Manipur Govt Meeting: मणिपुर में चल रहे जातीय और राजनीतिक तनाव के बीच, राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व में रविवार को हुई एनडीए विधायकों की बैठक के प्रस्तावों को मेइती समुदाय के संगठनों ने सिरे से खारिज कर दिया। प्रमुख मेइती संगठन, कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटिग्रिटी (COCOMI) ने मंगलवार को घोषणा की कि Manipur Govt Meeting में लिए गए प्रस्ताव उनके समुदाय की मांगों को पूरा करने में असफल रहे हैं।
COCOMI का विरोध और मेइती समुदाय की मांगें
COCOMI के प्रवक्ता खुरैजम अथौबा ने इम्फाल में संवाददाताओं को बताया कि Manipur Govt Meeting में लिए गए प्रस्तावों में मेइती समुदाय की मुख्य मांगों को केवल आंशिक रूप से ही शामिल किया गया है। इन मांगों में सबसे अहम मांग कुकी विद्रोही समूहों के साथ चल रहे “सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन” समझौते को समाप्त करना है।
COCOMI ने मांग की है कि हाल ही में जिरीबाम जिले में छह महिलाओं और बच्चों की हत्या के लिए जिम्मेदार कुकी विद्रोहियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो। साथ ही उन्होंने सभी कुकी विद्रोही समूहों को “गैरकानूनी संगठन” घोषित करने की मांग की है, न कि केवल उन लोगों को जो इन हत्याओं में प्रत्यक्ष रूप से शामिल थे।
Manipur Govt Meeting के प्रस्ताव और उनकी आलोचना
रविवार की रात हुई बैठक में आठ प्रस्ताव पास किए गए। इनमें सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को हटाने के लिए केंद्र सरकार को याचिका देना, हत्या के मामलों को एनआईए को सौंपना और दोषी कुकी विद्रोही समूहों को गैरकानूनी घोषित करना शामिल था।
COCOMI ने इन प्रस्तावों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार को 24 घंटे के भीतर प्रस्तावों की समीक्षा करनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो मेइती संगठन अपने विरोध को और तेज करेंगे।
राज्य में बढ़ते तनाव और हिंसा का दौर
मणिपुर की घाटी में शनिवार को विरोध तब और तेज हो गया जब जिरीबाम जिले में छह मेइती महिलाओं और बच्चों के शव एक नदी से बरामद हुए। इन छह लोगों को 11 नवंबर को हुए एक मुठभेड़ के दौरान कथित रूप से कुकी विद्रोहियों ने अगवा किया था।
इस घटना के बाद इम्फाल में गुस्साई भीड़ ने कई मंत्रियों और विधायकों के घरों पर हमला किया और कुछ को आग के हवाले कर दिया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार इन लोगों को बचाने में विफल रही।
एनडीए विधायकों में असहमति और Manipur Govt Meeting से अनुपस्थिति
रविवार को हुई Manipur Govt Meeting में एनडीए के 37 भाजपा विधायकों में से 15 ने भाग नहीं लिया। कुल 21 विधायक Manipur Govt Meeting में अनुपस्थित रहे, जिनमें 10 कुकी-जो विधायक शामिल थे। इन विधायकों ने मणिपुर के घाटी क्षेत्र से दूरी बनाए रखी है, खासकर मई 2023 से शुरू हुए जातीय संघर्ष के बाद।
Manipur Govt Meeting में शामिल 26 विधायकों में से 17 भाजपा, पांच नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) और चार नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के थे। हालांकि, NPP ने पहले ही मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के खिलाफ अपना समर्थन वापस ले लिया है।
कांग्रेस का हमला और राजनीतिक संकट
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोमवार की Manipur Govt Meeting पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि तीन विधायकों के हस्ताक्षर फर्जी हैं। उन्होंने दावा किया कि वास्तव में केवल 24 विधायक Manipur Govt Meeting में शामिल हुए थे। रमेश ने भाजपा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि “मणिपुर की जनता की पीड़ा को कब तक नजरअंदाज किया जाएगा?”
कांग्रेस ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार अल्पमत में है और जल्द ही उन्हें हटाने का दबाव बढ़ सकता है। कांग्रेस ने गृह मंत्री और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर संकट को सुलझाने में पूरी तरह विफल रही है।
जातीय संघर्ष और अस्थिरता की जड़ें
मणिपुर में पिछले साल मई से मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच जारी जातीय हिंसा में अब तक 220 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। मणिपुर की घाटी में मेइती समुदाय का वर्चस्व है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में कुकी-जो समुदाय की बहुलता है।
मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कांग्रेस के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यह कांग्रेस ही थी जिसने “म्यांमार से अवैध प्रवास” को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि यह समस्या मणिपुर के मूल निवासी मेइती समुदाय के लिए एक बड़ा खतरा बन गई है।
मणिपुर में राजनीतिक और जातीय संकट के समाधान की दिशा में अभी भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। COCOMI और मेइती समुदाय की मांगों को केंद्र और राज्य सरकार कितना मानती है, यह देखने वाली बात होगी। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का दबाव भाजपा सरकार के लिए संकट को और गहरा सकता है। ऐसे में राज्य में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए केंद्र और राज्य दोनों को मिलकर गंभीर प्रयास करने होंगे।
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