Delhi MCD में ‘एल्डरमैन’ नामित करने का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट

Delhi MCD: भारत की सर्वोच्च अदालत ने आज एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में सदस्यों की नियुक्ति के विशेष अधिकार को मान्यता दी है। इस निर्णय ने दिल्ली सरकार के समक्ष महत्वपूर्ण चुनौतियाँ प्रस्तुत की हैं और दिल्ली-आंध्र प्रदेश के बीच विवाद को लेकर एक नई दिशा दी है।

Delhi MCD: एलजी के अधिकारों की पुष्टि

Delhi MCD: सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति नारसिंहा और जे.बी. पारदीवाला शामिल थे, ने आज यह स्पष्ट किया कि दिल्ली के उपराज्यपाल को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में ‘आल्डरमेन’ (विशेषज्ञ सदस्य) की नियुक्ति का अधिकार है, जो कि विधायी अधिनियम के तहत दिया गया एक विशेष अधिकार है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह अधिकार एलजी को संविधान के अनुच्छेद 239AA और Delhi MCD अधिनियम, 1957 के तहत प्रदान किया गया है, और इसे दिल्ली सरकार की सलाह के बिना प्रयोग किया जा सकता है।

Delhi MCD: दिल्ली सरकार की याचिका और एलजी की नियुक्ति

Delhi MCD: दिल्ली सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें एलजी द्वारा 10 आल्डरमेन की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी। दिल्ली सरकार ने तर्क किया कि यह नियुक्तियाँ उन वार्ड समितियों में की गई थीं जहां भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) कमजोर थी, और इस प्रकार यह नियुक्तियाँ चुनावी लोकतंत्र की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं।

एलजी की ओर से अदालत में प्रस्तुत की गई दलीलों के अनुसार, नियुक्तियाँ एक विशेष विधायी अधिकार के तहत की गईं, जो दिल्ली के उपराज्यपाल को विशेष रूप से प्रदान किया गया है और इसके लिए दिल्ली सरकार की सलाह की आवश्यकता नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट Delhi MCD
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Delhi MCD सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियाँ

सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय में स्पष्ट किया कि यह शक्ति एक विधायी कर्तव्य है, न कि राज्य सरकार की कार्यकारी शक्ति। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस शक्ति का प्रयोग करने के लिए उपराज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत प्राप्त विशेष अधिकार का पालन करना होगा।

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने इस संदर्भ में कहा कि इस अधिकार का प्रयोग Delhi MCD को अस्थिर करने के लिए किया जा सकता है, विशेषकर जब कि इन नियुक्तियों के सदस्य स्थायी समितियों में शामिल होते हैं और मतदान का अधिकार रखते हैं।

अर्थशास्त्र और आगामी परिणाम

Delhi MCD फैसले का दिल्ली सरकार पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। यह निर्णय विधायिका और कार्यपालिका के बीच अधिकारों के विवाद को और अधिक स्पष्ट करता है। दिल्ली सरकार को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के उल्लंघन की संभावना को कम किया जा सके और उपराज्यपाल के विशेष अधिकारों का सम्मान किया जाए।

Delhi MCD में सदस्यों की नियुक्ति के इस विवाद ने दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य को एक नई दिशा दी है और यह निर्णय भविष्य में समान विवादों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल प्रस्तुत करता है।

केस शीर्षक: दिल्ली सरकार बनाम दिल्ली के उपराज्यपाल का कार्यालय, WP(C) No. 348/2023

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