Jagannath Temple: क्या है पूरी जगन्नाथ मंदिर के 3 दरवाजो की कहानी, जो ओडिशा बीजेपी सरकार बनते ही खुल गए.

Jagannath Temple

Jagannath Temple: में बीजेपी सरकार बनते ही पहली कैबिनेट बैठक में बड़ा एक्शन लिया गया. आज से श्री जगन्नाथ मंदिर के सभी चारों द्वार फिर से खोल दिए गए हैं. ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की मौजूदगी में द्वार खोले गए हैं, मुख्यमंत्री माझी, दोनों उप-मुख्यमंत्री, मंत्री, भाजपा सांसद सहित अन्य पार्टी नेताओं ने पहले भगवान जगन्नाथ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और ‘मंगल अलाती’ रस्म के बाद चारों द्वारों को फिर से खोल दिया गया. उन्होंने मंदिर परिसर की ‘परिक्रमा’ भी की.साथ ही साथ मुखयमंत्री ने कहा की मंदिर की देखभाल के लिए 500 करोड़ रुपये का फण्ड भी आवंटित करेंगे.

Jagannath Temple: पुरी जगन्नाथ मंदिर

पुरी जगन्नाथ मंदिर ओडिशा के पुरी शहर में स्थित है और यह भारत के सबसे प्रसिद्ध हिन्दू मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है, जिन्हें यहां के मुख्य देवता माना जाता है। यह मंदिर ओडिशा के धार्मिक और सांस्कृतिक निकटतमता का प्रतीक है और यहां हर साल लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ आती है।

पुरी जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था, और इसका मुख्य स्थल मुक्तिमार्ग के एक कोने में स्थित है. मंदिर का मुख्य भवन प्राचीन शैली में बना है और इसकी विशेषता में से एक यह है कि इसकी छत रोपण नहीं होती है, जिसका मतलब है कि यह हमेशा खुला रहता है. जगन्नाथ मंदिर के साथ ही कई अन्य मंदिर और प्राचीन भवन भी हैं, जिनमें बलाभद्र, सुबद्रा और सुध्दार्शन विष्णु के मंदिर शामिल हैं। इसके अलावा, मंदिर के आस-पास विभिन्न विशाल तालाबों और बागों का आकर्षण भी है. मंदिर के पास ही रात्रि के समय रथयात्रा का आयोजन होता है, जिसमें बड़े-बड़े रथ भगवान जगन्नाथ, बलाभद्र और सुबद्रा को यात्रा के लिए निकाले जाते हैं। यह रथयात्रा भारत की सबसे प्रसिद्ध धार्मिक प्रक्रियाओं में से एक है और यहां के लोग इसे बहुत ही उत्साह से मानते हैं.

Jagannath Temple: ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की मौजूदगी में खोले गए द्वार .

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की मौजूदगी में द्वार खोले गए हैं, मुख्यमंत्री माझी, दोनों उप-मुख्यमंत्री, मंत्री, भाजपा सांसद सहित अन्य पार्टी नेताओं ने पहले भगवान जगन्नाथ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और ‘मंगल अलाती’ रस्म के बाद चारों द्वारों को फिर से खोल दिया गया. उन्होंने मंदिर परिसर की ‘परिक्रमा’ भी की. ओडिशा के सीएम मोहन चरण माझी ने कहा, ‘हमने कल कैबिनेट की बैठक में जगन्नाथ मंदिर के सभी चार द्वार खोलने का प्रस्ताव रखा था. प्रस्ताव पारित हो गया और आज सुबह 6:30 बजे मैं अपने विधायकों और पुरी के सांसद संबित पात्रा के साथ ‘मंगला आरती’ में शामिल हुआ. जगन्नाथ मंदिर और अन्य कार्यों के विकास के लिए, हमने कैबिनेट में एक फंड का प्रस्ताव रखा है. जब हम अगला राज्य बजट पेश करेंगे, तो हम मंदिर प्रबंधन के लिए 500 करोड़ रुपये का एक कोष आवंटित करेंगे.

Jagannath Temple:

Jagannath Temple: क्यों बंद किये गए थे दरवाजे ?

2019 में कोरोना वायरस महामारी के दौरान बंद किया था. बीजू जनता दल सरकार ने कोरोना महामारी के बाद से ही मंदिर के चारों द्वार बंद कर दिए थे. इसे बंद करना का उद्देश्य भीड़ को कंट्रोल करना और सोशल डिस्टेंस करना था, उस समय से ही श्रद्धालु एक ही द्वार से प्रवेश करते थे. काफी समय से ही भक्तों की मांग थी कि सभी द्वार खोले जाएं. ओडिशा में बीजेपी सरकार बनते ही पहली कैबिनेट बैठक में बड़ा एक्शन लिया गया. आज से श्री जगन्नाथ मंदिर के सभी चारों द्वार फिर से खोल दिए गए हैं.

Jagannath Temple: क्यों महत्वपूर्ण है चार दरवाजे?

ये चारों दरवाजें चार दिशाओं में हैं और इन चारों दरवाजों के नाम जानवरों पर हैं.

1. सिंह द्वार मंदिर की पूर्व दिशा में है, जो सिंह यानी शेर के नाम पर है. ये जगन्नाथ मंदिर में एंट्री करने का मुख्य द्वार है और इसे मोक्ष का द्वार भी कहा जाता है.

2. व्याघ्र द्वार- इस दरवाजे का नाम बाघ पर है, जिसे आकांक्षा का प्रतीक माना जाता है. ये गेट पश्चिम दिशा में है और इस गेट से संत और खास भक्त एंट्री लेते है.

3. हस्ति द्वार- हस्ति द्वार का नाम हाथी पर है और यह उत्तर दिशा में है. दरअसल, हाथी को धन की देवी लक्ष्मी का वाहन माना जाता है और लक्ष्मी का प्रतीक है. 

4. अश्व द्वार- अश्व द्वार दक्षिण दिशा में है और घोड़ा इसका प्रतीक है. इसे विजय का द्वार भी कहा जाता है और जीत की कामना के लिए योद्धा इस गेट का इस्तेमाल किया करते थे.

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