पहाड़ो से फिर एक बुरी खबर आयी है। इस बार केदारनाथ में लैंडस्लैड होने के कारण लोगो के हताहत एवं घायल होने की खबर है। Kedarnath Landslide एक बार फिर देश का ध्यान हिमालय की फ़राज़ीलिटी तरफ खींचती है और शायद वहां फुटफॉल को नियंत्रित करने की आवश्यकता की और इंगित करती है।
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रविवार सुबह केदारनाथ यात्रा मार्ग पर एक भूस्खलन की दुखद घटना ने तीन लोगों की जान ले ली और कई अन्य को घायल कर दिया। Kedarnath Landslide दुर्घटना चिड़वासा क्षेत्र में घटी, जब गौरीकुंड से केदारनाथ धाम जा रहे श्रद्धालुओं के ऊपर पहाड़ से मलबा और भारी पत्थर गिरने लगे। इस घटना ने उत्तराखंड और देशभर में शोक की लहर फैला दी है। स्टेट डिजास्टर रिलीफ फाॅर्स (SDRF) और जिला प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है, और आठ घायल लोगों को अस्पताल पहुँचाया गया है।
Kedarnath Landslide का विवरण
रुद्रप्रयाग जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह राजवार ने बताया कि दुर्घटना सुबह लगभग 7:30 बजे चिरबासा क्षेत्र में हुई। श्रद्धालु गौरीकुंड से केदारनाथ धाम की ओर जा रहे थे, तभी पहाड़ से मलबा और भारी पत्थर गिरने लगे। इस भूस्खलन में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
राहत और बचाव कार्य
Kedarnath Landslide की सूचना मिलते ही SDRF की टीम मौके पर पहुंची और तुरंत राहत कार्य शुरू किया। टीम ने मलबे से तीन शवों को निकालकर जिला पुलिस के हवाले किया और घायलों को निकटतम अस्पताल में भर्ती कराया।
SDRF के बयान के अनुसार, “हमारी टीम ने मौके पर पहुंचकर आठ घायल लोगों को अस्पताल पहुँचाया और तीन शवों को जिला पुलिस को सौंप दिया।” राहत और बचाव कार्य अभी भी जारी है, और टीम स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में है।
मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया और घटना में जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की। उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “केदारनाथ यात्रा मार्ग के पास पहाड़ से मलबा और भारी पत्थर गिरने से कुछ तीर्थयात्रियों के घायल होने की खबर बहुत दुखद है। राहत और बचाव कार्य जारी है, और मैं इस संबंध में अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हूं। मैंने घायलों को बेहतर चिकित्सा सुविधा तुरंत उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।”
प्रभाव और सुरक्षा के उपाय
इस घटना से एक बार फिर पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा की सुरक्षा पर सवाल उठे है। केदारनाथ यात्रा मार्ग पर पहले भी भूस्खलन और प्राकृतिक आपदाओं की घटनाएं हो चुकी हैं, जो इस यात्रा को काफी खतरनाक बनाती हैं। इस हादसे के बाद राज्य सरकार और प्रशासन को यात्रा मार्ग की सुरक्षा और संरचना पर पुनर्विचार करना चाहिए।
राज्य आपदा प्रबंधन को और सशक्त बनाने के साथ ही, यात्रा मार्ग पर सुरक्षा उपायों को मजबूत करना आवश्यक है। यात्रा मार्ग पर नियमित रूप से निरीक्षण और मलबा हटाने के कार्य किए जाने चाहिए। इसके अलावा, यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को सावधानी बरतने और मौसम की जानकारी पर ध्यान देने की सलाह दी जानी चाहिए।
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर भूस्खलन की यह घटना न केवल दुखद है, बल्कि यह हमें पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा की सुरक्षा के प्रति सचेत करती है। तीन लोगों की मौत और कई के घायल होने से हमें यह सीख मिलती है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमेशा सतर्क रहना चाहिए। राज्य सरकार और प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। साथ ही सरकार को यह भी विवेचना करने की जरुरत है की पहाड़ी क्षेत्रो में लैंडस्लैड जैसी घटननायें क्यों बढ़ रही हैं।
यह घटना हमारे समाज और सरकार के लिए एक चेतावनी है कि हम प्राकृतिक आपदाओं के प्रति जागरूक रहें और सुरक्षित यात्रा के लिए आवश्यक उपाय करें।