Crime Story Part – 2: एक किसान ने पत्नी और 8 बच्चियों को घर से निकाला, पंचायत ने लिया फैसला , बेघर हुई पत्नी

Crime Story Part – 2

इधर गंगा अपनी आठ बेटिओं के साथ अपने पिता के घर में रहने लगी। गंगा को मिली रकम उसके पिता और भाई ने अपने मन मुताविक खर्च कर ली। इसके बारे में गंगा को भनक तक नहीं लगी। अब गंगा अपने ही पिता के घर में सब पर बोझ लगने लगी। उसकी भाभी और उसके दोनों लड़के गंगा और उसकी बेटियों को परेशान करते थे।

गंगा की बेटियों को घर का हर सदस्य मारने पीटने लगा। गंगा पुरे दिन एक नौकरानी की तरह काम करने लगी फिर भी गंगा और उसकी बच्चियों को दो टाइम का खाना नसीब नहीं था। हर कोई गंगा को ताना मारता कि आठ बच्चियों को लेकर हमारे सर पर बोझ बनने आ गयी, कही जाकर मर क्यों नहीं जाती। गंगा की माँ और बाप भी गंगा को बहुत परेशान करने लगे। गंगा अपने ही पिता के घर में ससुराल से ज्यादा परेशान रहने लगी। इन सब से तंग आकर गंगा ने फैसला लिया कि वह अपनी बच्चियों के साथ कहीं दूर चली जाएगी। इस नर्क के जीवन से कहीं दूर जहाँ वह अपनी बच्चियों के साथ आराम से रह सके।

एक दिन गंगा ने अपनी माँ से अपने पैसे मांगे जो उसे उसकी ससुराल वालों ने दिए थे। यह सुनकर गंगा की माँ आग बबूला हो गयी और गंगा को खरी खोटी सुनाने लगी कि तेरा और तेरी बच्चियों का खर्चा उठा रहे हैं ये क्या कम है जो अब तुझे पैसे भी चाहिए। आने दे तेरे भाई और पिता को वही तुझे बताऐंगे।

शाम को जब गंगा के पिता और भाई घर आये और जब उन्हें पता चला कि गंगा ने अपने हिस्से के पैसे मांगे हैं तो दोनों ही गुस्से के मारे लाल ताते हो गए। आए बनी ना ताए दोनों ने गंगा और उसकी बेटियों को पीटना शुरू कर दिया, गंगा और उसकी बेटियां दर्द से चीखने चिल्लाने लगी मगर उन्हें बचाने कोई भी नहीं आया। चीखने चिल्लाने की आवाज़ सुनकर पूरा गांव इकट्ठा हो गया मगर उन्हें बचाने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई। क्यूंकि उस गांव की यही परम्परा थी वहां लड़कों को ज्यादा महत्त्व दिया जाता और लड़कियों को कुरूप समझा जाता।

गंगा और उसकी बेटियों को इतना पीटा गया कि वो बेचारी बेहोश ही हो गयी लेकिन उन्हें किसी ने नहीं बचाया। तेज चिलमिलाती धूप में गंगा और उसकी बेटियां बेहोश पड़ी रही, बहुत देर बाद जब गंगा को होश आया तो उसने बेटियों को देखा कि वे सब तो अभी भी बेहोश हैं। गंगा ने चारो तरफ देखा उसे कोई नहीं दिखा क्यूंकि सभी अपने अपने कमरे में चले गए थे।

गंगा ने हिम्मत दिखाई और कहराती हुई खड़ी हुई, उसने एक एक करके अपनी बच्चियों को कमरे के अंदर किया और उनके मुँह पर पानी के छींटे मारे जिससे उसकी बच्चियों को होश आ जाये, इतना सब सहकर गंगा की हिम्मत ही टूट गयी।

अब तो उसने ठान ली थी कि कुछ भी हो जाये वह इस नर्क से अपनी बच्चियों को निकालेगी। उसी रात गंगा ने घर छोड़ने का फैसला लिया और उसने अपनी माँ की तिजोरी से कुछ पैसे लिए और अपनी बेटियों को चुप रहने का इशारा किया। रात के अँधेरे में गंगा अपनी बच्चियों के साथ दबे पांयों घर से बाहर निकल गयी,जब घर के सभी लोग गहरी नींद में सो रहे थे। बच्चियाँ भी इस नर्क भरे जीवन से छुटकारा पाना चाहती थी तो उन्होंने भी अपनी माँ का पूरा साथ दिया।

गंगा घरवाले और गांव वालों से छुपते छुपाते रात के अँधेरे में गांव से बाहर जाने लगी, उसे डर भी बहुत था कि कहीं उसे और उसकी बच्चियों को कोई देख न ले। कुत्ते भी उनके ऊपर जोर जोर से भोंक रहे थे। चारो ओर अँधेरा ही अँधेरा और घोर सन्नटा था।

गंगा और उसकी बच्चियां डरी और सहमी हुई आगे की ओर बढ़ी जा रही थी। कहते है न जब कुछ करने की ठान लो तो भगवान भी हमारा साथ देते हैं। उस रात भगवान् ने गंगा का पूरा साथ दिया उसे हिम्मत दी और उसे रास्ता दिखाया। गंगा और उसकी बच्चियां डरते डराते सड़क के किनारे पहुँच गए ,और बस के आने का इन्तजार करने लगी। थोड़ी ही देर बाद वहां बस आ गयी, गंगा ने अपनी बच्चियों को बस में चढ़ाया फिर खुद बस में चढ़ गयी। इस गांव को छोड़ गंगा कही दूर किसी शहर में चली गयी, एक खुशहाल जीवन जीने के लिए। गंगा और उसकी बच्चियाँ बहुत खुश थीं कि वह नर्क भरे जीवन से बाहर निकल चुकी थीं।

Crime Story Part – 1: एक किसान ने पत्नी और 8 बच्चियों को घर से निकाला, पंचायत ने लिया फैसला , बेघर हुई पत्नी

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