Controversy over Fashion Show: रमजान का महीना, जो इस्लाम धर्म में सबसे पाक महीना माना जाता है, एक ऐसा समय होता है जब लोग इबादत, संयम और आध्यात्मिक शुद्धता पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इस दौरान किसी भी तरह की गैर-इस्लामिक या भड़कीली गतिविधियों को लेकर समाज में संवेदनशीलता और सतर्कता काफी ज्यादा रहती है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल गुलमर्ग में आयोजित एक फैशन शो को लेकर राज्य में भारी विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद तब और गहरा हो गया जब सोशल मीडिया पर इस फैशन शो की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो गए, जिनमें पुरुष और महिलाएं आधुनिक और छोटे कपड़ों में रैंप वॉक करते नजर आ रहे थे।
इस आयोजन को लेकर राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कड़ी आपत्ति जताई है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे लोगों के गुस्से और सदमे को “पूरी तरह समझते हैं” और इस मामले की जांच के लिए अधिकारियों से 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी गई है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि फैशन शो के आयोजकों ने स्थानीय संस्कृति और धार्मिक भावनाओं की अनदेखी की है, विशेष रूप से रमजान के पवित्र महीने में।
Controversy over Fashion Show: गुलमर्ग फैशन शो: क्या था मामला?
Controversy over Fashion Show : गुलमर्ग, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और बर्फ से ढकी पहाड़ियों के लिए जाना जाता है, जम्मू-कश्मीर का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। हर साल यहां हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं और राज्य सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करती है। इसी कड़ी में गुलमर्ग में एक फैशन शो का आयोजन किया गया, जिसमें मॉडल्स ने आधुनिक परिधान पहनकर रैंप वॉक किया।
लेकिन यह फैशन शो स्थानीय समाज और धार्मिक समूहों के बीच विवाद का कारण बन गया। लोगों का कहना है कि यह आयोजन न केवल रमजान के महीने में हुआ, बल्कि इसमें जिस तरह के कपड़े पहने गए, वे कश्मीर की परंपराओं और इस्लामिक मूल्यों के खिलाफ थे। सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों और वीडियो में “अर्ध-नग्न” पुरुष और महिलाओं को फैशन शो में भाग लेते हुए दिखाया गया, जिसने धार्मिक समुदायों और राजनीतिक नेताओं को नाराज कर दिया।
Controversy over Fashion Show: धार्मिक संगठनों की प्रतिक्रिया
Controversy over Fashion Show : कश्मीर के प्रमुख धार्मिक नेता और श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के मुख्य सज्जादानशीन मीरवाइज उमर फारूक ने इस आयोजन की कड़ी निंदा की। उन्होंने इसे “अपमानजनक” करार दिया और कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर अश्लीलता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा:
“अपमानजनक! रमजान के पवित्र महीने में गुलमर्ग में एक अश्लील फैशन शो आयोजित किया गया, जिसकी तस्वीरें और वीडियो वायरल हो गए हैं, जिससे लोगों में आक्रोश और गुस्सा है। सूफी, संत संस्कृति और लोगों के गहरे धार्मिक दृष्टिकोण के लिए जानी जाने वाली घाटी में इसे कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है? इसमें शामिल लोगों को तुरंत जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”
धार्मिक नेताओं का कहना है कि कश्मीर की संस्कृति सदियों से सूफीवाद, आध्यात्मिकता और संयम की रही है। यहां के लोग अपनी पारंपरिक जीवनशैली को संजोकर रखते हैं और इस्लामी मूल्यों का पालन करते हैं। ऐसे में इस तरह का आयोजन, खासकर रमजान के दौरान, स्थानीय भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है।
Controversy over Fashion Show: सामाजिक कार्यकर्ताओं का विरोध
Controversy over Fashion Show : सिर्फ धार्मिक समूह ही नहीं, बल्कि सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस फैशन शो को लेकर कड़ी आपत्ति जताई। सामाजिक कार्यकर्ता राजा मुजफ्फर भट ने इस कार्यक्रम पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह आयोजन कश्मीर की नैतिक और सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने की साजिश का हिस्सा हो सकता है।
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा:
“पवित्र रमजान में गुलमर्ग में इस नग्न फैशन शो की अनुमति किसने दी? बर्फ पर चलते हुए अर्ध-नग्न पुरुष और महिलाएं। क्या पर्यटन विभाग, सीईओ जीडीए कुछ प्रकाश डालेंगे? आप हमारे नैतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों को नष्ट करने के लिए क्यों बाध्य हैं?”
