Jhaansi Fire Accident: विपक्ष गुस्से में तमतमाया, सरकार के ऊपर लगाए आरोप

Jhansi Medical College NICU Fire

Jhaansi Fire Accident: उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में शुक्रवार रात को हुए एक भीषण अस्पताल अग्निकांड ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। इस हादसे ने ना सिर्फ परिवारों के दिलों को तोड़ा, बल्कि पूरे राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए। इस लेख में हम घटनाक्रम, नेताओं की प्रतिक्रियाओं और विपक्ष के आरोपों पर चर्चा करेंगे।

Jhaansi Fire Accident का कारण और घटना का विवरण

झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात 10:45 बजे एक शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई। इस आग की चपेट में NICU आया, जहां 50 से अधिक नवजात बच्चों का इलाज चल रहा था। ऑक्सीजन से भरे वातावरण के कारण आग तेज़ी से फैली और अस्पताल प्रशासन व परिवारों की कोशिशों के बावजूद कई बच्चों की जान जा चुकी थी।

Jhaansi Fire Accident में कुल 10 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 16 अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इनमें से 7 बच्चों की पहचान हो चुकी है, लेकिन 3 बच्चों की पहचान अभी बाकी है। अस्पताल के प्रशासन ने बताया कि 39 बच्चों को सुरक्षित निकाला गया और उनका इलाज जारी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिल दहला देने वाली Jhaansi Fire Accident पर शोक व्यक्त किया और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक पोस्ट में लिखा, “यह दिल दहलाने वाली घटना है। झांसी मेडिकल कॉलेज में हुई आग की दुर्घटना अत्यंत दुखद है। मैं उन परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं जिन्होंने इस घटना में अपने मासूम बच्चों को खो दिया। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि वे इन परिवारों को इस विशाल शोक को सहन करने की शक्ति दें।”

इसके अलावा, प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिवारों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी Jhaansi Fire Accident पर गहरा शोक व्यक्त किया और मृतकों के परिवारों को ₹5 लाख की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झांसी जिले के प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे इस घटना की पूरी जांच करें और 12 घंटे के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। साथ ही, उन्होंने घटना के कारणों की पूरी जांच का आदेश दिया है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात की है।”

विपक्ष की प्रतिक्रिया

विपक्षी दलों ने Jhaansi Fire Accident को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और अस्पताल प्रशासन की आलोचना की है।

कांग्रेस पार्टी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत को नजरअंदाज किया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “झांसी मेडिकल कॉलेज में हुई इस दुर्घटना की खबर अत्यंत दुखद है। हम उन परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं जिन्होंने इस दुखद घटना में अपने बच्चों को खो दिया। हम मांग करते हैं कि सरकार इस दुर्घटना के कारणों की पूरी जांच करे और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।”

कांग्रेस नेता अजय राय ने भी राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “यह बेहद दुखद घटना है और मैं उन नवजातों के लिए शोक व्यक्त करता हूं जो अस्पताल में भर्ती थे जब यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। यह प्रशासन की लापरवाही है और यह सरकार की स्वास्थ्य नीति की नाकामी को दर्शाता है।”

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी Jhaansi Fire Accident पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “यह घटना अत्यंत दुखद और चिंताजनक है। मैं मांग करता हूं कि जिम्मेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनाव प्रचार छोड़कर राज्य के स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए।”

अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य और चिकित्सा मंत्री के बारे में कुछ कहने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उनकी वजह से ही आज राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था इस स्थिति में पहुंची है। मंत्री केवल राजनीति कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य संकट पर कोई ध्यान नहीं दिया।”

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का आरोप

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने घटना से पहले शॉर्ट सर्किट की समस्या की अनदेखी की थी। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, “नवजातों की मौत प्रशासन की लापरवाही के कारण हुई है। अगर आग बुझाने के उपकरण सही से काम कर रहे होते, तो ये मौतें नहीं होतीं। यह केवल एक हादसा नहीं, बल्कि हत्या है।”

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठाते हुए कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार को उन बच्चों के इलाज के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए जो घायल हुए हैं। साथ ही, सरकार को पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद देनी चाहिए।”

पीड़ित परिवारों का दर्द

Jhaansi Fire Accident के बाद पीड़ित परिवारों का गुस्सा और ग़म साफ दिखाई दे रहा है। संतोषी, जो महोबा जिले की निवासी हैं, अपने 10 दिन के नवजात को खोने के बाद बेतहाशा परेशान हैं। उन्होंने कहा, “मैं नहीं जानती कि मेरा बच्चा कहां है। जब आग लगी, तो मैं अंदर नहीं जा सकी। सब लोग घबराए हुए थे, कोई मेरी मदद नहीं कर सका।”

इसी तरह, रानी सेन, जो झांसी की रहने वाली हैं, अपने बच्चे की मौत की खबर से बेहद दुखी हैं। उन्होंने कहा, “मुझे कहा गया कि मेरा बच्चा मर चुका है, लेकिन कोई मुझे इस बात का प्रमाण नहीं दे रहा है। वे कहते हैं कि पहचान टैग से हुई, लेकिन जिस बच्चे का कोई टैग नहीं था, वह कैसे पहचानें?”

राज्य सरकार ने Jhaansi Fire Accident की जांच के आदेश दे दिए हैं और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है। आग लगने के कारणों का पता लगाने के लिए एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया गया है।

इस दर्दनाक Jhaansi Fire Accident ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को उजागर किया है। अब यह देखना होगा कि सरकार Jhaansi Fire Accident के बाद स्वास्थ्य प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठाती है।

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