President Murmu ने भारत में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों के मद्देनज़र अपनी गहरी चिंता और नाराज़गी व्यक्त की है। उन्होंने कहा की वह भयभीत है और निराश भी।
President Murmu ने हाल ही में कोलकाता के RG Kar अस्पताल में एक डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले को लेकर पहली बार सार्वजनिक बयान दिया है। राष्ट्रपति ने इस घटना पर अपनी निराशा और भय व्यक्त करते हुए कहा, “बस अब और नहीं।”
‘Collective Amnesia’ पर President Murmu की नाराज़गी
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘सामूहिक विस्मृति’ (collective amnesia) पर कड़ा प्रहार किया, जो उन्होंने कहा कि समाज को महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों को भूलने के लिए मजबूर कर देती है। उन्होंने 2012 के निर्भया कांड का उदाहरण देते हुए कहा, “निर्भया (दिल्ली में दिसंबर 2012 में एक युवती के साथ हुए बलात्कार और हत्या) के बाद 12 सालों में, समाज अनगिनत बलात्कारों को भूल दिया है… यह ‘सामूहिक विस्मृति’ बहुत ही घिनौनी है।” यह ब्यान एक पीडीऍफ़ के जरिये देश के लोगो तक आया है जिसे प्रेजिडेंट मुर्मू के ऑफिशल X अकाउंट पर पोस्ट किया गया है।
राष्ट्रपति ने अपने बयान में ‘महिलाओं के वस्तुकरण’ (objectification) की समस्या को भी उजागर किया, जो कुछ लोगों के भीतर गहराई से बैठी हुई है। उन्होंने इसे “एक निंदनीय मानसिकता” करार दिया, जो महिलाओं को ‘कमतर इंसान’, ‘कमज़ोर’ और ‘कम बुद्धिमान’ मानती है।
Kolkata Rape से राष्ट्रीय क्रोध
राष्ट्रपति मुर्मू ने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या की घटना को एक अकेली घटना के रूप में देखने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा की यह इस तरह की अकेली घटना नहीं है बल्कि महिलाओ के खिलाफ होने वाले अपराधों की लम्बी श्रंखला का एक छोटा सा हिस्सा है। उन्होंने कहा, “यह (कोलकाता की हत्या) अपने आप में एक अनूठी घटना नहीं थी… यह महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की एक श्रृंखला का हिस्सा थी।”
इस घटना ने पूरे देश में व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्यकर्मियों और सिविल सोसाइटी के कार्यकर्ताओं ने देश में प्रदर्शन किये। इस क्रूर घटना से जुड़ी खबरों ने न केवल जनता का गुस्सा भड़काया है, बल्कि एक बार फिर से महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं।
राजनीतिक विवाद और न्यायिक हस्तक्षेप
Kolkata Rape की इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में भी हंगामा मचा दिया है। पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच पत्राचार का आदान-प्रदान हुआ है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कानूनों की मांग की, लेकिन केंद्र सरकार ने इस बात को इंगित किया कि उन्होंने इस प्रकार के अपराधों से निपटने के लिए योजनाओं को लागू नहीं किया है।
इस राजनीतिक खींचतान के बीच, न्यायपालिका ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस घटना का स्वतः संज्ञान लिया और दो सुनवाइयों के दौरान केंद्र और राज्य को इस मुद्दे पर राजनीति न करने की चेतावनी दी। न्यायालय ने राष्ट्रीय कार्यबल (National Task Force) के गठन का आदेश भी दिया है, जो स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए उपायों की जांच करेगा।

President Murmu: महिलाओं के खिलाफ अपराधों का बढ़ता संकट
President Murmu ने अपने बयान में अन्य हालिया घटनाओं की तरफ भी परोक्ष रूप से इशारा किया है, जिनमें उत्तराखंड और महाराष्ट्र में नर्सों के साथ बलात्कार, और मलयालम फिल्म उद्योग में अभिनेताओं और निर्देशकों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप शामिल हैं। उन्होंने कहा, “हाल के अपराधों की बाढ़ हमें ईमानदार आत्म-परीक्षण करने के लिए मजबूर कर देना चाहिए।”
President Murmu ने यह भी बताया कि इन घटनाओं में बढ़ोतरी के बावजूद, समाज और सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए जो कदम उठाए हैं, वे अभी भी अधूरे हैं। उन्होंने कहा, “2012 में… जब निर्भया का मामला हुआ, तो हमें यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता थी कि ऐसा दोबारा न हो। हमने योजनाएं बनाईं। इन पहलों ने कुछ हद तक फर्क जरूर किया… लेकिन हमारा काम तब तक अधूरा है, जब तक कोई भी महिला असुरक्षित महसूस करती है।”
‘Perversion’ का समग्र समाधान
President Murmu ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि भारत को अपने इतिहास का सामना करना चाहिए और महिलाओं के खिलाफ इस ‘Perversion’ को जड़ से खत्म करने के लिए समग्र उपाय करने चाहिए। उन्होंने कहा, “इस सामूहिक विस्मृति का सामना करना उतना ही ज़रूरी है जितना कि उस मानसिकता का मुकाबला करना, जिसके बारे में मैंने बात की।”
राष्ट्रपति ने यह भी चेतावनी दी कि केवल वही समाज जो अपने इतिहास से डरता है, वह सामूहिक विस्मृति का सहारा लेता है। उन्होंने भारत से आग्रह किया कि वह अपने इतिहास का सामना करे और इस समस्या का समग्र समाधान तलाशे।
President Murmu के इस बयान ने एक बार फिर से महिलाओं की सुरक्षा और उनके प्रति बढ़ते अपराधों पर एक गंभीर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब समय आ गया है कि समाज इस ‘सामूहिक विस्मृति’ से बाहर निकले और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों का समग्र समाधान खोजे। उनका यह बयान न केवल वर्तमान घटनाओं पर, बल्कि भविष्य में भी महिलाओं की सुरक्षा के प्रति समाज की जिम्मेदारी को स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है।
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