Delhi Air Pollution के संकट को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने इसे नियंत्रित करने के लिए अहम कदम उठाए हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना ने मंगलवार को घोषणा की कि सभी जजों को जितना संभव हो सके, वर्चुअल सुनवाई की अनुमति देने के लिए कहा गया है। इसका उद्देश्य अदालत परिसरों में वकीलों और वादियों की भौतिक उपस्थिति को कम करना है।
Delhi Air Pollution में सुप्रीम कोर्ट का वर्चुअल सुनवाई पर जोर
सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, गोपाल शंकरनारायणन और विकास सिंह के साथ हुई चर्चा के दौरान, CJI ने बताया कि जजों को वर्चुअल सुनवाई की सुविधा देने के निर्देश दिए गए हैं। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, “Delhi Air Pollution बेकाबू हो रहा है।” इसके जवाब में CJI ने आश्वासन दिया कि यह संदेश सभी तक पहुंचा दिया गया है।
अन्य अदालतों और ट्रिब्यूनल्स तक इस संदेश को पहुंचाने का सुझाव भी दिया गया। वरिष्ठ वकील शंकरनारायणन ने ध्यान दिलाया कि अदालतें ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान IV (GRAP IV) के दायरे में नहीं आतीं। GRAP IV वह आपातकालीन उपाय है जो तब लागू होता है जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 450 से अधिक हो जाता है। इसमें निर्माण गतिविधियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध, स्कूल बंद करने और वाहनों के लिए ऑड-ईवन योजना जैसी सख्त पाबंदियां शामिल हैं। सॉलिसिटर जनरल मेहता ने सुझाव दिया कि इन उपायों को अदालतों पर भी लागू किया जा सकता है।
दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया
खराब होती Delhi Air Pollution को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 12वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए भौतिक कक्षाएं तुरंत निलंबित करने का निर्देश दिया। यह निर्णय तत्काल लागू किया गया। यह निर्देश उस मामले का हिस्सा था, जिसमें पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने के प्रयासों की भी समीक्षा की जा रही थी।
वर्चुअल सुनवाई का महत्व
CJI खन्ना ने अदालत से जुड़े मामलों में वाहन आवाजाही को कम करने के लिए ऑनलाइन सुनवाई के विकल्प की उपयोगिता पर जोर दिया। शंकरनारायणन ने बताया कि हर दिन 10,000 से अधिक वकील और उनके क्लर्क अदालत में आते हैं, जो Delhi Air Pollution के स्तर को बढ़ाते हैं।
CJI ने कहा, “हमने सभी को यह सुविधा दी है कि जब भी आवश्यक हो, वर्चुअली उपस्थित हो सकते हैं।” हालांकि, उन्होंने अदालतों को पूरी तरह ऑनलाइन चलाने का स्पष्ट फैसला लेने से इनकार कर दिया, भले ही सॉलिसिटर जनरल और वरिष्ठ वकीलों ने इस पर जोर दिया।
GRAP IV और आगे की राह
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि GRAP IV के प्रतिबंध तब तक जारी रहेंगे जब तक AQI स्तर 450 से नीचे नहीं आ जाता। अदालत ने एक सर्कुलर जारी कर सभी को मास्क पहनने की सलाह दी और Delhi Air Pollution से निपटने के लिए सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर दिया।
वर्चुअल सुनवाई की ओर यह कदम Delhi Air Pollution को कम करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। जबकि अदालतें ऑनलाइन उपस्थिति की सुविधा के साथ काम करती रहेंगी, राजधानी में गंभीर वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की चुनौती अभी भी बनी हुई है।
सुप्रीम कोर्ट की यह पहल सार्वजनिक भलाई के प्रति उसकी प्रतिबद्धता और अभूतपूर्व संकट के दौरान लचीलापन दिखाने का प्रतीक है।
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