017 की सुबह दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम को चौंकाने वाली सूचना मिली। किसी ने बताया कि जनकपुरी के एक स्कूल के पास एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को रिवॉल्वर से छह गोलियां मारी हैं, जो शायद सभी के सभी उसके सिर में लगी हैं। लेकिन अभी वह महिला जिंदा है। अगर उसे तुरंत किसी अच्छे अस्पताल में पहुंचा दिया जाए, तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती है।
फोन पर व्यक्ति ने कहा, “मैं तो राहगीर हूं। मैंने यह दर्दनाक हादसा अपनी आंखों से देखा, इसलिए इंसानियत के नाते आपको फोन कर दिया। पर आप लोग समय बर्बाद मत कीजिए। किसी की जिंदगी का सवाल है। वह महिला मर सकती है। जल्दी आकर उसे बचा लीजिए।”
इसके बाद, पीसीआर वैन को तुरंत मौके पर भेज दिया गया और संबंधित थाने को भी सूचना दी गई। थाने के इंस्पेक्टर रवि कुमार, एएसआई संजय सिंह, और उनकी टीम घटनास्थल की ओर चल पड़े।
जब पुलिस वहां पहुंची, तो उन्होंने देखा कि स्कूल के पास एक सिल्वर रंग की इंडिगो कार खड़ी थी, जिसका बाईं ओर वाला दरवाजा खुला था। पास में ही एक महिला जमीन पर पड़ी थी। सड़क पर थोड़ी दूरी पर एक बुजुर्ग आदमी लेटा हुआ था।
पुलिस के आते ही वह बुजुर्ग आदमी धीरे से उठा और कहने लगा, “सर, मैं आत्मसमर्पण करने के लिए आपका इंतजार कर रहा था। मेरा रिवॉल्वर कार में पड़ा है, मैंने उसकी सारी गोलियां चला दी हैं। कृपया इसे अस्पताल पहुंचा दीजिए, शायद यह बच जाए।”
इंस्पेक्टर रवि कुमार ने पूछा, “इसका मतलब राहगीर बनकर पुलिस को आप ही ने फोन किया था?”
“जी हां, मैं ने ही फोन किया था। मैं अपनी गिरफ्तारी देने को तैयार हूं। लेकिन मेहरबानी करके पहले आप घायल पड़ी मेरी पत्नी को अस्पताल पहुंचा दीजिए। शायद डॉक्टर इसे बचा लें। मैं इसे इस तरह मरते नहीं देख सकता,” बुजुर्ग ने दोनों हाथ जोड़कर कहा।
“आप परेशान मत होइए, हम इन्हें अस्पताल ही ले जा रहे हैं। फिलहाल आप हमारी गाड़ी में बैठ जाइए,” इंस्पेक्टर रवि कुमार ने पुलिस की गाड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा।
एंबुलेंस को पहले ही फोन कर दिया गया था। थोड़ी देर में एंबुलेंस आ गई। उसके बाद महिला को फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने चेकअप के बाद महिला को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भिजवा दिया।
पत्नी को गोलियां मारने वाले उस बुजुर्ग को हिरासत में ले लिया गया था, लेकिन उसके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज कराने को तैयार नहीं था। बुजुर्ग ने ही 100 नंबर पर फोन कर के पुलिस कंट्रोल रूम को घटना की सूचना दी थी। वही इस अपराध का दोषी था। वारदात में प्रयुक्त लाइसेंसी रिवॉल्वर भी कब्जे में ले ली गई थी।
कोई दूसरा चारा न देख इंस्पेक्टर रवि कुमार ने अपनी ओर से एक तहरीर तैयार की और एफआईआर दर्ज करवाने को हवलदार जसवीर सिंह के हाथों थाना भिजवा दिया। कुछ ही देर में थाना जनकपुरी में भादंवि की धारा 302 के अलावा शस्त्र अधिनियम की धाराओं 25 और 27 के अंतर्गत रमेश कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई, क्योंकि उस बुजुर्ग का नाम रमेश कुमार था।
