Ratan Tata नहीं रहे। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 86 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली।उनकी मृत्यु की खबर के बाद पूरे देश में शोक का माहौल है। Ratan Tata ने 140 बिलियन लोगो के जीवन को अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज के द्वारा छुआ है और आज वे 140 करोड़ लोग इस इंसान के सम्मान में नतमस्तक है और मौन है।
Ratan Tata जन्म:
ब्रिटिश भारत में 28 दिसंबर 1937 को Ratan Tata का जन्म हुआ था। रतन टाटा के दादा Hormusji Tata का टाटा खानदान के साथ खुनी रिश्ता था। Ratan Tata के जनम के बाद उन्हें नवल टाटा और सूनी टाटा ने गोद लिया। सूनी टाटा जामेशद जी टाटा की भतीजी थी और नवल टाटा को जमशेद जी टाटा ने भी गोद ही लिया था। इस तरह रतन टाटा जमशेद जी टाटा के पोते बन गए।
शिक्षा:
कुछ साल बाद जन रतन टाटा 10 साल के थे, नवल और सूनी का SEPARATION होने के बाद रतन टाटा को उनकी दादी ने पाला। इंडिया में SCHOOLING के बाद रतन टाटा ने CORNELL UNIVERSITY अमेरिका से ARCHITECHTURE में बैचलर्स की डिग्री ली।
रतन टाटा के अनुसार LOS ANGELES में उन्हें एक लड़की पसंद आयी जिससे वो शादी भी करना चाहते थे लेकिन दादी की तबियत खराब होने के कारण उन्हें वापस आना पड़ा। लड़की की फॅमिली इंडो-चीन वॉर की अस्थिरता के कारण लड़की को इंडिया नहीं भेजना चाहती थी। रतन टाटा को वह RELATIONSHIP ख़तम करनी पड़ी।
भारत वापसी और टाटा समूह से जुड़ना:
वे भारत आये और 1961 में टाटा स्टील ज्वाइन की। टाटा स्टील में Ratan Tata ने शॉप फ्लोर पर काम किया। 1970 में रतन टाटा को टाटा ग्रुप में MANAGERIAL पोजीशन दी गयी।
NALCO और EMPRESS MILL, टाटा ग्रुप्स की दो कंपनियां जो घाटे में चल रही थी उन्हें चलाने की ज़िम्मेदारी टाटा को दी गयी। NALCO पहले उठी लेकिन ECONOMIC SLOW DOWN के कारण फिर गिर गयी।
EMPRESS MILL के REVIVAL PROJECT को रतन टाटा को 1977 में बंद कर देना पड़ा क्योंकि टॉप मैनेजमेंट से 50 लाख रूपये का लोन वे APPROVE नहीं करवा पाए। ये मिल REVOLUTIONARY होने वाली थी लेकिन इसे बंद करना पड़ा और रतन टाटा को इसका काफी दुःख हुआ।

Ratan Tata: टाटा ग्रुप के नए चेयरमैन और विवाद:
लेकिन कहानी शुरू हुई 1991 में जब JRD TATA जो उस समय टाटा संस के चेयरमैन थे ने रिटायर होने का फैसला किया। उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में चुना रतन टाटा को। टाटा संस की SUBSIDARY कंपिनयों के हेड्स को यह फैसल पसंद नहीं आया और इस पर खूब विवाद हुआ।
रूसी मोदी जो टाटा स्टील के हेड थे, दरबारी सेठ, अजित केरकर और नानी पाखीवाला को दरकिनार कर के रतन टाटा पर JRD ने भरोसा जताया था। रतन टाटा के सामने भारतीय उद्योग जगत की सबसे बड़ी शख्सियत द्वारा खाली की गयी जगह को भरने की चुनौती थी। इसलिए रतन टाटा अपने काम में लग गए।
चेयरमैन के रूप में काम:
सबसे पहले Ratan Tata ने टाटा ग्रुप्स में रिटायरमेंट आगे तय की। SENIOR EXECUTIVES की रिटायरमेंट आगे 65 और जनरल रिटायरमेंट आगे 75 रखी गयी। इस पालिसी के बाद उत्तराधिकार का ISSUE खुद ही SOLVE हो गया क्योंकि मोदी को हटाया गया। सेठ और कक्कर खुद हट गए क्योंकि उनकी उम्र ज्यादा हो गयी थी।
उत्तराधिकार का मुद्दा खत्म करने के बाद रतन टाटा ने टाटा ग्रुप को SUBSIDARIES को TAATA SON नाम का उपयोग करने के एवज में रॉयल्टी देने के लिए तैयार किया। और साथ ही ये नियम भी बनाया की कम्पनीज ग्रुप ऑफिस को रिपोर्ट करेंगी।
उन्होंने ऐसे बिज़नेस से जहाँ कंपनी अच्छा नहीं कर रही थी या जो बिज़नेस COMAPNY के लिए कोई मायने नहीं रखते थे कंपनी को बाहर निकाला। इनमे सीमेंट, टेक्सटाइल, और कास्मेटिक सबसे मुख्य हैं और कंपनी को टेलीकॉम, फाइनेंस, रिटेल, और सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में एंटर करवाया।
