Kolkata doctor Case मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा 30 साल में ऐसी लापरवाही नहीं देखी

Kolkata doctor Case

Kolkata doctor Case: सुप्रीम कोर्ट ने आज सुबह 10:30 बजे आर. जी. कर अस्पताल, कोलकाता में डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले पर सुनवाई की। इस मामले को लेकर कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। मामले की सुनवाई के दौरान, अदालत ने सीबीआई से जांच की स्थिति रिपोर्ट मांगी है। साथ ही, पश्चिम बंगाल पुलिस को भी अस्पताल में तोड़फोड़ की जांच पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

Kolkata doctor Case मामले की सुनवाई करने वाली पीठ

Kolkata doctor Case मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ कर रही है। अदालत ने इस मामले में व्यापक और प्रभावी निर्णय लेने की ओर कदम बढ़ाए हैं।

पिछली सुनवाई में उठाए गए सवाल

पिछली सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस के कार्यों पर सवाल उठाए थे। अदालत ने मामले को संभालने में कई खामियों की ओर इशारा किया, साथ ही 14 अगस्त को विरोध मार्च के दौरान अस्पताल में हुए तोड़फोड़ के मामले को भी गंभीरता से लिया।

Kolkata doctor Case मामले में अदालत की कड़ी टिप्पणी

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने वकीलों से कहा कि अगर वे प्रचार-प्रसार के लिए जनहित याचिकाएं (Publicity Interest Litigations) दायर करना बंद कर दें, तो मीडिया ट्रायल भी रुक जाएगा।

वकील सिब्बल ने बताया कि कुछ लोगों द्वारा एसिड बम इस्तेमाल करने की धमकी दी जा रही है और विपक्ष के नेता ने भी इस मामले में कड़ी टिप्पणी की है। मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को परेशान नहीं किया जाएगा, लेकिन उचित प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने Kolkata doctor Case मामले की गंभीरता को देखते हुए न केवल न्याय की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, बल्कि डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए भी प्रभावी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस मामले की सुनवाई से यह स्पष्ट है कि देश की न्यायपालिका न केवल कानून और व्यवस्था की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि नागरिकों और पेशेवरों की सुरक्षा के लिए भी सतर्क है।

Kolkata doctor Case की सीबीआई जांच में हुआ बड़ा खुलासा

Kolkata doctor Case में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप-मर्डर केस की जांच अब सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) के हाथों में है। गुरुवार, 22 अगस्त को सीबीआई ने इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की। इसके साथ ही, इस केस की शुरुआती जांच करने वाली कोलकाता पुलिस ने भी अपनी स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की। यह मामला सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए प्रस्तुत किया गया, जिसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे।

क्राइम सीन से छेड़छाड़ की आशंका

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, सीबीआई ने अदालत को बताया कि घटना स्थल से छेड़छाड़ की गई है, जिससे मामले की जांच प्रभावित हो सकती है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा, “कोलकाता पुलिस की भूमिका पर संदेह है। मैंने अपने 30 साल के करियर में जांच में ऐसी लापरवाही कभी नहीं देखी।”

मुख्य न्यायाधीश का डॉक्टरों को संदेश

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि डॉक्टरों को अपने काम पर लौटना चाहिए। उन्होंने अस्पतालों की स्थिति पर भी चिंता जताई और कहा, “मैं जानता हूं कि अस्पतालों की स्थिति कैसी है। जब मेरे परिवार के एक सदस्य की तबियत खराब थी, तब मैं खुद एक सरकारी अस्पताल के फर्श पर सोया था।”

सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि उन्हें कई डॉक्टरों से ईमेल मिले हैं, जिनमें उन्होंने कहा है कि उन पर अत्यधिक दबाव है। डॉक्टरों को 48 या 36 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अदालत इस मुद्दे को अपने आदेश में शामिल करेगी।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर विवाद

Kolkata doctor Case में सुनवाई के दौरान, एक वकील ने हस्तक्षेप करते हुए दावा किया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 150 ग्राम वीर्य का उल्लेख किया गया है। इस दावे पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ नाराज हो गए और कहा, “सोशल मीडिया का उपयोग दलील देने के लिए न करें। हमारे पास असली पोस्टमार्टम रिपोर्ट है, और हम जानते हैं कि 150 ग्राम का क्या मतलब है।”

अगली सुनवाई की तारीख का इंतजार

Kolkata doctor Case की सुनवाई अभी जारी है और अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख तय की है। इस बीच, सीबीआई को जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है, ताकि पीड़िता के परिवार को न्याय मिल सके। इस मामले में आगे की कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

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