Tahawwur Rana: 2008 में मुंबई पर हुए आतंकवादी हमलों ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। इस हमले में 170 से अधिक निर्दोष लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का हाथ था। इस हमले में कई प्रमुख चेहरे शामिल थे, जिनमें से एक था तहव्वुर राणा। राणा का नाम इस पूरे मामले में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उस पर 26/11 के हमलों की साजिश में शामिल होने, सहयोग देने और मुख्य योजनाकारों में से एक डेविड हेडली की मदद करने का आरोप है।
हाल ही में, अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण स्थगन अनुरोध को खारिज कर दिया, जिससे उसके भारत भेजे जाने का रास्ता साफ हो गया है। यह निर्णय भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते सुरक्षा सहयोग और आतंकवाद के खिलाफ साझा प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
Tahawwur Rana: तहव्वुर राणा कौन है?
तहव्वुर हुसैन राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जो पेशे से एक डॉक्टर था। वह अमेरिका में रहकर व्यवसाय करता था और उसकी दोस्ती डेविड कोलमैन हेडली (जिसका असली नाम दाऊद गिलानी था) से थी।
राणा का अमेरिका में एक आव्रजन सेवा से संबंधित व्यवसाय था, जिसका उपयोग हेडली ने भारत और अन्य देशों की यात्रा के लिए किया था। अमेरिकी जांच एजेंसियों के अनुसार, राणा ने हेडली को फर्जी प्रमाण-पत्र और दस्तावेज़ प्रदान किए, जिससे वह भारत में स्वतंत्र रूप से घूम सका और 26/11 हमले की तैयारी के लिए संभावित लक्ष्यों की रेकी कर सका।
Tahawwur Rana: मुंबई हमलों में राणा की भूमिका
राणा की संलिप्तता कई स्तरों पर पाई गई:
- हेडली को सहायता प्रदान करना: राणा ने डेविड हेडली को भारत में एक व्यवसायी के रूप में प्रस्तुत करने में मदद की, जिससे वह बिना किसी संदेह के विभिन्न स्थानों पर घूम सके और हमले के लिए आवश्यक खुफिया जानकारी एकत्र कर सके।
- फर्जी दस्तावेज़ तैयार करना: अमेरिकी जांच एजेंसियों ने पाया कि राणा की कंपनी का इस्तेमाल हेडली के लिए नकली यात्रा दस्तावेज़ बनाने के लिए किया गया था।
- लश्कर-ए-तैयबा से संबंध: अमेरिकी न्यायालय ने यह भी स्वीकार किया कि राणा का लश्कर-ए-तैयबा से अप्रत्यक्ष संबंध था और उसने इस संगठन के लिए समर्थन जुटाने में भूमिका निभाई।
Tahawwur Rana: अमेरिका में राणा पर मुकदमा
2011 में अमेरिका में राणा को गिरफ्तार किया गया और उस पर आतंकवाद से संबंधित कई आरोप लगाए गए। हालांकि, अमेरिका में उसे सीधे 26/11 हमलों के लिए दोषी नहीं ठहराया गया, लेकिन उसे लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन देने और डेनमार्क में एक समाचार पत्र पर हमले की योजना बनाने के आरोप में सजा सुनाई गई। उसे 14 साल की कैद की सजा मिली थी, लेकिन बाद में वह जेल से बाहर आया और भारत ने उसके प्रत्यर्पण की मांग की।
Tahawwur Rana: प्रत्यर्पण की प्रक्रिया और राणा का प्रतिरोध
भारत सरकार लंबे समय से राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रही थी, क्योंकि मुंबई हमलों में उसकी भूमिका को लेकर पर्याप्त सबूत मौजूद थे। अमेरिकी न्याय विभाग ने भारत के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू की गई।
राणा ने इस प्रत्यर्पण को रोकने के लिए कई कानूनी दांव-पेंच खेले। उसने अमेरिकी न्यायालय में यह तर्क दिया कि भारत में उसे निष्पक्ष मुकदमा नहीं मिलेगा और वहां उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा सकता है। उसने यह भी दावा किया कि भारत में उसका मुस्लिम और पाकिस्तानी मूल का होना उसके खिलाफ जा सकता है और उसे यातना दी जा सकती है।
हालांकि, अमेरिकी न्यायालय ने उसके सभी दावों को खारिज कर दिया और उसकी प्रत्यर्पण याचिका को अस्वीकार कर दिया।
Tahawwur Rana: अमेरिका-भारत के बीच प्रत्यर्पण संबंध
भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि है, जिसके तहत किसी भी अपराधी को कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से प्रत्यर्पित किया जा सकता है।
अमेरिका और भारत के बीच पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद विरोधी सहयोग मजबूत हुआ है। अमेरिका ने 26/11 के हमलों को लेकर भारत के साथ खुफिया जानकारी साझा की और कई संदिग्धों की पहचान में मदद की। अमेरिका पहले ही डेविड हेडली को सजा दे चुका है, लेकिन उसकी नागरिकता और उसके साथ हुए दंड संधि के कारण वह भारत में प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता।
Tahawwur Rana: भारत के लिए प्रत्यर्पण का महत्व
राणा का प्रत्यर्पण भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
- न्याय की स्थापना: 26/11 हमले के पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे उन्हें न्याय मिल सके।
- लश्कर-ए-तैयबा के नेटवर्क का खुलासा: राणा से पूछताछ कर भारत को लश्कर-ए-तैयबा के काम करने के तरीके और उनके वैश्विक नेटवर्क के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।
- पाकिस्तान की भूमिका उजागर करना: राणा के बयान से पाकिस्तान में आतंकवादियों को मिलने वाले समर्थन और वहां के सरकारी एजेंसियों की संलिप्तता पर भी प्रकाश डाला जा सकता है।
Tahawwur Rana: अमेरिकी सरकार की प्रतिक्रिया
अमेरिकी सरकार ने राणा के प्रत्यर्पण को हरी झंडी दे दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में इस प्रत्यर्पण को मंजूरी दी गई थी और वर्तमान में यह प्रक्रिया अंतिम चरण में है। ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका और भारत आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम कर रहे हैं और यह प्रत्यर्पण दोनों देशों के बीच सहयोग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और इससे 26/11 हमलों की साजिश में शामिल अन्य लोगों पर भी दबाव बढ़ेगा। यह मामला आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जा सकता है।
आने वाले समय में, राणा की भारत में गिरफ्तारी और पूछताछ से इस मामले से जुड़ी और भी कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ सामने आ सकती हैं, जिससे आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को और मजबूती मिलेगी।
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