राजा मुजफ्फर के इस बयान से साफ है कि लोगों में इस आयोजन को लेकर नाराजगी है और वे चाहते हैं कि सरकार इस पर सख्त कार्रवाई करे।
Controversy over Fashion Show: राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और उमर अब्दुल्ला का बयान
Controversy over Fashion Show : पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी इस विवाद पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि वे लोगों की भावनाओं को समझते हैं और उन्हें इस कार्यक्रम की तस्वीरें देखने के बाद आश्चर्य और गुस्सा महसूस हुआ। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे 24 घंटे के भीतर इस मामले की पूरी रिपोर्ट सौंपें और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई करें।
उन्होंने कहा:
“आश्चर्य और गुस्सा पूरी तरह से समझ में आता है। मैंने जो तस्वीरें देखी हैं, वे स्थानीय संवेदनशीलता के प्रति पूरी तरह से उपेक्षा दिखाती हैं और वह भी इस पवित्र महीने के दौरान।”
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अलावा अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस घटना की आलोचना की और इसे प्रशासन की विफलता बताया।
Controversy over Fashion Show: क्या सरकार इस विवाद से सबक लेगी?
Controversy over Fashion Show : यह पहली बार नहीं है जब जम्मू-कश्मीर में कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम विवादों में घिरा हो। पिछले वर्षों में भी कई ऐसे आयोजनों को लेकर बवाल हुआ है, जहां स्थानीय संस्कृति और धार्मिक भावनाओं को नजरअंदाज किया गया। सवाल यह उठता है कि आखिर प्रशासन ने इस फैशन शो को रमजान के महीने में आयोजित करने की अनुमति क्यों दी?
अब जब यह मामला तूल पकड़ चुका है, तो प्रशासन को सावधानीपूर्वक कदम उठाने की जरूरत है। अगर सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए फैशन शो जैसे कार्यक्रम आयोजित करना चाहती है, तो उसे स्थानीय समुदायों की भावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए। कोई भी आयोजन तभी सफल हो सकता है जब उसमें लोगों की स्वीकृति हो।
Controversy over Fashion Show: भविष्य के लिए सबक
- धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता का सम्मान – किसी भी सार्वजनिक आयोजन को स्थानीय परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किया जाना चाहिए। खासकर ऐसे महीनों में जब धार्मिक भावनाएं चरम पर होती हैं।
- सामुदायिक परामर्श अनिवार्य किया जाए – पर्यटन विभाग और अन्य आयोजकों को चाहिए कि वे इस तरह के कार्यक्रमों से पहले स्थानीय धार्मिक और सामाजिक संगठनों से परामर्श लें ताकि विवादों से बचा जा सके।
- सरकारी निगरानी जरूरी – सरकार को ऐसे आयोजनों पर सख्त निगरानी रखनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।
- जनता की भावनाओं का सम्मान – किसी भी लोकतांत्रिक समाज में जनता की भावनाओं का सम्मान करना अनिवार्य है। अगर कोई आयोजन जनभावनाओं के विरुद्ध जाता है, तो उसे टाल देना ही बेहतर होता है।
गुलमर्ग में आयोजित फैशन शो ने कश्मीर के सामाजिक और धार्मिक परिवेश में एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। जहां कुछ लोग इसे एक सामान्य आयोजन मान रहे हैं, वहीं अधिकतर लोगों का मानना है कि यह स्थानीय संस्कृति और धार्मिक भावनाओं का उल्लंघन है। इस विवाद के बाद सरकार को गंभीरता से विचार करना होगा कि भविष्य में ऐसे आयोजनों को किस तरह संतुलित किया जाए ताकि पर्यटन भी प्रभावित न हो और लोगों की आस्था व भावनाओं का भी सम्मान बना रहे।
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