Toilet Seat Tax: हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा शौचालय सीटों पर Toilet Seat Tax लगाने की घोषणा ने राजनीतिक बहस और विवाद को जन्म दिया है। खबरों के अनुसार, सुक्खविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के घरों में शौचालय सीटों पर ₹25 शुल्क लगाने की अधिसूचना जारी की है।
यह नया शुल्क, पानी और सीवरेज बिलों से जुड़े अन्य उपायों के साथ, राज्य के वित्तीय संकट से निपटने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। इस अधिसूचना ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कड़ी आलोचना का सामना किया है, जिन्होंने सत्तारूढ़ सरकार पर “अविश्वसनीय” और “अजीब” टैक्स लगाने का आरोप लगाया है।
Toilet Seat Taxअधिसूचना और इसके प्रभाव
वित्तीय संकट से जूझ रही हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में पानी और सीवरेज बिलिंग के संबंध में एक अधिसूचना जारी की। नए नियम के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में निवासियों को उनके घरों में प्रत्येक शौचालय सीट पर ₹25 का शुल्क देना होगा, जो सीवरेज बिल में जोड़ा जाएगा और जल शक्ति विभाग के खाते में जमा किया जाएगा। सीवरेज बिल अब पानी के बिल का 30% होगा, और अक्टूबर 2024 से प्रति कनेक्शन ₹100 मासिक पानी शुल्क लागू होगा।
पहले पानी के बिल जारी नहीं किए जाते थे, और भाजपा ने अपने चुनावी वादों में मुफ्त पानी देने का दावा किया था। नए पानी के बिल और Toilet Seat Tax ने शहरी निवासियों को विशेष रूप से प्रभावित किया है, क्योंकि जिन घरों में कई शौचालय हैं, उन्हें अब अधिक शुल्क का सामना करना पड़ेगा। इस Toilet Tax का प्रभाव राज्य के 5 नगर निगमों, 29 नगरपालिकाओं और 17 नगर पंचायतों पर पड़ेगा, जो लगभग 10 लाख शहरी निवासियों को प्रभावित करेगा।
Toilet Seat Tax पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विवाद
Toilet Seat Taxकी घोषणा ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। भाजपा नेताओं ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है। भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि वे लोगों पर अनावश्यक टैक्स का बोझ डाल रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के ‘खटाखट मॉडल’ की पराकाष्ठा है कि अब शौचालय भी इस पार्टी की पहुंच से बाहर नहीं है।”
Toilet Seat Tax
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस Toilet Seat Tax पर प्रतिक्रिया दी और इसे “अविश्वसनीय, यदि सत्य है” कहा। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, “अविश्वसनीय, यदि सत्य है! जबकि पीएम मोदी स्वच्छता को एक जन आंदोलन बना रहे हैं, यहां कांग्रेस लोगों पर शौचालयों के लिए टैक्स लगा रही है! यह कदम देश को शर्मसार करेगा।”
भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने Toilet Seat Tax कदम को “बेतुका” बताया और तंज कसते हुए कहा, “यह वही है जो एक अजीब सरकार करती है।”
हिमाचल सरकार की प्रतिक्रिया
राजनीतिक प्रतिक्रिया के बाद, हिमाचल प्रदेश सरकार, विशेष रूप से मुख्यमंत्री सुक्खविंदर सिंह सुक्खू ने इन दावों का खंडन किया कि राज्य ने ऐसा कोई Toilet Tax लगाया है। मीडिया से बात करते हुए, मुख्यमंत्री सुक्खू ने Toilet Tax की खबरों को “आधारहीन” बताया और स्पष्ट किया कि सरकार केवल ₹100 प्रति पानी कनेक्शन चार्ज कर रही है। उन्होंने कहा, “हिमाचल में ऐसा कोई Toilet Seat Tax नहीं है। यह पूरी तरह से झूठ है।”
जल शक्ति विभाग ने भी एक बयान जारी किया और कहा, “ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है कि सीवरेज कनेक्शन घर में लगे शौचालय सीटों की संख्या के आधार पर दिए जाएंगे।” विभाग ने पुष्टि की कि हाल ही में केवल पानी के शुल्क के बारे में अधिसूचना जारी की गई है और अन्य सभी चीजें पहले की तरह ही रहेंगी।
आर्थिक औचित्य और प्रभाव
विवाद के बावजूद, हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने Toilet Seat Tax कदम का बचाव किया है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि इस शुल्क का उद्देश्य सीवरेज कनेक्टिविटी को 100% तक पहुंचाना और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बेहतर सीवरेज उपचार सुनिश्चित करना है। उन्होंने यह भी बताया कि बड़े वाणिज्यिक संस्थान, जैसे होटल चेन, भी इस नए टैक्स के दायरे में लाए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश में कथित “Toilet Seat Tax” विवाद ने एक राजनीतिक आग लगा दी है, जिसमें कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं। सरकार ने Toilet Tax के अस्तित्व से इनकार किया है, लेकिन विपक्ष इसे जनता पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ के रूप में देख रहा है।
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