12 Jyotirlinga: शिवपुराण में भगवान शिव के बारे में बताया गया है कि भगवान शिव ने भक्तों के कल्याण के लिए इस संसार में अपने 12 ज्योतिर्लिंग प्रकट किए हैं। कहते हैं जो भक्त द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेते हैं वह आवागमन से मुक्त हो जाते है और ऐसा पाप मुक्त प्राणी शिवलोक में स्थान पाता है।
पुराणों में कहा गया है कि जब तक महादेव के इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं कर लेते, आपका आध्यात्मिक जीवन पूर्ण नहीं हो सकता। हिंदू मान्यता के अनुसार ज्योतिर्लिंग कोई साधारण शिवलिंग नहीं है। ऐसा माना जाता है कि इन सभी 12 जगहों पर भोलेनाथ ने खुद दर्शन दिए थे, तब ये ज्योतिर्लिंग उत्पन्न हुए।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन 12 जगहों पर शिव जी ज्योति स्वरूप में विराजमान हैं, इस वजह से इन 12 मंदिरों को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारेश्वर, भीमाशंकर, विश्वेश्वर (विश्वनाथ), त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घुष्मेश्वर (घृष्णेश्वर) शामिल हैं।

12 Jyotirlinga: Somnath Jyotirlinga Gujrat
गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यहां पर देवताओं ने एक पवित्र कुंड भी बनवाया है, जिसे सोमकुण्ड या पापनाशक-तीर्थ कहते हैं।
सती माता की इच्छा से सोमनाथ ने अपने महायज्ञ का त्याग कर दिया और सती माता के सामने प्रकट हो गए। यहां पर भगवान शिव ने सती माता की अपनी स्तुति की और उन्हें आशीर्वाद दिया। यह कथा भगवान शिव और सती माता के प्रेम और भक्ति का प्रतीक है, जिससे सोमनाथ मंदिर का नाम प्रसिद्ध हुआ।

12 Jyotirlinga: Mallikarjuna Jyotirlinga Andhra Pradesh
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है। माना जाता है कि जो भक्त इस मंदिर में शिव पूजा करता है, उसे अश्वमेघ यज्ञ से मिलने वाले पुण्य के बराबर पुण्य मिलता है।

12 Jyotirlinga: Mahakaleshwar Jyotirlinga Madhya Pardesh
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, ऐसे मंदिर जिन्हें शिव का सबसे पवित्र निवास कहा जाता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश राज्य के प्राचीन शहर उज्जैन में स्थित है। ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन होने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है।

12 Jyotirlinga: Omkareshwar Jyotirlinga Madhya Pradesh
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से लगभग 78 किमी की दूरी पर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। इंदौर शहर के पास जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग है। उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ॐ का आकार बनता है।
माना जाता है कि पुराने समय में ओंकारेश्वर मंदिर वाली पहाड़ी पर एक मांधाता नाम के राजा ने तप किया था। इस पर्वत को मांधाता पर्वत भी कहते हैं। राजा के तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए और यहां प्रकट हुए। इसके बाद शिव जी ने राजा को वरदान दिया और कहा कि वे अब से यहीं वास करें।
ओंकारेश्वर मंदिर भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। पूरे भारत से तीर्थयात्री भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर आते हैं।

12 Jyotirlinga: Kedarnath Jyotirlinga Uttarakhand
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में हिमालय की केदार नामक चोटी पर स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है। केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
केदारनाथ मंदिर चार धाम यात्रा का हिस्सा है, जो हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि महाभारत के समय में ही इस मंदिर को पांडवों ने बनवाया था।
मान्यताओं के अनुसार हिमालय के केदार शृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उनके प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया।

12 Jyotirlinga: Bhimashankar Jyotirlinga Maharashtra
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे से 110 किलोमीटर दूर स्थित है। 3,250 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का शिवलिंग काफी मोटा है। इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इसी मंदिर के पास से भीमा नामक एक नदी भी बहती है जो कृष्णा नदी में जाकर मिलती है।

12 Jyotirlinga: Baba Vishwanath Jyotirlinga Uttar Pradesh
बाबा विश्वनाथ का यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश की धार्मिक राजधानी वाराणसी शहर में स्थित है।
यह वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह मंदिर पवित्र नदी गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित है, और बारह ज्योतिर्लिंगस में से एक है। वाराणसी शहर को काशी भी कहा जाता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर को हिंदुओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है और इसके दर्शन करने से जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।

12 Jyotirlinga: Trimbakeshwar Jyotirlinga Maharashtra
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। इसका निर्माण तीसरे पेशवा बालाजी बाजीराव (1740-1760) ने एक पुराने मंदिर के स्थान पर करवाया था। त्र्यंबकेश्वर मंदिर एक धार्मिक केंद्र है, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

12 Jyotirlinga: Vaidyanath Jyotirlinga Jharkhand
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के संथाल परगना डिवीजन में देवघर में स्थित है। सभी 12 शिव ज्योतिर्लिंग स्थलों में बैद्यनाथ धाम का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि ये भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां माता सती का हृदय गिरा था, इसलिए इसे हृदयपीठ भी कहा जाता है।

12 Jyotirlinga: Nageshwar Jyotirlinga Gujrat
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के करीब स्थित है। धार्मिक पुराणों में भगवान शिव को नागों का देवता बताया गया है और नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर। द्वारका पुरी से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है।
भक्तों की प्रार्थना सुनकर शिव जी यहां ज्योति रूप में विराजित हो गए। शिव जी ने भक्तों से कहा था कि ये ज्योतिर्लिंग नागेश्वर के नाम से प्रसिद्ध होगा। एक अन्य मान्यता के अनुसार यहां शिव जी और देवी पार्वती नाग रूप में प्रकट हुए थे। इस वजह से भी इसे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।

12 Jyotirlinga: Rameswaram Jyotirlinga Tamil Nadu
भगवान शिव का यह ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथम नामक स्थान में स्थित है। रामेश्वरतीर्थ को ही सेतुबंध तीर्थ भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान श्री राम द्वारा स्थापित किए जाने के कारण इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है।

12 Jyotirlinga: Ghushmeshwar Jyotirlinga Maharashtra
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। इस स्थान को ‘शिवालय’ भी कहा जाता है।
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग भोलेनाथ की अपार भक्त रही घुष्मा की भक्ति का प्रतीक है। उसी के नाम पर ही इस शिवलिंग का नाम घुष्मेश्वर पड़ा था।
घुश्मा ने शिव जी से प्रार्थना की कि लोक-कल्याण के लिए वो इसी स्थान पर हमेशा के लिए निवास करें। शिवजी ने घुश्मा की बात मान लीं और ज्योतिर्लिंग के रूप मे प्रकट होकर वहीं निवास करने लगे। शिवभक्त घुश्मा के आराध्य होने के कारण ही इनका नाम घुश्मेश्वर महादेव पड़ा। इसे घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।
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