रतन टाटा 21 साल इस पद पर रहे और उन्होंने कंपनी का REVENUE चालीस गुना और प्रॉफिट 50 गुना बढ़ा दिया। जब उन्होंने कंपनी को टेक ओवर किया था तब कंपनी की आय का साधन COMMODITY SALES थी लेकिन उनके TENURE के खत्म होने पर आय का मुख्य साधन ब्रांड्स थे।
सबसे बड़ी सफलता रतन टाटा की थी टाटा संस को इंडिया CENTRIC COMPANY से एक इंटरनेशनल ब्रांड बनाना। 2000 में टेटली को खरीद कर रतन टाटा ने अपनी अंतर्राष्ट्रीय यात्रा शुरू की। फिर साउथ कोरिया की DEWAOO MOTORS को खरीदा। फिर ANGLO DUTCH STEEL कंपनी CORUS GROUP को खरीदा।
लेकिन सबसे SWEET ACQUISITION था जैगुआर लैंड रोवर का। 1999 में जब रतन टाटा टाटा मोटर्स को बेचने की पेशकश ले कर फोर्ड मोटर्स के पास गए थे तो फोर्ड के मालिक ने टाटा को कहा था कि जब पैसेंजर कार के बारे में कुछ पता ही नहीं है तो बिज़नेस स्टार्ट क्यों किया? 2008 में इसी फोर्ड को दिवालिया होने से टाटा ने बचाया JAGUAR LAND ROVER को खरीद कर। हालांकि इस खरीद पर 2500 करोड़ रूपये का नुक्सान बर्दाश्त करना पड़ा।

Ratan Tata रिटायरमेंट और फिर वापसी:
2012 में 75 साल की उम्र होने पर Ratan Tata ने टाटा ग्रुप के चेयरमैन के पद से इस्तीफ़ा दे दिया। CYRUS MISTRY को उनकी जगह टाटा संस का चेयरमैन बनाया गया जिन्हे विवाद के चलते हटाना पड़ा। इस कारण अक्टूबर 2016 में रतन टाटा फिर INTERIM CHAIRMAN बने टाटा संस के। जनवरी 2017 में N CHADRASHEKHARAN के टाटा संस का चेयरमैन बनाये जाने के बाद उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया।
Ratan Tata: दी फिलांथ्रोपिस्ट
बिज़नेस में Ratan Tata की परफॉरमेंस उनके टैलेंट की गवाही देती है। लेकिन रतन टाटा सिर्फ अपनी BUSINESS SENSE के ही कारण प्रसिद्द नहीं हैं। उनकी मानवता और दयालु स्वभाव भी काफी प्रसिद्ध है।
अपनी यूनिवर्सिटी कॉर्नवेल को 50 मिलियन डॉलर की डोनेशन उन्होंने दी। INDIAN INSTITUE OF SCIENCE के CENTRE OF NEUROSCIENCE को ALZHEIMER पर रिसर्च के लिए उन्होंने 750 मिलियन रूपये उन्होंने दिए। दुनिया की सब PRESTIGIOUS UNIVERSITIES में टाटा स्टडी सेंटर्स हैं चाहे वो हॉवर्ड हो या MIT हो, ये सेंटर्स विभिन्न क्षेत्रो में रिसर्च को फण्ड करते हैं।
मुंबई में टाटा संस का जानवरो के मुफ्त इलाज़ का हॉस्पिटल है। खुट रतन टाटा को कुत्तो से बेहद प्यार था और टाटा ऑफिस में मानसून में डॉग शेल्टर बनाने के लिए भी उनकी काफी चर्चा हुई थी।
2021 में 2 साल से अस्वस्थ अपने एक EMPLOYEE को देखने पुणे में उसके घर भी चले गए और साथ ही वायदा किया की जिंदगी भर उसकी तबियत का खर्चा उठाएंगे और बच्चो की पढ़ाई करवाएंगे। मुंबई हमलो के बाद ताज होटल जब RENOVATION के लिए बंद करना पड़ा तब भी उन्होंने अपने EMPLOYEES की सैलरी देना जारी रखा।
रतन टाटा को START UPs में निवेश करने का भी काफी शोक था। उन्होंने अपनी निजी स्मपति से भी पैसे START UPs में लगाए। Snapdeal, Ola, Xiaomi, Nestaway आदि कुछ स्टार्टअप्स हैं जहाँ उन्होंने निवेश किया।
Ratan Tata ने कभी कहा था “उन वैल्यूज और एथिक्स के अलावा जिनके अनुसार मैंने जीने की कोशिश की है मैं जो लिगेसी पीछे छोड़ कर जाना चाहूंगा वो बेहद सिंपल है , और वो है कि मैं हमेशा उस चीज़ के लिए खड़ा हुआ जो मुझे ठीक लगी और मैं जितना संभव था उतना फेयर और निष्पक्ष रहा।”
आज दुनिया भर से जिस तरह शोक संदेशो की झड़ी श्री रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने के लिए लगी है उस से पता चलता है की रतन टाटा एक बड़ी legacy अपने पीछे छोड़ कर गए हैं जिसे छूना अगर असंभव नहीं तो काफी मुश्किल जरूर होगा।
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