बिहार: मंदिर में भगदड़ से सात की मौत, 35 घायल

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रात के समय बिहार के जहानाबाद जिले के बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर में भगदड़ में सात लोगों की मौत हो गई और कम से कम 35 लोग घायल हो गए। Bihar stampede तब हुई जब भक्त श्रावण मास के दौरान मंदिर में एक वार्षिक कार्यक्रम के लिए एकत्रित हुए थे। घटनास्थल पर मौजूद लोगों का आरोप है कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठियों का इस्तेमाल किया गया, जिससे भगदड़ मच गई।

 Bihar stampede: स्थानीय आरोप और प्रशासन की प्रतिक्रिया

मंदिर में भगदड़ की घटना की जानकारी देते हुए, दिवाकर कुमार विश्वकर्मा, शहर निरीक्षक, जहानाबाद ने पुष्टि की कि सात शवों को पोस्ट-मॉर्टम के लिए जहानाबाद भेजा गया है। हालांकि, जिला प्रशासन ने किसी भी लापरवाही के आरोपों से इनकार किया है। विकाश कुमार, उप-जिला अधिकारी (SDO), जहानाबाद ने NCC स्वयंसेवकों द्वारा लाठीचार्ज करने की बात को नकारते हुए कहा कि घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी और उचित व्यवस्था की गई थी।

एक स्थानीय निवासी ने बताया कि एक फूल विक्रेता के साथ झगड़े के बाद लाठीचार्ज हुआ, जिससे भगदड़ मची। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन की लापरवाही के कारण यह घटना घटी। वहीं, जिला मजिस्ट्रेट आलंकृता पांडे ने पुष्टि की कि Bihar Stampede की जांच की जा रही है और घायल व्यक्तियों को इलाज के लिए स्थानीय अस्पतालों में भेजा गया है।

बिहार मंदिर में भगदड़: परिस्थितियाँ

रात करीब 12:30 बजे, भक्त बाराबर पहाड़ियों पर मंदिर की ओर बढ़ रहे थे, जब यह दुर्घटना घटी। पुलिस द्वारा भीड़ को नियंत्रित करने के लिए की गई लाठीचार्ज की रिपोर्टों ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भक्तों की संख्या बढ़ी, तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे भगदड़ मच गई।

ऐसी ही एक घटना उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई एक धार्मिक सभा में घटी थी, जिसमें 120 से अधिक लोग मारे गए थे। दोनों घटनाओं में मुख्य समानता यह है कि भीड़ नियंत्रण में प्रशासन की विफलता को जिम्मेदार ठहराया गया है। जहानाबाद की घटना ने फिर इस तरफ ध्यान खींचा है कि बड़े धार्मिक आयोजनों के दौरान भीड़ प्रबंधन एक बड़ी चुनौती होती है।

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर, जो कि एक प्राचीन शिव मंदिर है, बाराबर पहाड़ियों की एक ऊँची चोटी पर स्थित है। यह मंदिर गुप्त काल के सातवीं सदी में बनाया गया था और इसके निर्माण का श्रेय स्थानीय राजा बना राजा को दिया जाता है। मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व स्थानीय लोगों के बीच काफी बड़ा है, जो हर साल बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है।

जिला प्रशासन ने मंदिर में भगदड़ की गंभीरता को देखते हुए एक उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया है और पीड़ितों के परिवारों के साथ मिलकर सहायता प्रदान की जा रही है। घटनास्थल पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति को बढ़ाया गया है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर में भगदड़ ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि धार्मिक आयोजनों के दौरान भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था कितनी प्रभावी होनी चाहिए, ताकि इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके।

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