सारी कार्रवाई पूरी कर के रमेश कुमार और उसकी कार को कब्जे में लेकर पुलिस थाने लौट आई। थाना पहुंचते ही रमेश कुमार की तबीयत बिगड़ने लगी। इसके बाद उनके कहने पर उनके मैनेजर अनिल शर्मा को फोन करके उनकी दवाएं मंगवाई गईं। अनिल शर्मा के आने पर रमेश कुमार ने एक साथ 10 तरह की टैबलेट्स खाईं, तब कहीं जाकर उनकी स्थिति में सुधार आना शुरू हुआ।
अनिल को जब इस दर्दनाक घटना के बारे में पता चला तो वह हैरान रह गए। पुलिस को उन्होंने जो बताया, उसके अनुसार सुबह दोनों पीजीआई अस्पताल जाने के लिए एक साथ निकले थे। रमेश कुमार ने हल्का नाश्ता किया था, जबकि उनकी पत्नी ने ठीकठाक नाश्ता किया था। दोनों की बातचीत में किसी तरह का तनाव या मनमुटाव नहीं दिखाई दिया था। रमेश कुमार जो इंडिगो कार लेकर आए थे, वह उन्हीं की थी।
रमेश कुमार से पूछताछ करना आसान नहीं था। उनका मेडिकल करवाया गया तो पता चला कि वह दवाओं के सहारे जिंदगी जी रहे थे। दिल के मरीज होने के साथ-साथ हाइपरटेंशन, शुगर और अन्य कई तरह की बीमारियों से वह इस तरह गंभीर रूप से ग्रस्त थे कि उन्हें अपना जीवन चलाने के लिए दिन में 3 बार 10 तरह की दवाओं को नियमित खाना पड़ता था। अगर एक भी गोली नहीं खाते थे तो उनकी तबीयत इस तरह खराब हो जाती थी कि उन्हें संभालना मुश्किल हो जाता था।
जो भी था, चिकित्सीय सुविधा के साथ पुलिस ने रमेश कुमार से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की। इस पूछताछ में रमेश कुमार और उनके मैनेजर अनिल शर्मा के बयान से जो कहानी सामने आई, वह एक अजीबोगरीब कहानी थी—
60 साल के रमेश कुमार का जनकपुरी में अच्छा-खासा होटल था। उसी होटल के टॉप फ्लोर में वह खुद रहते थे। सन 1977 में उनकी शादी उनसे 2 साल बड़ी सीमा कौर से हुई थी। सीमा कौर अनिवासी भारतीय थीं, जो लंदन में रहती थीं। शादी के बाद वह भारत में रहने आईं तो वहां के मुकाबले उन्हें भारत का रहन-सहन अच्छा नहीं लगा।
इसलिए सीमा कौर ने पति से भी इंडिया छोड़ कर लंदन चलकर रहने को कहा, लेकिन रमेश इसके लिए तैयार नहीं थे। उन्हें अपने देश में रहना ज्यादा अच्छा लगता था। उन्हें जनकपुरी से कुछ ज्यादा ही लगाव था। वहां उनका बढ़िया होटल था, जो ठीकठाक चल रहा था।
सीमा कौर कभी लंदन चली जातीं तो कभी भारत आकर पति के साथ रहतीं। उनके पास इंडिया और इंग्लैंड दोनों जगहों की नागरिकता थी। कभी-कभी रमेश कुमार भी इंग्लैंड चले जाते थे। जिस तरह सीमा कौर को इंडिया में अच्छा नहीं लगता था, उसी तरह रमेश कुमार को इंग्लैंड में अच्छा नहीं लगता था। इसलिए वह कुछ दिनों के लिए ही इंग्लैंड जाया करते थे। इसी तरह यह सिलसिला चलता रहा।
देखते-देखते सालों बीत गए। इस बीच दोनों बेटी रिया और बेटे अर्जुन के माता-पिता बन गए। दोनों बच्चे लंदन में ही रह रहे थे। वहीं पर उनकी शादियां हो गई थीं। उनके भी बच्चे हो गए। लेकिन उनका लगाव पिता से कम, मां से ज्यादा था। रिया इस समय 39 साल की है तो अर्जुन 37 साल का हो चुका है।
उम्र के साथ रमेश कुमार को कई बीमारियां हो गई थीं। उनका इलाज चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल से चल रहा था। सीमा कौर तो पहले ही से कहती रहती थीं कि जो सुविधाएं इंग्लैंड में हैं, भारत में नहीं है। इधर वह पति से स्पष्ट कहने लगी थीं कि अगर उन्हें लंबा स्वस्थ जीवन जीना है तो वह अपनी सारी संपत्ति बेचकर हमेशा हमेशा के लिए इंग्लैंड चलकर बस जाएं, वरना यहां के अस्पतालों के आधारहीन इलाजों से वह जल्दी ही मौत के आगोश में समा जाएंगे।
