Aparajita Women and Child Bill:10 दिनों में फांसी, मदद करने पर पांच साल की कैद

Aparajita Women and Child Bill

Aparajita Women and Child Bill: पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुई एक जघन्य घटना, जिसमें कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की एक प्रशिक्षु डॉक्टर का बलात्कार और हत्या कर दी गई थी, ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। इसके जवाब में, पश्चिम बंगाल सरकार ने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है। इस कदम के तहत, ममता बनर्जी की सरकार अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024 (Aparajita Women and Child Bill 2024) पेश कर रही है, जिसे एंटी रेप बिल के नाम से भी जाना जा रहा है।

विशेष सत्र में बिल पेश

मंगलवार, 3 सितंबर, 2024 को, पश्चिम बंगाल विधानसभा में Aparajita Women and Child Bill विधेयक को पेश किया गया। विधेयक का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों के लिए सख्त से सख्त सजा सुनिश्चित करना है। विधेयक को राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने पेश किया, और इस पर चर्चा के लिए विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया। इस विधेयक को पेश करने का उद्देश्य केवल अपराधियों को सजा देना नहीं, बल्कि ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए एक सख्त संदेश देना भी है।

Aparajita Women and Child Bill के मुख्य प्रावधान

  1. 10 दिनों में फांसी की सजा: इस विधेयक का सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि दुष्कर्म और हत्या के मामलों में दोषी पाए गए व्यक्ति को 10 दिनों के भीतर फांसी की सजा दी जाएगी। इससे न्याय प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी और पीड़ितों को शीघ्र न्याय मिलेगा।
  2. सहायता करने वालों के लिए सजा: इस विधेयक में यह भी प्रावधान है कि जो लोग अपराधियों को शरण देते हैं या किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान करते हैं, उन्हें तीन से पांच साल की कठोर कैद की सजा दी जाएगी।
  3. तत्काल सुनवाई और समर्पित न्यायालय: विधेयक में दुष्कर्म के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना का भी प्रावधान है। इन न्यायालयों में मामलों की सुनवाई सात दिनों के भीतर पूरी की जाएगी, जिससे पीड़ितों को त्वरित न्याय मिल सके।
  4. दोषियों के लिए आजीवन कारावास: यदि कोई व्यक्ति दुष्कर्म का दोषी पाया जाता है, तो उसे अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी। सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में जुर्माना और मौत की सजा का प्रावधान भी है।

बंगाल में हिंसा की पृष्ठभूमि

इस Aparajita Women and Child Bill को लाने का एक प्रमुख कारण हाल ही में कोलकाता में हुई हिंसा है, जिसमें एक 32 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर का बलात्कार और हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने न केवल राज्य बल्कि पूरे देश में गुस्से की लहर पैदा कर दी। इस घटना के बाद से राज्य सरकार और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठे, और डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी। इसी के परिणामस्वरूप ममता सरकार ने इस विधेयक को लाने का निर्णय लिया, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और दोषियों को सख्त सजा मिल सके।

Aparajita Women and Child Bill का महत्व

इस Aparajita Women and Child Bill का उद्देश्य राज्य में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को मजबूत करना और उन्हें एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करना है। यह विधेयक ममता सरकार की महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है और यह सुनिश्चित करता है कि यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

विपक्ष का समर्थन

भले ही पश्चिम बंगाल की राजनीति में तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच तीखी प्रतिस्पर्धा हो, लेकिन इस विधेयक को लेकर BJP ने भी ममता सरकार का समर्थन किया है। BJP ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है और इस बिल के पक्ष में बहस में शामिल होने का निर्णय लिया है।

इस Aparajita Women and Child Bill के लागू होने से पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों में कमी आने की उम्मीद है, और यह राज्य में कानून व्यवस्था को भी सख्त बनाएगा। ममता सरकार का यह कदम महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

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