Bihar Hooch Tragedy: बिहार में मौत अब मात्र 50 रुपये में बिक रही है। यह सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन प्रदेश में हो रही जहरीली शराब की घटनाएं इस बात की पुष्टि करती हैं। अप्रैल 2016 से बिहार में शराबबंदी लागू है, और सरकार के सख्त कानूनों के अनुसार शराब बेचना, पीना, या यहां तक कि खाली बोतलें रखना भी अपराध की श्रेणी में आता है। इसके बावजूद भी प्रदेश में शराब का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है, जिसका खामियाजा कई मासूम लोगों को अपनी जान गंवाकर भुगतना पड़ रहा है।
बिहार के छपरा और सीवान जिलों में जहरीली शराब के सेवन से कई परिवार उजड़ गए। जहरीली शराब पीने से लगभग 20 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य लोग गंभीर रूप से बीमार हैं और अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। सीवान के भगवानपुर क्षेत्र की एक महिला ने बताया कि उनके गांव में 50 रुपये में आसानी से देशी शराब मिल जाती है। इसी शराब को पीने के बाद कई लोगों की तबीयत बिगड़ी और उनकी मौत हो गई।
मृतकों के परिजनों का कहना है कि गांव के लोग पोखरा पर जाकर शराब पीते थे, जिसके बाद उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। कुछ लोगों की आंखों की रोशनी चली गई और कई लोगों की जान चली गई। गांव में इस घटना के बाद हड़कंप मच गया, और सभी पीड़ितों को एंबुलेंस के जरिए सदर अस्पताल भेजा गया। प्रशासन भी अब मामले की गंभीरता को समझते हुए हरकत में आया है।
इस घटना के बाद सिविल सर्जन द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया कि अब तक जहरीली शराब के सेवन से 20 लोगों की मौत हो चुकी है। प्रशासन की ओर से तुरंत कोई कार्रवाई नहीं की गई थी, लेकिन जब मौतों का सिलसिला बढ़ता गया, तो जिला प्रशासन ने इस पर ध्यान देना शुरू किया। जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता ने बताया कि उन्हें बुधवार सुबह जानकारी मिली कि मगहर और औरिया पंचायतों में तीन लोगों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई है।
सूचना मिलने के बाद अधिकारियों की एक टीम तुरंत मौके पर पहुंची और बीमार लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान कई की मौत हो गई। जिला प्रशासन ने इस मामले में एक उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। निषेध और आबकारी विभाग के अधिकारियों की टीम भी इस मामले की जांच करेगी। इसके अलावा, घटना के बाद मगहर और औरिया पंचायतों के दो चौकीदारों को निलंबित कर दिया गया है।जिलाधिकारी ने बताया कि संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी शुरू की जाएगी।
वहीं, सारण जिले में भी नकली शराब के सेवन से दो लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य लोग अस्पताल में भर्ती कराए गए। अप्रैल 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया था। शराबबंदी लागू होने के बाद सरकार ने यह दावा किया था कि इससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे, लेकिन वास्तविकता इससे काफी भिन्न है। राज्य में शराब का अवैध कारोबार और बढ़ गया है, और जहरीली शराब की वजह से कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, शराबबंदी लागू होने के बाद से अब तक 150 से अधिक लोग अवैध शराब के सेवन से मारे जा चुके हैं। सीवान और छपरा में हालिया घटना ने एक बार फिर से इस सच्चाई को उजागर कर दिया है कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह से असफल रही है।
जहरीली शराब की घटनाओं को लेकर विपक्षी दल राजद ने नीतीश कुमार सरकार पर कड़ा हमला बोला है। राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, “यह बेहद दुखद और चिंता का विषय है कि शराबबंदी के बावजूद बिहार में जहरीली शराब मिल रही है। हर साल त्योहारों के दौरान ऐसी घटनाएं होती हैं और लोग अपनी जान गंवाते हैं। इसके लिए सीधे तौर पर एनडीए सरकार जिम्मेदार है।”
विपक्ष का आरोप है कि राज्य में शराबबंदी केवल कागजों तक सीमित रह गई है। जमीन पर इसके कोई ठोस परिणाम नहीं दिख रहे हैं। शराब का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है, और प्रशासन इस पर लगाम लगाने में पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है।
सीवान जिले के एसपी अमितेश कुमार ने बताया कि इस मामले में अब तक 9 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
इसके अलावा स्थानीय चौकीदार और पंचायत बीट पुलिस अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया है। मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है, और छपरा में भी इसी तरह की कार्रवाई की जा रही है।जिलाधिकारी ने बताया कि मरने वाले लोगों के शवों का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही जहरीली शराब से हुई मौतों के असली कारणों का पता चल सकेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर मृतकों के संबंध में फैली अफवाहों से बचने की अपील की जा रही है।बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद से इस पर कई बार सवाल उठाए गए हैं। राज्य में अवैध शराब का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है, और इस कारण होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
सरकार ने शराबबंदी को लेकर कड़े कदम उठाए हैं, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।शराबबंदी लागू करने के पीछे राज्य सरकार का उद्देश्य शराब के सेवन से होने वाली सामाजिक बुराइयों को रोकना था, लेकिन अब यह नीति खुद ही एक बड़ी चुनौती बन गई है। अवैध शराब के कारण होने वाली मौतों की तादाद लगातार बढ़ रही है, और प्रशासन इस पर लगाम लगाने में पूरी तरह से विफल हो रहा है।
हालिया घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि प्रदेश में जहरीली शराब का काला कारोबार कितनी तेजी से फल-फूल रहा है। प्रशासन की ओर से कार्रवाई की जा रही है, लेकिन अब तक इस पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं पाया जा सका है। सवाल उठता है कि आखिर कब तक निर्दोष लोग इस जहरीली शराब का शिकार होते रहेंगे?
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