लेकिन रमेश कुमार किसी भी सूरत में ऐसा करने के हक में नहीं थे, इसलिए उन्होंने पत्नी से साफ कह दिया था कि वह चाहें तो उनकी प्रॉपर्टी से अपना हिस्सा ले उनसे अलग रहने का अधिकार ले लें, लेकिन वह किसी भी कीमत पर भारत छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। वह मरते दम तक जनकपुरी में ही रहेंगे।
घटना से करीब 2 हफ्ते पहले ही सीमा कौर अकेली ही भारत आई थीं। इस बार पति को अपने साथ इंग्लैंड ले जाने के चक्कर में उन्होंने भारत और इंग्लैंड के बीच बराबर तुलना करती रहीं। उस दिन कार में जाते समय भी वह वही सब कहती रहीं। पीछे से अगर कोई हॉर्न बजाता तो सीमा कौर कहतीं, “इंग्लैंड में ऐसा नहीं होता।”
होटल मैनेजर अनिल शर्मा ने पुलिस को जो बताया, उसके अनुसार रमेश कुमार उस दिन चेकअप के लिए पीजीआई अस्पताल जा रहे थे। वह सुबह 9 बजे ही तैयार हो गए थे। उनके पास .32 बोर का लाइसेंसी रिवॉल्वर था, जिसे उन्होंने अपने पास रख लिया था।
रमेश कुमार के पास बीएमडब्ल्यू कार थी। लेकिन उस दिन उन्होंने अपनी कार सर्विस के लिए भिजवाने के लिए अनिल शर्मा को बोल कर उनकी इंडिगो कार ले ली थी। नाश्ता वगैरह कर के वह पत्नी को साथ लेकर कार को खुद चलाते हुए होटल से निकल पड़े थे।
इसके बाद जो कुछ हुआ, उसके बारे में रमेश ने पुलिस को बताया, “कार में बैठते ही सीमा ने हमेशा की तरह इंग्लैंड चलने को लेकर मेरा दिमाग चाटना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि इंडिया के घटिया अस्पतालों में इलाज करवा कर मैं अपनी मौत को क्यों बुला रहा हूं। जैसे ही वह किसी हॉर्न की आवाज सुनतीं, कहतीं- ‘इंग्लैंड में ऐसा नहीं होता।’ वहां हर जगह अस्पताल और डॉक्टर पूरी सुविधाओं से लैस हैं। नर्सिंग स्टाफ बड़ा बढ़िया है। यहां की तरह लापरवाह नहीं है।”
“फेज-10 के स्कूल के पास आते-आते मुझे गुस्सा आ गया। मैंने कार रोक दी और कहा कि अगर उन्हें इंडिया इतना ही खराब लगता है तो वह यहां से हमेशा-हमेशा के लिए चली जाएं। फिर कभी लौटकर ना आएं। लेकिन सीमा ने जिद पकड़ ली। वह कहने लगीं कि मैं घर पर बीमार पड़ा मरने का इंतजार करता रहूं और वह वहां चैन की जिंदगी जिएं। इस तरह एक साथ रहते 40 साल बीत गए हैं। अब मैं इसे छोड़ने वाला नहीं हूं।”
“मैं और सीमा कार से नीचे उतर आए थे। वह कह रही थी कि वह मुझसे प्यार करती है, इसलिए मुझे इंग्लैंड ले जाना चाहती है। जबकि मैं उसका दिमाग खराब कर रहा हूं। मुझे भी इतना गुस्सा आया कि मैंने गुस्से में आकर अपनी रिवॉल्वर निकाली और सीधा फायर कर दिया। गोली उसकी कनपटी के पास जा लगी और वह वहीं गिर पड़ी। उसके बाद भी मैं उसे मारने के लिए गोलियां चलाता रहा। उसके बाद मेरी हालत बिगड़ गई। मैं उससे इतना प्यार करता था कि उसे इस तरह मरते नहीं देख सकता था। मैंने तुरंत पुलिस को फोन किया। जब तक पुलिस आई, मैं वहीं खड़ा रहा।”
“मैं वहां से भागना नहीं चाहता था। पुलिस ने मुझे गिरफ्तार किया। अस्पताल में जाकर देखा, तो वह मर चुकी थी। अब मेरा यहां क्या है? मैंने हमेशा वही किया जो वह चाहती थी। लेकिन जनकपुरी छोड़ना मेरे लिए संभव नहीं था। यहां की मिट्टी से मुझे बहुत प्यार है।”
रमेश कुमार की इस दास्तान से पुलिस को काफी कुछ समझ में आ गया। उसने उसकी मेडिकल स्थिति को देखते हुए जरूरी दवाएं मंगवाई और उसे विशेष निगरानी में रखा। पुलिस ने मामले की तफ्तीश शुरू कर दी है और अदालत में रमेश कुमार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।