कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI-M) के महासचिव सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury) का गुरुवार 12 सितंबर 2024 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन (Sitaram Yechury Death) हो गया। 72 वर्षीय सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury Age) को पिछले कुछ दिनों से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। इससे पहले अगस्त में उन्हें निमोनिया हो गया था, जिसके बाद उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था। आईये जानते हैं सीताराम येचुरी कौन-कौन है?
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
Sitaram Yechury का जन्म 12 मार्च 1947 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चेन्नई में प्राप्त की और उच्च शिक्षा के लिए नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) का रुख किया। यहाँ पर उन्होंने अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की और छात्र जीवन में ही राजनीति में रुचि लेना शुरू किया। JNU में पढ़ाई के दौरान, वे छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)] की छात्र इकाई, स्टूडेंट्स’ फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के सदस्य बने।
राजनीतिक करियर
Sitaram Yechury की राजनीति में यात्रा JNU में छात्र संघ के पदाधिकारी के रूप में शुरू हुई। उनकी नेतृत्व क्षमता और वामपंथी विचारधारा ने उन्हें पार्टी के भीतर प्रमुख स्थान दिलाया। जल्दी ही, उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)] में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हो गए और अपनी राजनीतिक पहचान बनाई।
राज्यसभा में प्रवेश:
1996 में, Sitaram Yechury को पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के लिए चुना गया। राज्यसभा में उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने श्रमिकों के अधिकार, सामाजिक न्याय, और आर्थिक सुधारों पर जोर दिया। उनकी संसद में एक मजबूत आवाज बनी और उनके विचारों ने कई महत्वपूर्ण चर्चाओं और निर्णयों को प्रभावित किया।
CPI(M) के महासचिव:
अप्रैल 2015 में, Sitaram Yechury को CPI(M) का महासचिव नियुक्त किया गया। इस पद पर रहते हुए, उन्होंने पार्टी को बदलते राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत बनाए रखा और कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी की दिशा निर्धारित की। उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई रणनीतिक बदलाव किए और विभिन्न राजनीतिक चुनौतियों का सामना किया।
मुख्य योगदान और नीतियाँ
आर्थिक नीतियाँ:
Sitaram Yechury ने नवउदारवादी आर्थिक नीतियों की आलोचना की और समानता पर आधारित आर्थिक मॉडल के पक्षधर रहे। उन्होंने निजीकरण और आय असमानता के खिलाफ संघर्ष किया और एक न्यायपूर्ण अर्थव्यवस्था की वकालत की।
सामाजिक न्याय:
सामाजिक न्याय के मुद्दों पर येचुरी का ध्यान विशेष रूप से जाति और लिंग समानता पर केंद्रित था। उन्होंने समाज में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया और प्रगतिशील नीतियों के पक्ष में रहे।
विदेश नीति:
विदेश नीति के संदर्भ में, येचुरी ने साम्राज्यवाद विरोधी दृष्टिकोण अपनाया और संप्रभुता के समर्थन में खड़े रहे। उन्होंने विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ और एक बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था की वकालत की।
चुनौतियाँ और विवाद
चुनाव संबंधी विफलताएँ:
Sitaram Yechury के नेतृत्व में CPI(M) को कई चुनावी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पार्टी को पश्चिम बंगाल में अपनी पारंपरिक शक्ति बनाए रखने में कठिनाइयाँ आईं और अन्य राज्यों में भी पार्टी की स्थिति में गिरावट आई।
आंतरिक पार्टी विवाद:
येचुरी के कार्यकाल के दौरान CPI(M) के भीतर आंतरिक विवाद भी उत्पन्न हुए। विशेषकर पार्टी की रणनीतियों और गठबंधनों को लेकर विभिन्न गुटों के बीच मतभेद हुए। इन विवादों ने पार्टी के भीतर कुछ हद तक तनाव और असहमति पैदा की।
विरासत और प्रभाव
वैचारिक प्रभाव:
Sitaram Yechury का भारतीय राजनीति में योगदान वामपंथी विचारधारा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण रहा। उनके विचार और भाषण ने समकालीन आर्थिक नीतियों की आलोचना की और एक न्यायपूर्ण समाज के निर्माण के लिए दृष्टिकोण प्रदान किया।
शैक्षिक और बौद्धिक योगदान:
राजनीति के अलावा, येचुरी ने शैक्षिक और बौद्धिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी अर्थशास्त्र की समझ और विचारशीलता ने उन्हें समकालीन नीतियों की आलोचना करने में सक्षम बनाया और उनके विचारों ने विभिन्न राजनीतिक विमर्शों को प्रभावित किया।
CPI(M) में नेतृत्व:
CPI(M) के महासचिव के रूप में, येचुरी ने पार्टी की रणनीतियों को समय के अनुसार ढालने का कार्य किया। उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई संकटों और परिवर्तनों का सामना किया और अपनी दिशा को सही किया।
सांस्कृतिक और राजनीतिक टिप्पणी:
Sitaram Yechury एक सम्मानित टिप्पणीकार भी रहे हैं, जिन्होंने विभिन्न सांस्कृतिक और राजनीतिक मुद्दों पर विचार किए। उनकी टिप्पणी और विश्लेषण ने भारतीय सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके विचारों ने राजनीतिक चर्चाओं को दिशा दी।
Sitaram Yechury भारतीय राजनीति में एक प्रमुख और प्रभावशाली व्यक्तित्व रहे हैं। उनकी विचारधारा, नेतृत्व क्षमता, और नीतियाँ उन्हें एक विशिष्ट स्थान दिलाती हैं। उनके कार्यकाल और विचार भारतीय राजनीति पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ते हैं और उनकी विरासत को एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में याद किया जाएगा।
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